मध्य प्रदेश : राज्य सरकार निवेश को लेकर शनिवार को जबलपुर में करेगी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सरकार राज्य में निवेश लाने की पहल कर रही है। मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश की गति को और तेज करने के लिए ये पहल की जा रही है। इसकी तहत शनिवार को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखलाएं आयोजित करने की शुरुआत जबलपुर से की जा रही है।
सितंबर में ग्वालियर और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन प्रस्तावित है। इसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को, कर्नाटक के बेंगलुरु में अगस्त में, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में सितंबर में ही प्रस्तावित है। जबलपुर में होने वाले इस सम्मेलन में 1500 से अधिक निवेशकों की भागीदारी हो रही है। आयोजन में बायर-सेलर मीट भी रखी गई है, जिसमें 1000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की सहमति दी है। इसमें ब्रिटेन, कोस्टारीका, फिजी, ताइवान और मलेशिया का प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेगा और कृषि एवं रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा होगी। कॉनक्लेव में लगभग 70 परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास होंगे।
रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के बाद 7 और 8 फरवरी 2025 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियां शुरू हो जायेंगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की नई निर्यात नीति की घोषणा होगी और निवेश बढ़ाने के लिए नये निवेशकों के साथ नई उद्योग नीति में किए गए प्रावधानों को साझा किया जाएगा। मध्यप्रदेश का निवेश परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदल रहा है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क, धार में पीएम मित्रा-पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल एंड एपेरेल पार्क, नर्मदापुरम में मैन्यूफैक्चरिंग जोन फार पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट और मुरैना में मेगा लेदर फुटवियर एसेससरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क राेजगार के क्षेत्र में सरकार की ऐसी ही महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हैं।
राज्य सरकार प्रदेश को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सुनियोजित प्रयास कर रही है। मध्यप्रदेश में निर्माण क्षेत्र में सुधार आने के साथ ही प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बनी है। अब विदेश व्यापार नीति के अनुसार मध्यप्रदेश ने निर्यात पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम, किसान और किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश से निर्यात की संभावनाओं का आंकलन कर ऐसे उत्पादों की निर्यात सूची बनाई गई है, जिनकी विदेशी बाजार में मांग है। डॉ यादव की पहल पर सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किये गये। अगले तीन सालों में मध्यप्रदेश का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। बड़े निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिये राज्य में एक कस्टमाइज पैकेज का प्रावधान भी है। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव की शुरूआत उज्जैन से हुई थी। इसमें आए एक लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों के पूरा होने से लगभग 1 लाख से ज्यादा रोजगार का निर्माण होगा। इसी प्रकार मुंबई इंडस्ट्री कान्क्लेव में प्रदेश में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा और एक लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन होगा।
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