वन समितियों में 33 फीसदी महिलाओं की सदस्यता आरक्षित, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद में से एक पर महिला की नियुक्ति अनिवार्य

भोपाल, 19 मार्च। मध्यप्रदेश में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की जा रही प्रभावी पहल के चलते वनों के साथ-साथ उन पर आश्रित आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वानिकी विकास के जरिए समृद्ध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले एक साल में वनों की सुरक्षा और विकास के साथ-साथ वनों पर आश्रित वनवासियों के कल्याण की नई इबारत लिखी गई है। वन समितियों में 33 फीसदी महिलाओं की सदस्यता आरक्षित की गई है। साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद में से एक पर महिला की नियुक्ति अनिवार्य की जाकर महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाया गया है।

संयुक्त वन प्रबंधन से समृद्ध समितियाँ

वन खंड की सीमा से 5 कि.मी. दूरी तक स्थित ग्रामों में गठित वन सुरक्षा समिति सघन वन क्षेत्रों में अवैध कटाई, चराई और अग्नि से क्षेत्र की सुरक्षा का काम करती हैं। इसके ऐवज में उन्हें आवंटित क्षेत्र से समस्त लघु वनोपज, रॉयल्टी मुक्त निस्तार एवं काष्ठ विदोहन का 20 प्रतिशत लाभांश दिया जाता है। जैव विविधता के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यान और अमयारण्य के बफर क्षेत्र की सीमा से 5 कि.मी. की परिधि में स्थित ग्रामों में ईको विकास समिति गठित है। यह समितियाँ सामाजिक-आर्थिक उत्थान के कार्य में संलग्न हैं।

34 करोड़ का दिया गया लाभांश

जिलास्तर पर काष्ठ विदोहन से हुए शुद्ध लाभ 20 फीसदी वन प्रबंधन समितियों को 22 करोड़ 56 लाख रूपये की राशि दी गई। बाँस कटाई में संलग्न श्रमिकों को बाँस विदोहन से प्राप्त शुद्ध लाभ की राशि शत-प्रतिशत दी जाती है। इसमें 11 करोड़ 39 लाख रूपये का लाभांश दिया जा चुका है। इस तरह कुल 33 करोड़ 95 लाख रूपये का लाभांश वितरित किया जा चुका है।बाँस रोपण से बढ़ी किसानों की आमदनी

प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि फसलों के साथ बाँस रोपण एक बेहतर विकल्प के रूप में लोकप्रिय हुआ है। इस वित्त वर्ष में 3597 किसानों ने 3228 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया। जिस पर उन्हें पौने 7 करोड़ रूपये से ज्यादा का अनुदान दिया गया। स्व-सहायता समूहों को ‘आत्म-निर्भर’ बनाने के लिए मनरेगा में 83 स्व-सहायता समूह के माध्यम से 1020 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया गया। अन्य योजनाओं में भी 1248 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया गया। निजी क्षेत्र में मंजूर की गई 13 बाँस प्र-संस्करण इकाइयों में से 9 इकाई प्रारंभ हो चुकी है। इन इकाइयों को 1 करोड़ 68 लाख रूपये का अनुदान वितरित किया गया।

हिन्दुस्थान संवाद

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