तिलवारा बायीं तट नहर से ग्रामवार सिंचाई के लिए पानी दिये जाने की ग्रामवार जानकारी

सिवनी, 04 दिसंबर।कार्यपालन यंत्री तिलवारा बायीं तट नहर संभाग केवलारी द्वारा बताया गया कि संजय सरोवर परियोजना तिलवारा बांयी तट नहर संभाग केवलारी अंतर्गत आर.बी.सी. एवं एल.बी.सी. नहरें लगभग 35 से 40 वर्ष पूर्व बनी हुई है, परियोजना का सी.सी.ए. मात्र 32610 हे. (रबी सिंचाई) के लिए था, एवं सिंचाई सिर्फ बहाव (कोलावा) से करने का प्रावधान है तथा स्थानीय गेहूं एवं बीटर (चना, तिवड़ा / मसूर/अलसी / सरसों) लगभग 25 से 30 प्रतिशत बोआई प्रावधान है, जिसमें मात्र एक पलेवा + एक पानी फसलों के लिए पर्याप्त होता है। बांध सिंचाई की संपादित क्षमता में विद्युत डीजल मीटर/पंपों आदि से कमांड ऑफ कमांड में सिंचाई करने का प्रावधान नहीं है।

उन्‍होंने बताया कि वर्तमान में सिंचाई का रकबा 75800 हेक्टेयर हो चुका है, जिसमें लगभग 99 प्रतिशत रकबे में किसानों द्वारा हाईब्रिड गेंहूं की बुआई की जाती है, एवं अत्यधिक रसायनिक खाद्य का उपयोग किए जाने से फसल पकने के लिए कम से कम 4 से 6 पानी की आवश्यकता होती है तथा हेड क्षेत्र के किसानों द्वारा 12 से 15 दिन में स्वेछाचारिता (संगठित) होकर विभागीय कर्मचारी / अधिकारियों पर दबाव बनाकर नियम विरूद्ध नहर के जल द्वार खोल दिये जाते है अथवा क्षतिग्रस्त किए जाने हैं बडे-बडे अडावा नहरों में लगाए जाते है जिससे नहर क्षमता से अधिक पानी बहाव के कारण नहर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिस कारण टेल क्षेत्र में किसानों को समय पर पानी नही मिल पाता है। जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक दिनांक 05/11/2024 में लिये गये निर्णयानुसार दिनांक 15/11/2024 को बांध की दोनों नहरों में सिंचाई हेतु पानी प्रवाहित किया गया। दानों मुख्य नहरों में पानी पहुँचाने के बाद (टेस्टिंग पश्चात्) दिनांक 25/11/2024 से विधिवत दांयी तट नहर में पानी प्रवाहित किया गया। दिनांक 15 दिसंबर 2024 से 20 दिसंबर 2024 के मध्य पलेवा कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा।

उक्‍त नहर की मरम्‍मत के लिए संजय सरोवर परियोजना का ई.आर.एम. का 332.56 करोड़ का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु केन्द्रीय जल आयोग दिल्ली से हो चुका है। टेंडर भी लग चुके है, शीर्घ कार्य प्रारंभ की कार्यवाही की जा रही है।

उन्‍होंने बताया कि भीमगढ़ दांयी तट नहर के अंतर्गत टेल क्षेत्र निम्न ग्रामों में पलेवा एक पानी प्रस्तावित किया जाकर लोकल गेंहूं (कम पानी वाली) एवं बीदर (चना, तेवड़ा, मशहूर, अलसी, मटर, सरसों आदि) की बुआई किया जाना प्रस्तावित है :-
अलोनीखापा, भादूटोला, पीपरदौन, झोला, कुम्हडा, बगलई, डोकररांजी, जामुनपानी, मुनगापार, खैरी, मलारी, बिनेकी, कोहका, कछारी, मैरा मैनापिपरिया उपरोक्त ग्रामों में मात्र पलेवा + एक पानी दिया जाना ही संभव है।

इसी तरह तिलवारा बांयीं तट नहर के अंतर्गत टेल क्षेत्र निम्न ग्रामों में पलेवा + एक पानी प्रस्तावित किया जाकर लोकल गेहू (कम पानी वाली) एवं गीदड (घना, तेवड़ा, मशहूर, अलसी, मटर, सरसों आदि) की बुवाई किया जाना प्रस्तावित है-
खैरी, मलारी, पुर्तरा, किमाची, देहवानी, बुधवारा, डुमरिया, कोहका, रायखेडा, चांदन खेडा, तेंदुआ, सालीवाड़ा, खैररांजी, ग्वारी, केवलारी खेडा, बक्शी, बबरिथा, छीदा, बिछुआ, खुसीपार, माल्डनवाड़ा उपरोक्त ग्रामों में भीमगढ़ नहर अथवा केवलारी खेडा जलाशय (छींदा टेल जलाशय) से मात्र पलेवा + एक पानी दिया जाना ही संभव है।

इसी तरह अंतिम छोर के थांवर नदी से लगे गावं (1) पोंगार (1) सरई के किसानों जो कि पूर्व वर्षों से ही छींदा टेक/नहर के पानी पर निर्भर नहीं है। विद्युत मोटर पंपों से थांवर नदी से ही सिंचाई करते है। इन्हें टैंक/नहर से पानी दिया जाना संभव नहीं है। उपरोक्त अस्थायी व्यवस्था स्थानीय जनप्रतिनिधियों / किसानों तथा विभागीय कर्मचारी/अधिकारियों से हुई चर्चानुसार किसानों / शासन हित में अस्थायी रूप से नहरों की लाईनिंग होते तक लागू रहेगी।

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