21 फीट ऊंचे मचान से हवा में घुमाए जाते हैं मन्नतधारी

आदिवासियों का गल पर्व

थान्दला/झाबुआ 30 मार्च । जिले के आदिवासी जनजाति समुदाय द्वारा होली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला अद्भुत और हैरतअंगेज कर देने वाला गल पर्व जिले के थान्दला जनपद के मछलईमाता ग्राम में अंचल के आदिवासियों द्वारा परम्परागत रूप से मनाया गया। इस उत्सव मे बड़ी संख्या मे आदिवासियों सहित नगरीय इलाके के लोग भी उपस्थित थे। पर्व में मन्नतधारी व्यक्ति जिसे “लाडा” कहा जाता है, उसे करीब 21 फिट ऊंचे बनाए गए मचान पर रस्सियों से बांधकर हवा में बड़ी तेजी से चारों ओर घुमाया जाता है। इसे गल घुमना कहा जाता है।


जानकारी के अनुसार आरम्भ में मन्नतधारियों ने गल देवता की पूजा की, इसके बाद मे कुछ महिलाएं चूल पर चलीं और फिर गल का यह अनूठा, अद्भुत और हैरतअंगेज आयोजन आरम्भ किये जाने की तैयारी आरम्भ होने लगी। कहा जाता है कि गल घूमने के लिए 7 दिनों तक बहुत सारे नियमो का पालन करना होता है। तब पवित्रता की स्थिति में ही गल घूमने की योग्यता होती है। आयोजन स्थल पर गल घूमने के लिए बैठे हुए तथा मछलई माता के रहने वाले नियमधारी बबलू पिता रूपसिंह ने हिस संवाददाता को बताया कि “उसका लड़का कुछ साल पूर्व बीमार हो गया था तब मैंने उस बच्चे के स्वस्थ होने पर गल घूमने की मन्नत मानी थी और अब जब गल देव की कृपा से मेरा बच्चा ठीक हो गया है, आज में गल घूमूंगा।

यह पूछे जाने पर की इसके पहले क्या क्या नियम रखने होते है? बबलू ने कहा बिस्तर पर नही सोना, दो दिन तक उपवास की धारणा की थी, साथ ही शुद्ध भोजन अपने ही हाथ बनाया गया करना होता है, तथा संयम नियम से रहना।” आयोजन स्थल पर मछलइमाता के ग्राम प्रधान भीमसिंह प्रेमचंद वसुनिया ने बताया कि “हमारे गाँव मे कई पीढ़ियों से गल उत्सव मनाया जाता है। पहले लकड़ी का गल बना हुआ था किंतु अब इसे पक्का बनाया गया है। ग्राम प्रधान ने बताया कि गल घूमने के बाद बकरे, मुर्गे की बलि भी चढ़ाई जाती है, किन्तु यह तभी किया जाता है, जब मनन्तधारी के द्वारा ऐसी मान ली गई हो।” आयोजन स्थल पर आसपास के गावो से बड़ी संख्या में आए लोग कुछ दूरी पर नाच गा रहे थे, इसी दौरान गल उत्सव की प्रक्रिया आरम्भ हो गई।

वहाँ के ही कुछ लोग करीब 21 फिट ऊंचे बने उस मचान पर पहुंच गए और तभी एक मनन्तधारी को एक लोहे के बने ढांचे से रस्सियों से बांध दिया गया और लोहे के दूसरे सिरे पर बंधी रस्सी को पकड़कर एक व्यक्ति मैदान के चारों ओर बड़ी तेजी से दौड़ने लगा। और वह मनन्तधारी हवा में गोल गोल घूमने लगा। तभी इधर मैदान में बड़ी संख्या में आदिवासी लोगो के समूह ढोलक मादल और अन्य वाद्य बजाते एवं गोलाकार घूमते नृत्य करने लगे तथा महिलाएं गीत गाने लगी। इस आयोजन में चार मनन्तधारी गल घूमे।

आयोजन स्थल पर ग्रामवासियों ने पेयजल की व्यवस्था पानी का टेंकर मंगा कर की थी। ग्रामवासियो ने बताया कि पीएचई विभाग ने हेंड पम्प लगाया है किंतु उसमे पानी नही आता है, समस्या विभाग को बताई पर ध्यान नहीं दिया गया।

हिन्दुस्थान संवाद

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