सफल होने अभिमान और क्रोध को त्यागना आवश्यक – हेमलता शास्त्री

तालिदाना गौशाला पर सात दिवसीय श्रीराम कथा के दुसरे दिन उमड़ी श्रृद्धालुओं की भीड़

(जगदीश राठौर)
जावरा,31 दिसंबर। प्रभु श्रीराम का जीवन प्रारम्भ हैं, जीवन का अंत है, अनन्त हैं। श्रीराम का जीवन हमे बताता हैं कि मनुष्य को सफल होना हैं, तो अभिमान और क्रोध को त्यागना होगा। जीवन मे परिवर्तन के लिए प्रहार नहीं प्रवेश की आवश्यकता हैं। भक्ति और सेवा का कार्य त्याग और तपस्या का मार्ग हैं। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन मे श्रीराम के जीवन का अनुसरण करना चाहिये। सेवा त्याग और मर्यादा पूर्ण जीवन यापन करना ही श्रीराम के जीवन का अनुसरण हैं।
यह बात अन्तराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता हेमलता शास्त्री ने स्व. महेन्द्रसिंह कालूखेड़ा गौशाला तालिदाना पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दुसरे दिन कथा का रसपान करवाते हुए कहीं।
कथा प्रवक्ता ने कहा कि संतो का जीवन श्रेष्ठ हैं। संत जीवन आंतरिक संतुलन का नाम हैं। केवल चोला पहनकर दिखावा संतत्व नहीं है। संतो का जीवन प्रभु तक पहुँचने का मार्ग है। कथा प्रारंभ होने से पूर्व जावरा के रुद्र अरोड़ा और उमेश अरोड़ा की श्रीराममय भजनों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
दुसरे दिन ये रहे अतिथि –
सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा के यजमान कन्हैयालाल राठौड़ (मामटखेड़ा) के साथ अतिथि के रुप में भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया, धर्मेंद्रसिंह सिसोदिया निम्बोद, कृष्णेन्द्र सिंह चौहान अलवर(राजस्थान), पत्रकार संघ दलोदा अध्यक्ष वीरेंद्रसिंह राठौर, उद्योगपति दशरथ बैरागी, मुकेश प्रजापत, माखनसिंह राणावत, एडवोकेट जगदीश धाकड, उमेश अरोड़ा जावरा, एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह सिसोदिया जावरा, सुनील भावसार जावरा, कानाजी भगत पेटलावद, गजराज सिंह सेमलखेड़ी उपस्थित रहे।

follow hindusthan samvad on :

You may have missed