कृषि सलाहः नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति, जनधन की हानि व जलक्षमता कम होने के कारण फसलें जल्दी सूख जाती है- उपसंचालक कृषि

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नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करके दंड अधिरोपित करने का प्रावधान

सिवनी, 05 मार्च।  भारत एक कृषि प्रधान देश है। वर्तमान समय में भारतीय कृषि की प्रमुख समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या की उदर पूर्ति के साथ साथ पर्यावरण सुरक्षा भी एक प्रमुख बिन्दु है। भारत वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्रफल में गेहूँ एवं धान को मुख्य फसल के रूप में उगाया जाता है। वर्तमान परिस्थितियों में जबकि कृषि में श्रमिकों की कमी एक प्रमुख समस्या है। कृषकों द्वारा कटाई के लिए मशीनों कम्बाईन हार्वेस्टर एवं रीपर आदि का प्रयोग बहुतायत में किया जाने लगा है। परिणामस्वरूप कटाई के उपरांत खेतो में दाने के अतिरिक्त काफी मात्रा में फसल अवशेष रह जाते है। किसान भाई गेहूँ की फसल काटने के पश्चात जो तने के अवशेष बचे रहते है। उन्हे नरवाई कहते है। यह देखा गया है कि किसान फसल काटने के पश्चात इस नरवाई में आग लगाकर उसे नष्ट करते है। पर्यावरण विभाग द्वारा नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करके दंड अधिरोपित करने का प्रावधान किया है।

फसल अवशेषों को जलाने से होने वाली पर्यावरणीय एवं मृदा जनित समस्याएं- मृदा का भौतिक गुणों पर प्रभाव, मृदा पर्यावरण पर प्रभाव, मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों की उपलब्धता में कमी, मृदा में उपलब्ध कार्बनिक पदार्थ में कमी, वायु प्रदूषण, जानवरों हेतु चारे की कमी, भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है, भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्मजीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है, भूमि की ऊपरी पर्त में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगने के कारण यह पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है, भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है, और फसलें जल्दी सूखती है, खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे फल वृक्ष आदि जलकर नष्ट हो जाते है, पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा नरवाई जलाने से वातावरण में तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म हो जाती है, कार्बन नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है, केंचुए नष्ट हो जाते है इस कारण भूमि की उर्वराशक्ति कम हो जाती है, नरवाई जलाने से जन धन की भी हानि हो जाती है,

अतः उपरोक्त नुकसान से बचने के लिए किसान भाई नरवाई में आग न लगाये। नरवाई नष्ट करने हेतु रोटावेयर चलाकर नरवाई को बारीक कर मिट्टी में मिलाये जिससे जैविक खाद तैयार होता है। कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें। यह सलाह उप संचालक कृषि श्री हरिश मालवीय ने दी।

हिन्दुस्थान संवाद

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