पेसा एक्ट बिचौलियों के शोषण से बचाकर वनोपज का उचित लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से जनजातीय वर्ग को आत्म-निर्भर एवं सशक्त बनाने का प्रयास प्रशंसनीय
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय वन मेला समापन समारोह में हुए शामिल
भोपाल, 26 दिसंबर। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मध्यप्रदेश में लघु वनोपजों का संग्रहण एवं विक्रय दूरस्थ अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के लिये आजीविका का एक मुख्य साधन है। प्रदेश में लगभग 15 लाख परिवारों के 37 लाख सदस्य लघु वनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े हैं, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक सदस्य जनजातीय वर्ग के हैं। इन लघु वनोपज संग्राहकों को बिचौलियों के शोषण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। संग्रहीत लघु वनोपज का उचित लाभ दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश में लघु वनोपज का संग्रहण एवं व्यापार अब ग्राम-सभा के माध्यम से किया जायेगा। राज्यपाल आज लाल परेड मैदान पर अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीयकृत वनोपज के संग्रहण का वनवासियों एवं ग्रामीणों को उचित पारिश्रमिक दिलाने के लिये लघु वनोपज संघ कार्यशील है। संघ अपनी 1066 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों और 60 जिला वनोपज सहकारी यूनियनों के माध्यम से लघु वनोपज संग्रहण कार्य, रोजगार सुलभ कराने के साथ ही औषधीय और सुगंधित पौधों के प्र-संस्करण, भंडारण एवं विपणन का कार्य भी सफलता से कर रहा है। राज्यपाल ने कहा कि संघ द्वारा वनोपज विक्रय का लाभांश भी संग्राहकों को वितरित किया जा रहा है। इन गतिविधियों से जनजातीय भाइयों एवं बहनों को आत्म-निर्भर एवं सशक्त बनाने के प्रयास प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण तथा अन्य लघु वनोपज संग्रहण कार्य में संलग्न अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य कमजोर वर्ग के ग्रामीणों का आर्थिक सुदृढ़ीकरण हो रहा है।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित गतिविधियों के प्रचार-प्रसार, सुदूर वनांचलों में निवासरत जनजाति की लघु वनोपजों और प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति इत्यादि को पहचान दिलाने और मंच प्रदान करने के उद्देश्य से वन मेले का आयोजन प्रशंसनीय है।
राज्यपाल श्री पटेल ने अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में दोगुने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय एवं वैद्यों के परंपरागत औषधीय ज्ञान के प्रमाणीकरण एवं औपचारिक लाइसेंस की व्यवस्था के लिये प्रयास तेजी से करने की आवश्यकता है। इसके पहले राज्यपाल ने वन मेले के स्टॉलों का अवलोकन और मेले पर केन्द्रित स्मारिका का विमोचन किया।
वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने बताया कि इस वर्ष वन मेले में 2 लाख 50 हज़ार नागरिकों की उपस्थिति रही। लगभग 3 करोड़ रूपए के वनोपज उत्पादों का विक्रय हुआ। मेले में 28 करोड़ मूल्य के एमओयू साइन किये गये, जो विगत वर्ष से दो-गुने हैं। क्रेता-विक्रेता संवाद से बिचौलियों को हटाने का प्रयास किया गया ताकि वनोपज़ संग्राहक सीधे बड़े संस्थानों से जुड़े एवं उन्हें उत्पाद के बेहतर मूल्य प्राप्त हों। मंत्री डॉ. शाह ने आगामी दिवसों में किए जाने वाले कार्यों विशेषकर महुआ से च्यवनप्राश, चाकलेट आदि उत्पाद बनाये जाने की भी जानकारी दी।
फरवरी-मार्च में इंदौर में लगेगा वन मेला
मंत्री डॉ. शाह ने कहा कि इंदौर में फरवरी-मार्च 2023 में वन मेला लगवाया जायेगा। उन्होंने भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के सूत्रधार सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही.आर. खरे और श्री दवे का विशेष रूप से आभार माना।
अपर मुख्य सचिव वन एवं प्रशासक मप्र लघु वनोपज संघ श्री जे.एन. कंसोटिया ने लघु वनोपज संघ द्वारा आगामी दिवसों में किए जाने वाले हितग्राहीमूलक कार्यों की जानकारी दी। प्रबंध संचालक लघु वनोपज संघ श्री पुष्कर सिंह ने वन मेले की उपलब्धियों और संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। पीसीसीएफ़-सह-वन बल प्रमुख श्री रमेश कुमार गुप्ता सहित वन विभाग एवं लघु वनोपज संघ के अधिकारी, कर्मचारी और वनोपज विक्रेता उपस्थित थे। अपर प्रबंध संचालक श्री भागवत सिंह ने आभार माना।
हिन्दुस्थान संवाद
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