सिवनीः बारात तो निकली मगर विवाह ना हुआ, नेमी कुमार का वैराग्य देता है प्रेरणाः आदित्यसागर

पंचकल्याणक महोत्सव में आज ज्ञान कल्याणक
सिवनी, 21 अप्रैल। नेमीकुमार का विवाह राजुल से होने के लिए बारात निकाली गई, बारात में सौधर्म इंद्र कुबेर सनत कुमार इंद्र यज्ञ नायक श्री कृष्ण बलराम सहित समाज के बारातियों के साथ बारात राजुल के यहा पहुंचती है, लेकिन बारातियों के भोजन के लिए पशु हिंसा को देखकर नेमीकुमार का वैराग्य उत्पन्न हो जाता है, और राजुल भी वैराग्य धारण करती है हृदय को छुती यह कृति ने लोगों को झकझोर दिया निश्चित ही हमें भी ऐसे प्रसंगो से प्रेरणा लेना चाहिए।

उक्त उद्गार गुरूवार को शौरीपुर बटेश्वर धाम (बडा मिशन स्कूल ग्राउंड सिवनी) में मुनिश्री आदित्य सागर ने नेमीनाथ पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर व्यक्त किये।

आपने आगे कहा कि साधना जब विशुद्धता की परम ऊचाईयों का संस्पर्श करने लगती है तब बोधि की प्राप्ति होती है।



बोधि की प्राप्ति से उपजा अशोक वृक्ष जीवन के उस शोक रहित अर्हंत पद का संसूचक है जो बलज्ञान होने पर प्राप्त होता है। इस बोधि लाभ को ही दिव्य ज्ञान, केवलज्ञान कहते है यह केवलज्ञान सूर्यादय के पूर्व प्रकट होने वाली प्राची की उस लालिमा के सदृश है, जो निर्वाण रूप सूर्यादय का होना सुनिश्चित कर देती है। यह ज्ञान वह दिव्य ज्ञान है जो अपने आलोक से सारे संसार को प्रकाशित कर मंगलकारी मुक्ति का संदेश देता है। ज्ञान दर्पण में कण कण का झलकन, फिर भी निजानंद का अनुभवन यही इस ज्ञान की दिव्यता है विशेषता है।

10 रथो में इंद्रो की सवारी के साथ महिला पुरूषों ने नृत्य व उत्साह के साथ अपनी भक्ति प्रकट की, आयोजन में नरेश दिवाकर मिलन बाझल, सेठ प्रभात जैन, आनंद जैन, सुनिल जैन, प्रशात जैन, पारस जैन, सनमत जैन अभय जैन, विजय जैन, शालू जैन, संजय दास जैन, आदि विशेष योगदान रहा। आयोजन में श्रीमति नीलम बाझल, सारिका जैन, शालू जैन, सुशीला बागड, सोनल जैन, सहित अनेक लोगों का योगदान रहा, आयोजन में संजय जैन विपनेश जैन का योगदान रहा।
हिन्दुस्थान संवाद