शक्तिशाली सौर तूफान धरती से टकराया, संचार उपग्रह और पावर ग्रिड्स को नुकसान की संभावना

वॉशिंगटन। जबरदस्‍त शक्तिशाली सौर तूफान शुक्रवार को धरती से टकरा गया। बीते दो दशकों में ये धरती से टकराने वाला सबसे ताकतवर सौर तूफान था । तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की। इस सौर तूफान का असर सप्ताहांत तक रहेगा और कई जगहों पर संचार उपग्रह और पावर ग्रिड्स को नुकसान हो सकता है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अंतरिक्ष मौसम अनुमान केंद्र के अनुसार, कई कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के चलते धरती पर यह तूफान आया। उल्लेखनीय है कि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के निकलने को कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है।

इससे पहले अक्टूबर 2003 में सौर तूफान धरती से टकराया था। उस सौर तूफान को हैलोवीन तूफान नाम दिया गया था और उसके असर से पूरे स्वीडन में बिजली व्यवस्था ठप हो गई थी और साथ ही दक्षिण अफ्रीका में पावर ग्रिड्स को भारी नुकसान हुआ था। एनओएए का अनुमान है कि आने वाले दिनों में कई और सौर तूफान आ सकते हैं। सौर तूफान के चलते ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी यूरोप में ध्रुवीय ज्योति की घटनाएं देखने को मिलीं। ध्रुवीय ज्योति की घटना में सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स जब धरती के चुंबकीय क्षेत्र में दाखिल होते हैं तो इससे जो प्रतिक्रिया होती है, उसके असर से सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स चमकदार रंग-बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं।

रीडिंग यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष भौतिकी के प्रोफेसर मैथ्यू ओवेन्स का कहना है कि सौर तूफान का असर सबसे ज्यादा धरती के उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों पर महसूस किया जाएगा, लेकिन वे कितनी दूर तक फैलेंगे यह तूफान की अंतिम ताकत पर निर्भर करेगा। अमेरिका में उत्तरी कैलिफोर्निया और अलबामा जैसे राज्यों में इस सौर तूफान का असर दिखेगा। सौर तूफान धरती पर चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करते हैं और इसके असर से ऊर्जा केंद्रों को नुकसान की आशंका है। साथ ही विमानों में भी विकिरण के असर से दिक्कत हो सकती है। अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है और सभी जरूरी एहतियाती कदम उठा लिए गए हैं। नासा अंतरिक्ष यात्रियों को स्टेशन के भीतर ही रहने को कह सकती है।

अब तक का सबसे शक्तिशाली तूफान, जिसे कैरिंगटन इवेंट के नाम से जाना जाता है, वह सितंबर 1859 में धरती से टकराया था। उस तूफान के असर से टेलीग्राफ लाइनों में अत्यधिक करंच के कारण तकनीशियनों को बिजली का जोर का झटका लगा था और कुछ टेलीग्राफ उपकरणों में आग भी लग गई थी।

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