बैंक सखी बनकर 25 हजार रूपये प्रतिमाह कमा रही है समूह की महिलाएं

राजगढ़ ,22मार्च। जिले की कांता मालवीय ने बैंक सखी बन कर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। प्रतिमाह 27 हजार तक की आय प्राप्त करने वाली कांता ने लॉकडाउन के दौरान एक करोड से अधिक का वित्तिय लेनदेन कर बैंक से पुरस्कार भी प्राप्त किया है। सारंगपुर के बरूखेड़ी ग्राम की रहने वाली कांता मालवीय जय माता स्वयं सहायता समूह की सदस्य है। कांता बताती है, कि कभी स्वयं के खाते के लिए 3 दिन बैंक जाना पड़ा था। आज वह स्वयं खाता खोलने मैं सक्षम हो गई है। कांता ने आरसेटी के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार योजना के माध्यम से लोन प्राप्त किया। लोन से लैपटॉप लेकर कार्य शुरू किया। अपने व्यवसाय को बढ़ाने के बाद कांता ने किराए की दुकान ली है। दुकान मंे फोटोकॉपी मशीन एवं लेमिनेशन मशीन भी खरीदी है। खुद के स्कूटी भी खरीद ली है। कांता बताती है कि बैंक सखी से बनने से उस में जो बदलाव आया है। उससे परिवार एवं समाज में उसकी इज्जत बड़ी है। ग्रामीणों अब सम्मान की नजर से देखते है। उसके कमीशन को लेकर कई बार बैंक वाले भी कह देते है कि तुम्हारी कमाई तो हमारे वेतन से भी अधिक है।
    ग्राम स्तर पर बैंकिग सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में बैंक सखी मॉडल कारगर साबित हुआ है। राजगढ़ जिले में आजीविका मिशन से जुड़ी बैंक सखियॉ ग्राम की चौपाल पर बैठकर बैंकिग जैसे कठिन समझे जाने वाले कार्य को आसान करने में लगी है। जिले में 110 बैंक सखियों के माध्यम से प्रतिमाह 15 करोड़ का कारोबार हो रहा है।
    यह बैंक सखियॉ बैंकिग लेनदेन के साथ खाता खोलने, आधार लिंक, मनरेगा की मजदूरी वितरण, बच्चों की छात्रवृत्ति वितरण जैसे कार्य कर रही है। इसके अलावा बीमा योजनाओं का लाभ भी ग्रामीणों के लिये बैंक सखियों ने आसान कर दिया है। अटल पेंशन योजना के कार्य को भी यह सखी सम्पादित कर रही है। इन सखियों को बैंक ने लेपटाप खरीदने के लिये आसान किश्तों पर ऋण उपलब्ध कराया गया है, साथ ही ग्राम स्तर पर जाकर कार्य करने के लिये स्कूटी खरीदने के लिये भी ऋण स्वीकृत किया गया है। सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत बुजुर्गो को वितरित की जाने वाली पेंशन के लिये घर पहुंच सेवा ने बैंक सखियों की सामाजिक एवं मानवीय उपयोगिता को बढ़ा दिया है। इसके लागू करने से विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, बुजुर्ग पेंशन के हितग्राही को छोटी छोटी राशि के लिये शहर तक आने जाने से मुक्ति मिल रही है।
    स्मूह से जुड़ी यह महिलायें अब सम्मान जनक कार्य के माध्यम से अपनी आय को 5 से लेकर 25,000 रूपये तक मासिक आय अर्जित कर रही है। इस नवाचार के तहत समूह महिलाओं को चिन्हिकरण कर आरसेटी के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया तथा स्वरोजगार योजनाओं से जोड़कर आवश्यक सामान उपलब्ध कराया गया है। इसके बाद इन बैंक सखियों की आई.डी. बनाई गई है। राजगढ़ जिले में बैंक सखी बनाने की प्रक्रिया से ऊपर उठकर क्लस्टर लेवल फेडरेशन को कारपोरेट बीसी के रूप में भी बैंक ऑफ इंडिया तथा मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक से अनुबंधित किया गया है। यह संगठन खुद बैंक सखियों की नियुक्ति करने का कार्य कर रहा है। इसके माध्यम से जिले में 67 बैंक सखिया कार्य कर रही है। इस संगठन का कार्यालय जिला पंचायत परिसर में स्थापित किया गया है। राजगढ़ जिले में समूह महिलाओं को कॉमन सर्विस सेंटर से जोड़ा गया है। इसके तहत प्रशिक्षण प्राप्त 126 महिलाओं को आई.डी. तैयार कराई गई है। यह महिलाएं अब आयुष्मान भारत के कार्ड बनाने जैसी विभिन्न ढ़ाई सौ योजनाओं के लिए कार्य कर रही है।

हिन्दुस्थान संवाद
 

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