ऑनलाइन खरीदारी में क्या आपके साथ भी हुई है ठगी? इस तरह शिकायत करने से मिलेगा समाधान
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नई दिल्ली क्या आप कभी ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए हैं… जहां असली चीजों की जगह खराब क्वालिटी या फिर नकली समान मिला हो। कई ऐसे मामले सामने आए है जहां लोगो ने आइफोेन ऑर्डर किए और बदले में उन्हें ईट- पत्थर मिले। अक्सर ऐसे कई मामलों में कंपनियों के खिलाफ शिकायत करने पर भी कोई समाधान नहीं मिल पाता है। इसलिए आज राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर पढ़े और जानें कंज्यूमर लॉ एक्सपर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट के वकील उदित किरोड़ी से कि आखिर उपभोक्ताओं के अधिकार क्या है और उसका कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
1. उपभोक्ता अपने अधिकारों के बारें में कितने जागरूक हैं?
बाजार में उपभोक्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। कई व्यपारी खराब क्वालिटी व नकली उत्पादों को बेचकर खरीदारों को ठग रही हैं, जिसके खिलाफ देश के सिर्फ 20% से 25% उपभोक्ता ही शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। इसकी दो बड़ी वजह हैं पहला कि लोगों में अपने अधिकारों और कानून की कम जागरूकता हैं। इसके अलावा कई उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जो अधिकारों के बारे में जानते हैं,लेकिन कार्रवाई में अधिक समय लगने के चलते क्लेम करने में हिचकते है और ठग जाने के बावजूद अपने अधिकारों से समझौता कर लेते हैं।
2.वेबसाइट जहां शिकायतें दर्ज करवा सकते है?
उपभोक्ता चीटिंग या किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की शिकायत को उपभोक्ता मामले विभाग पर जाकर 1800-11-4000 या 1915 पर जाकर रजिस्टर करा सकते हैं। इसके अलावा उपभोक्ताओं के खिलाफ बढ़ते मामलों पर काबू पाने के लिए सरकार ने कॉन्फोनेट वेबसाइट को लांच किया है । जहां उपभोक्ता शिकायत, केस का स्टेटस, और जुड़ी चीजों को ट्रैक कर सकते हैं। इसका उद्देश्य केस की गति में सुधार करना और कंप्लेन दर्ज करने का प्रोसेस को आसान करने के साथ ट्रांसपेरेंसी बनाना है।
3. तीन तरीके के कंज्यूमर उपभोक्ता फोरम जहां कर सकते है दावा ?
उपभोक्ता दावे की राशि यानी धोखाधड़ी कितनी कीमत की सर्विसेज व प्रोडेक्ट्स की हुई है, उस राशि के मुताबिक तीन अलग फोरम में मुकदमा दायर कर सकते हैं। इसमें सेवाओं के मूल्य पर आधारित फैसले किए जाते हैं।
कोर्ट कमीशन मुकदमे की राशि
1. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग- 50 लाख रुपए तक
2 राज्य स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग- 50 लाख रुपए से 2 करोड़ रुपए तक
3. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग- 2 करोड़ रुपए से अधिक
4. क्या उपभोक्ताओं को समय पर न्यय मिल पा रहा है?
सामान या प्रोडक्ट की समस्या की शिकायत 2 साल तक मान्य मानी जाती है। शिकायत दर्ज करने के लिए नंबर के जरिए व ई-फाइल करने के लिए ई दाखिल पोर्टल (कंज्यूमर कमीशन) पर करे।जिसके बाद कोर्ट (कमीशन) कंपनी को नोटिस जारी करती है और जवाब 45 दिनों में देना अनिवार्य होता है। पुरे प्रोसस 2 साल तक का समय लगता है। जिसके चलते कई मुकदमों की पेंडेंसी बढ़ रही है। ऐसे में उपभोक्ता को जल्द राहत दिलाने के लोकल स्तर पर उपभोक्ता शिकायत केंद्र मौजूद होने चाहिए।
5. किस तरह मुआवजा मिलता है?
अगर मोबाइल फोन, लेपटॉप, सोफे में मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी खराबी है तो अधिकतर केस में उस वक्त उन्हे रिपेल्स कर दिया जाता हैं इसके अलावा मानसिक उतपीड़न और लीगल फीस जैसे दावा पर कमीशन चीजों पर राहत दिलवाता है साथ ही केस गंभीरता जैसे कंपनियों के ओर से धोखाधड़ी के मुताबिक उत्पादों की पूरी राशि उपभोक्ता को मिलने के साथ ब्याज भी मुआवजा के तौर पर मिलता है।
6. ठगी के मामले सबसे अधिक दर्ज?
सबसे अधिक बीमा कंपनी, मेडिकल, ई-कॉमर्स, ऑटोमोबाइल के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज हुई हैं। साथ ही जहां कंपनियों को सामान के लिए कैरी बेग देना अनिवार्य होना चाहिए वहां भी कई कंपनियां बैग पर ब्रांड का विज्ञापन दे रही है। ऐसे में इन मामलों में के मुकदमे का मुआवजा 2500 रुपए से 3000 रुपए है। साथ मानसिक उत्पीड़न के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसके आधार पर उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलता है।
7. ई-कॉमर्स वेबसाइट पर कैसे पहचाने असली प्रोडक्ट्स ?
डिजिटलाइजेशन से कई ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स फेक साइट्स पर बिक रहे है,जो उपभोक्ताओं को लुभा कर ठग रहें है। जिसके चलते फ्रॉड के मामले बढ़े हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को चेक करना चाहिए कि ब्रांड्स की ऑफिशियल वेबसाइट पर किस तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद है। उनपर दिए गए लोगो और बाकी जानकारियों को भी परखें। इसके अलावा कंपनियां लेस बारगेन कंज्यूमर की टेक्निक का इस्तेमाल कर, क्रेडिट नोट, प्रमोकोड के बहाने खरीदारों को लुभा रही हैं। जिसके चलते खरीदार क्रेडिट नोट को वसूलने के चक्कर में बजट से अधिक शॉपिंग कर रहे हैं। ऐसे में जागरूक रहे और जल्दबाजी से बचें। अगर धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं, तो दुकानदार व ई-कॉमर्स कंपनियों को ई-मेल के जरिए शिकायत करें। इसके अलावा इश्योरेंस व वारंटी कार्ड पर कंपनी का हस्ताक्षर लें। खरीदने से पहले चीजों पर जरूरी मार्के और बाकी जानकारी को पढ़ना चाहिए।
8. कई मामलों में इसलिए शिकायत नहीं हो पा रही दर्ज ?
अधिकतर उपभोक्ता शिकायत दर्ज करने के लिए विभिन्न वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर खोजते रहते हैं। इतने सारे हेल्पलाइन नंबर में से सही चुनना मुश्किल होता हैं। इनमें से कई वेबसाइट नकली होती है जहां फेक नंबर दिया होता है, जिसका फायदा ठग उठाते है। साथ ही इसके चलते शिकायत के दर्ज करने का टाइम लिमिट प्रभावित होता है और समय पर समाधान नहीं मिलता। इसलिए ऑफिशियल वेबसाइट पर दिए गए फोन या हेल्पलाइन नंबर पर ही संपर्क करें।
बोनस – लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम के मायने
इस अधिनियम के मुताबिक जो भी कंपनियां भारत में आयात कर रही है या मैन्युफैक्चरिंग कर रही है, उन्हें उत्पादों जैसे कंपनी की बोतल की पैकेजिंग पर मिली या लिटर बाताना जरूरी है जबकि आयातित उत्पाद की जानकारी देनी अनिवार्य हैं। साथ ही पैकेजिंग पर सरल भाषा में जानकारी देना अनिवार्य हैं।