सिक शेमिंग का शिकार हो रहे युवा, सर्दी-जुकाम भी बना मुसीबत – aajkhabar.in
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नई दिल्ली । कोरोना महामारी के बाद से अमेरिकी काम पर या सामाजिक समारोह में जाने को लेकर भारी दबाव झेल रहे हैं। सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारी के लक्षण दिखने पर उन्हें दूर रहने को कहा जाता है। कार्यालयों में इसे ‘सिक शेमिंग’ कहा जाता है। इससे बचने के लिए अमेरिकी लोग सर्दी, जुकाम और एलर्जी की दवाओं को जरूरत से ज्यादा खा रहे हैं।
37 वर्षीय मेग मैकनमारा इसकी शिकार हो चुकी हैं। जुकाम होने पर उनकी कंपनी ने कोरोना के डर से उन्हें ऑफिस से वापस घर भेज दिया था। जबकि, मैकनमारा को पता था कि उन्हें सिर्फ सर्दी-जुकाम है। उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी निगेटिव आई। डॉक्टरों ने बताया कि एलर्जी की वजह से उन्हें सर्दी की दवा बिकने से कंपनियों को 30% फायदा खांसी आ रही थी, जिससे आंखें लाल हो रही थीं।
दोबारा ऑफिस से घर न लौटना पड़े, इसलिए उन्होंने सर्दी-जुकाम के लक्षणों को छुपाने के लिए रोज सुबह बेनाड्रिल लेना शुरू कर दिया।
बेनाड्रिल के दुष्प्रभाव से मैकनमारा आलस्य, सुस्ती, थकान से पीड़ित रहने लगीं। ऐसी स्थिति का सामना करने वाली मैकनामारा अकेली नहीं हैं। ऑफिस या समारोहों में जाने वाले सामान्य बीमारी के लक्षणों को छुपाने के लिए अधिकांश अमेरिकी ऐसी दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
2020 से सामाजिक व्यवहार पर महामारी के प्रभाव का अध्ययन करने वाले वेल्स के स्वान्सी यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान शोधकर्ता साइमन विलियम्स ने अपनी स्टडी में पाया कि लोगों को खांसी और सूंघने की क्षमता कम होने के लिए भी सिक शेमिंग का सामना करना पड़ा है।
शोधकर्ता एनआईक्यू के अनुसार, अमेरिका में सांस संबंधित ओटीसी दवाओं की बिक्री कोरोना से पहले 2019 की तुलना में इस साल 23% बढ़कर 98,140 करोड़ रु. हो गई है।