कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि विभाग सिवनी अनुसार विगत दिनों हुई वर्षा से होगा रबी फसलों को फायदा
सिवनी, 13 जनवरी। उपसंचालक कृषि ने बताया कि जिले में रबी फसलों की बोनी लगभग 3 लाख 46 हजार हेक्टेयर में की जाती है जिसमें मुख्यत: गेहूँ 2 लाख 68 हजार हेक्टेयर, चना 45 हजार हेक्टेयर एवं सरसों 5 हजार हेक्टेयर में बोनी की गई है। कृषि वैज्ञानिक के आधार पर जिले में जिन क्षेत्रों में विगत दिनों ओलावृष्टि हुई है वहां फसलों को नुकसान पहुंचा है किन्तु जिन क्षेत्रों में सिर्फ वर्षा हुई है उन क्षेत्रों में फसलों को फायदा मिलेगा। असिंचित गेहूँ की किस्में जो कृषकों द्वारा एक पानी देकर ही उगाई जाती है उन किस्मों को विगत दिनों हुई वर्षा से अतिरिक्त पानी मिलने से लाभ होगा। इसी प्रकार जिले में असिंचित चना एवं सरसों की बोनी भी बहुतायत रूप से की जाती है। सरसों को मुख्यत: कृषक ऐसे क्षेत्रों में बोनी करते है जहॉं सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नही होती है। सरसों की ऐसी असिंचित किस्मों को वर्षा होने से फायदा होगा।
वर्तमान में लगी गेहूँ की फसल में यूरिया की बची एक तिहाई मात्रा खेत में डाले या नैनो यूरिया का 500 मि.ली. मात्रा प्रति एकड़ के मान से 125 से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। चने के खेतों में टी आकार की खूटियां लगाकर पक्षियों को आश्रय दे ताकि पक्षी इल्लियों को खाकर खत्म करें चने की फसल में इल्लियों का ज्यादा प्रकोप होने पर इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एस. जी. की 100-180 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। वर्तमान में बारिश के पश्चात सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़ता है ऐसी अवस्था में सरसों की फसल में डायमैथीएट 30 ई.सी. दवा का 400 मि.ली. या मैथाथियान 400 मि.ली. दवा प्रति एकड़ की मान से 150-180 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूँ की फसल में क्रम तापमान रहने के कारण रोगों का खतरा कम रहता है परन्तु फफूंदजनित रोगों के लक्ष्य दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल का 150 मि.ली. या मैनकोजेब का 300 ग्राम दवा प्रति एकड़ के मान से छिड़काव किया जा सकता है। साथ ही कृषक भाईयों को यह सलाह भी दी जाती है कि अधिक वर्षा होने पर खेत से जल निकासी की भी व्यवस्था करे, जिससे की फसलों को नुकसान से बचाया जा सकें।
हिन्दुस्थान संवाद
