इंजीनियर, डाक्टर, सैनिक, एवं शिक्षक बनना चाहते है विद्यार्थी, आदिवासी विकासखंड में शिक्षा की अलख जगा रही आमगांव शाला

सिवनी, 29 नवंबर। सिवनी। कुरई विकासखंड जो मूलत: आदिवासी क्षेत्र के रूप जाना जाता है लेकिन यहां पर शिक्षा के क्षेत्र में प्रकाश की किरण नजर आ रही है, लॉकडाउन के बाद यहां शासकीय प्राथमिक माध्यमिक शाला आमगांव को एक शाला एक परिसर से जोड दिया गया और वर्तमान में यहां के शिक्षकों के कारण यह शाला अपनी अलग पहचान बना रही है।


यहां पर कक्षा 7वीं की आयुष चंद्रवंशी को 23 का पहाड़ा तथा राजेश्वरी चंदेल को 19 का पहाड़ा कण्ठस्थ याद है, इसी तरह शीतल चंदेल महिमा चंदेल भी अपने कार्यो में निपुण है।


अंग्रेजी एवं हिन्दी भाषा में राइटिंग की सुंदरता देख दुर्गेश्वरी सनोडिया को तो लोगों ने पुरूस्कृत भी किया है, इस शाला में प्रायमरी में 43 तथा माध्यमिक 42 बच्चे है, जो पूर्ण लगन के साथ अध्यापन कार्य करते है, घर में पढ़ाई का वातावरण ना होने के बावजूद प्रधानपाठक घनश्याम ठाकुर द्वारा बच्चों को हिन्दी अंग्रेजी माध्यम से अध्यापन कराते है, सहायक शिक्षक अविनाश पाठक द्वारा शाला में बच्चों को विभिन्न कहानियों के चित्र के माध्यम से प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है, वही भूगोल के ग्रह नक्षत्र की जानकारी भी दी जा रही है।
इतना ही नही गिनती, पहाड़ा, गणित नापतौल दिन की गणना जैसे अनेक प्रकार के प्रयोग किये जा रहे है न्याज खान ने बताया कि वर्तमान में जिला शिक्षा अधिकारी रविसिंह बघेल एवं जिला शिक्षा केन्द्र प्रभारी गोपालसिंह की प्रेरणा से शाला को उन्नयन का सौभाग्य मिला है।
बच्चों ने बताया कि वह अध्यापन के पश्चात इंजीनियर, डाक्टर, सैनिक, पुलिस एवं शिक्षक बनना चाहते है और यहां पर दी जा रही शिक्षा से हम संतुष्ट है, बच्चों ने बताया कि कोरोना के कारण हम कम खेलने को मिलता है तथा इस बार हम कुछ अच्छा करेगे तथा परीक्षा फल में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे, शिक्षक राजू बघेल ने बताया कि शिक्षक समाज का दर्पण है और क्षेत्र के लोगों के प्रयास से कुछ नया करने का हमने लक्ष्य रखा है।


शिक्षक सीमा चौरसिया ने बताया कि इस शाला में प्रवेश के दौरान जो कमजोर थे उन बच्चों को नवाचार के तहत प्रयोग कर उन्हें अन्य विद्यार्थियों की तरह मजबूत करने का प्रयास किया जा रहे है, कुसुम सोनी ने बताया कि बच्चों का शाला के प्रति लगाव के कारण मन में इनके भविष्य को लेकर कुछ करने की भावना है राजकुमार टेभरे ने कहा कि इन बच्चों के प्रोत्साहन के लिए समय समय पर लोगों आते रहे तो इन बच्चों का मनोबल बढ़ेगा। प्रधानपाठक ने कहा कि पहले इस शाला के बच्चों को अन्य शाला में प्रवेश नहीं दिया जाता था लेकिन अब इस शाला के बच्चों को प्रवेश के लिए अन्य शालाएं ललायित रहती है।

हिन्दुस्थान संवाद

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