यूरिया आयात बिल में एक-तिहाई फीसदी कमी की उम्मीद, सरकार का नैनो के इस्तेमाल पर फोकस
नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय को वित्त वर्ष 2024-25 में यूरिया आयात बिल में एक-तिहाई फीसदी कमी की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि सरकार नैनो यूरिया और यूरिया के इस्तेमाल पर फोकस बढ़ा रही है।
इससे अगले वित्त वर्ष में फर्टिलाइजर सब्सिडी में कमी आ सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने इस बारे में बताया। इस वित्त वर्ष में यूरिया इंपोर्ट बिल के 31,000 करोड़ रुपए पहुंच जाने की संभावना है। अधिकारी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में यूरिया का आयात कम रहेगा। इस वित्त वर्ष में सरकार यूरिया के आयात पर 31,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। मार्केट डेवलपमेंट एसिस्टेंस और नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स और मैन्योर्स यूरिया के विकलप हैं। वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष में यूरिया के आयात के लिए 20,000-21,000 करोड़ रुपए का आवंटन कर सकती है।
यूरिया पर सब्सिडी काफी ज्यादा
देश में फर्टिलाइजर्स की कुल खपत में यूरिया की हिस्सेदारी 55-60 फीसदी है। इसके लिए देश में उत्पादित यूरिया और आयातित यूरिया का इस्तेमाल होता है। यूरिया सब्सिडी स्कीम के तहत किसानों को 242 रुपए प्रति 45 किलोग्राम की दर से यूरिया उपलब्ध कराई जाती है। इसमें टैक्स और नीम कोटिंग चार्जेज शामिल नहीं हैं। 45 किलोग्राम के यूरिया के बैग की असल कीमत 2,200 रुपए है।
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