चालू वित्त वर्ष में बढ़ेगी आभूषणों की खपत, सालाना आधार पर 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी

नई दिल्ली । मूल्य के संदर्भ में चालू वित्त वर्ष में आभूषणों की खपत 10-12 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण सोने की कीमतों में वृद्धि होना है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 में साल-दर-साल घरेलू आभूषण खपत वृद्धि (मूल्य के संदर्भ में) के अपने पूर्वानुमान को 8-10 प्रतिशत से बढ़ाकर 10-12 प्रतिशत कर दिया है।

अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में आभूषणों की खपत में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी। रेटिंग एजेंसी का यह भी मानना है कि मुद्रास्फीति के बीच लगातार सुस्त ग्रामीण मांग के कारण अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आभूषणों की खपत की वृद्धि दर घटकर 6-8 प्रतिशत रह जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर, 2022 से अप्रैल, 2023 के बीच सोने की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अपेक्षाकृत सोने की कीमतें स्थिर रहीं। हालांकि एक साल पहले की अवधि से तुलना करें तो कीमतें 14 प्रतिशत अधिक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़े हुए मूल्य के चलते आभूषण विक्रेताओं का राजस्व बढ़ा है।
पश्चिम एशिया में चल रहे तनाव और दूसरे देशों के साथ हो रहे मुक्त व्यापार समझौते के चलते निकट अवधि में सोने की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर, 2023 की शुरुआत से सोने की कीमतों में बढ़ोतरी और लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति मांग के लिए व्यवधान बनकर उभर रही हैं।

खुदरा विक्रेताओं से बेहतर प्रदर्शन

इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट सुजाय साहा ने कहा कि संगठित बाजार के ज्वेलर्स के राजस्व में चालू वित्त वर्ष में 15-18 प्रतिशत का विस्तार हो सकता है। इस दौरान संगठित आभूषण खुदरा विक्रेताओं से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। बड़े ज्वेलर्स ने अपने खुदरा नेटवर्क के विस्तार का एलान किया है। माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान यह अपने स्टोर की संख्या में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि कर सकते हैं।

ऊंची कीमतों के चलते भारत में सोने की मांग में गिरावट

घरेलू स्तर पर ऊंची कीमतों के चलते भारत सहित दूसरे एशियाई देशों में सोने की मांग में तेज गिरावट दर्ज की गई है। मांग में गिरावट के चलते थोक कारोबारी डिस्काउंट देने को मजबूर हो रहे हैं। हालांकि चीन में मांग में तेजी जारी है। कोलकाता स्थित थोक कारोबारी और जेजे गोल्ड हाउस के हरशद अजमेरा ने कहा कि इस दौरान पारंपरिक रूप से मांग कमजोर रहती है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को छोड़ दें तो पूरे देश में यही स्थिति है। मूल्य के उतार-चढ़ाव ने भी मांग को कमजोर किया है।

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