21000 हजार वर्ष का एक आरा होता है उसमें से विक्रम संवत 2026 वर्ष पूरें हो चुके है।21000-2026=18074 वर्ष बचें है, पांचवा आरा पूरा होनें में । इस पंचम आरें को कलयुग कहा है । इस युग में जीने की इच्छा से देवता भी धरती पर आना चाहतें है पर नही जन्म ले सकतें क्योंकि कलयुग केवल नाम आधारा ,अगर प्रभु का स्मरण भाव से व केवल नाम का भी रटन मात्र से इन्सान भव तिर जायेगें। मगर वो भी मन इन्सान के पास नही होगा सो देवता धरती पर आकर क्या करेंगें। साल बितते वक्त नही लगता ।समय जैसे पंख लगाकर बैठा है ,पलक छपकतें ही बीतता जा रहा है और हमारी मात्र 100 वर्ष की आयु कंहा बीत जाती है इन्सानों को पता भी नही चलता। 84 योनियों में जन्म लेने के बाद ऐसा दुर्लभ मानव भव हमें नसीब से मिलता है,और अगर इस भव में आकर मानव होने का महत्व नही समझा तो मनुष्य और पशुओं मे कोई अन्तर नही रह जायेगा। जीवन को सार्थक बनाना ही मनुष्यों का प्रथम कर्तव्य है। अब इस कलयुग के अन्तिम पड़ाव में हम पंहुच चुकें है । युग परिवर्तन के साथ -साथ इस धरती पर कई परिवर्तन होगें जो मनुष्य खुद ही महसुस करेंगे, सिर्फ हिन्दू धर्म कें शास्त्रों में जो सच्चाई लिखी गई है वो कभी गलत नही होती सों शास्त्र पर विश्वास रखनें वाले प्रत्येक जीव अपना उद्धार खुद ही कर सकतें है इसमे कोई दोहराय नही,आईये आज जानतें है इस धरती पर आने वाले समय में क्या -क्या परिवर्तन होगें और इस धरती का विनाश कैसे होगा। *प॔चम आरें में प्रगट होनें वालें 35 बोल* 1. शहर गाँव जेसे होगें।2. गाँव श्मशान जेसे होगें।3. सुखीजन निर्लज्ज बनेंगें।4. कुलवान नारीयां वेश्या जेसी बनेगी।5. साधु कषायवंत होगें।6. राजा यमदंड जैसे होगें।7. कुटुंबीजन दास सरीखें होगें।8. प्रधान लोंभी सरीखें होगे।9. पुत्र स्वच्छन्दाचारी होगें।10. शिष्य गुरु का अपमान करनें और सामनें बोलनें वालें होगें।

11. दुर्जन पुरुष सुखी होगें।12. सज्जन पुरुष दुःखी होगें।13. देश दुकाल की समस्या सें घिरा होगा।14. पृथ्वी खराब तत्वों,दुष्ट तत्वों से आकुल व्याकुल होगी।15. ब्राम्हण अस्वाध्यायी अर्थ लुब्ध बनेगें, विद्या का व्यापार होगा।16. साधु गुरु के कहने में नहीं रहेंगें।17. देव और मनुष्य अल्प बल वालें होगें।18. मनुष्य कों देव कें दर्शन नहीं होगें।19. गोरस रसहीन -कस्तुरी आदि वर्ण प्रभावहीन होगें।20. विद्या, मंत्रों तथा औषधीयों का प्रभाव अल्प होगा।21. बल ,धन ,आयुष्यहीन होगें।22. मासकल्प योग्य क्षैत्र नही रहेंगें।23. भगवान की प्रतिमाएं खंडित की जाएंगी।24. आचार्य शिष्यों कों नही पढ़ाएगें।25. शिष्य कलह और लड़ाई करनेंवालें होगें।26. मुंडन करनें वालें साधु कम होगें दीक्षा लेगें ,पर पालन कम करनें वालें होगें।27. आचार्य अपनी-अपनी मनगढंत बाते प्रगट करनेंवालें होगें।28. म्लेच्छों (मोगल) कें राज्य बलवान होगें।29. आर्यदेश कें राजा अल्प बलवालें होगें।30.मिथ्यादृष्टी देव बलवान होगें।31. झूठ-कपट का बोलबाला होगा ओर बढ़ता जायेगा*।32. सत्यबोलनें वालें की हार होगी सत्य बोलना निष्फल होगा।33. अनिती करनें वालें लोगों की आपस में एक दुसरें से खूब बनेगी।34. धर्म करनें वालों को सम्पूर्णं सफलता नही मिलेगी।35. किसी के लग्न (शादी) किसी के भी साथ होगेंजाती -पाती का कोई भेदभाव ही नहीं रहेगा।

श्री अवनीश सोनी
ज्योतिष एवम वास्तु शास्त्री
जिला-सिवनी(म.प्र.)
मो.7869955008

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