सरकारी योजना से कन्नी काटने लगे किसान, पंजीयन से दूरियां बनी
विदिशा, 16 मार्च (हि.स.)। समर्थन मूल्य पर पंजीयन में घटी संख्या का मुख्य कारण किसान खरीदी में नए नियमों, समर्थन मूल्य अपेक्षानुरूप नहीं होने एवं कर्ज में राशि कटने की आशंका को मान रहे हैं और यही कारण हैं कि इस बार समर्थन मूल्य खरीदी को किसानों का समर्थन न मिलना सामने आ रहा है। इस बार खरीदी केंद्र से किसानों की दूरी बढ़ती दिखाई दे रही है। आंकड़े बताते हैं कि गत वर्ष की अपेक्षा इस बार जिले में 10 हजार कम किसानों ने पंजीयन कराया है।
बताया जा रहा है कि किसान को बाजार में समर्थन मूल्य से अधिक रेट उपज के मिल रहे है दूसरा उन्हें बैंक की लाईन में लगने का डर, समर्थन खरीदी केन्द्र पर छान्ना लगाने का डर और कई दिनो वाद पैसे मिलने के साथ सवसे अहम बात किसान की उपज की राशि कर्ज में न काट ली जाये । यदि यही स्थिति रही तो 15 दिन में 80 प्रतिशत किसान अपनी उपज बाजार में बेच देंंगे । जिले में फसल कटाई का कार्य शुरू हो चुका है। किसान अच्छी पैदावार की संभावना जता रहे, लेकिन पंजीयन में घटी संख्या का मुख्य कारण किसान खरीदी में नए नियमों, समर्थन मूल्य अपेक्षानुरूप नहीं होने एवं कर्ज में राशि कटने की आशंका को मान रहे हैं।
डीएसओ रशमी साहू ने हिस को बताया कि जिले में पीछले वर्ष 1 लाख 19 हजार 46 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अनाज बेचने के लिए पंजीयन कराया थाए जो इस वर्ष यह संख्या 93 हजार 923 ही रह गई। इस तरह पिछले वर्ष से 10 हजार कम किसानों ने पंजीयन कराया। किसान जितेन्द्र सिंह का कहना है कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 से 2015 रुपए कर दिए इसमें सिर्फ 40 रुपए बढ़ाए गए, जबकि इस बार किसानों को फसल में लागत भी अधिक लगी वहीं अब खरीदी केंद्र में छन्ना लगाए जाने का नियम बना दिया और इसमें प्रति क्विंटल पर किसानों को 20 रुपए गेहूं की छनाई पर देना पड़ेगा। इससे छोटे किसानों को 500 तो बड़े किसानों को 20 हजार से अधिक की राशि छनाई कार्य में ही चली जाएगी। ऐसे में समर्थन मूल्य अपेक्षानु रूप नहीं होने से गेहूं के पंजीयन में किसानों ने रुचि नहीं दिखाईहै।
उपज की खरीदी 25 मार्च से शुरू होगी जो 15 मई तक जारी रहेगी। चना और मसूर का समर्थन कार्य मार्कफेड द्वारा एवं गेहूं उपार्जन का कार्य सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा। गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल, चना 5230 रुपए प्रति क्विंटल एवं मसूर 5500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर क्रय की जाना है। पिछले दो दिनों में मंडी में 20 हजार बोरा से अधिक आवक हो रही है। इसमें सर्वाधिक आवक गेंहू की हो रही वहीं नए चना और मसूर की आवक भी बढ़ गई है। इसमें चने के दाम कुछ कम है और गेहूं व मसूर को समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल रहे। अनाज व्यापारियों के मुताबिक आगामी समय में यह आवक 40 हजार बोरा तक पहुंचेंगी।
सहकारी कर्मचारी नेता राजेंद्र कटारे मान रहे हैं कि बाजार में गेहॅू की उपज के 2200 से 2700 रूपये मिल रहा है और समर्थन मूल्य पर 2015 रूपये है । किसान को डर है कि उसकी उपज की राशि कर्ज में न काट ली जाये और समर्थन खरीदी केन्द्र पर छन्ना लगाने पर किसान से 20 रूपये की राशि ली जायेगी जिससे किसान पजीयंन कम करा रहे है ।
कृषक लाखनसिंह मीणा का कहना है कि खरीदी केंद्रों पर अनाज बेचने से कर्ज में राशि कटने का डर किसानों को है। सिंचाई का पैसा भी लिए जाने जैसी चर्चा भी किसानों के बीच रहने से किसान पंजीयन कार्य से बचते रहे। वहीं मंडी में गेहूं, चनाए मसूर को अच्छे दाम मिल रहे वहीं नकद भुगतान की सुविधा होने से किसानों का रुझान मंडी में अनाज बेचने की तरफ ज्यादा है। इसलिए इस बार किसान पंजीयन कार्य से बचे रहे इसलिए किसानों की संख्या पंजीयन में कम हो गई है।
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश कुमार मीणा
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