सिवनीः बैंक बचाओ-देश बचाओ, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री हाय, हाय के नारे लगा बैंक कर्मीयों ने की हड़ताल
सिवनी, 16 दिसंबर(हि.स.)। जिले के नगरीय क्षेत्र में गुरूवार की दोपहर को बैक कर्मीयों द्वारा बैक-बचाओं, देश बचाओं ,प्रधानमंत्री , वित्त मंत्री हाय, हायर के नारे लगाते हुए कचहरी चौक तक अपना विरोध प्रदर्शन कर निजीकरण का विरोध किया। इस दौरान सुबह से ही बैंकों में ताले जडे रहे। जिससे उपभोक्ता दिन भर परेशान हुए।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये कृषि कानून के विरोध में किसान संगठनों के द्वारा किये जाने वाले आंदोलनों को लेकर केंद्र सरकार के संवैधानिक पदों पर विराजमान और सत्ता सरकार से जुड़े हुये संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा किसान आंदोलन को अनेकों प्रकार के नाम दिये गये थे, इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि कृषि कानून के विरोध में किसानों को व किसान संगठनों को भड़काया जा रहा है, उन्हें कृषि कानून के फायदे नहीं मालूम है, कृषि कानून का दुष्प्रचार किया जाने का आरोप भी लगाये गये थे। वहीं किसानों के द्वारा निरंतर आंदोलन करने के बाद केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और कृषि कानून वापस लिये जाने की घोषणा की गई, इसके बाद अन्य शर्तों के आधार पर लिखित में मिलने के बाद किसान संगठनों के द्वारा किसान आंदोलन को समाप्त किया गया।
बैंकिंग कानून संसोधन बिल वापस लो, वापस लो
अब बैंकों के निजीकरण किये जाने के लिये संसोधन बिल लाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी भी केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में सड़क पर उतरकर प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री पर नाराजगी जाहिर कर रहे है। देखा जाये तो बैंक में नौकरी करने वाले उच्च शिक्षित होते है उन्हें तो कोई भड़का नहीं सकता है और न ही बहका सकता है। उन्हें तो बैंकिंग कानून संसोधन बिल के लाभ हानि समझ आ रहे होंगे। तभी तो बैंक कर्मचारियों के द्वारा बैंकिंग कानून संसोधन बिल वापस लो, वापस लो के साथ बैंक बचाओ-देश बचाओ के बैनर पोस्टर, निजीकरण बंद करो की तख्ती उठाकर बैंक में कार्य करने की बजाय सड़क पर आना पड़ रहा है।
निजीकरण का विरोध दर्ज कराते हुये जमकर हल्ला बोल करते हुये की गई नारेबाजी
केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण किये जाने के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों का विरोध जताते हुये यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स द्वारा 16 व 17 दिसंबर को बैंक हड़ताल का आहवान किया गया था। जिसके तहत 16 दिसंबर को भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा और मंगलीपेठ शाखा में ताला लटका रहा, वहीं कर्मचारियों ने प्रातः 10.30 बजे से बैंक प्रांगण में एकत्रित होकर बैनर-तख्ती लेकर निजीकरण किये जाने का विरोध दर्ज कराते हुये जमकर हल्ला बोल करते हुये नारेबाजी किया।
रैली निकालकर, कचहरी चौक तक दर्ज कराया विरोध
गुरूवार को भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा के कर्मचारियों ने बैंक प्रारंभ होने के समय से ही गेट पर ताला बंद कर विरोध दर्ज कराया। बैंक प्रांगण में विरोध दर्ज कराने के बाद बैंक कर्मचारियों ने भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा से रैली निकालकर नारेबाजी करते हुये कचहरी चौक तक केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे निजीकरण का विरोध दर्ज कराया।
सार्वजनिक क्षेत्र से जनता को ये होगा फायदा
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आहवान 16 व 17 दिसंबर को बैंक की जारी हड़ताल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र से जनता को क्या-क्या फायदा होगा एवं निजीकरण से क्या-क्या नुकसान होंगे इसकी भी जानकारी दी जा रही है। इसके लिये यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स सिवनी इकाई द्वारा प्रसार-प्रचार किया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य बैंकिंग सुविधा को आम जनता तक पहुंचाना है, सेवा शुल्क आदि में पादर्शिता, सरकारी अस्पताल या स्कूल में कम खर्च पर आमजनों को सेवा देना, सार्वजनिक क्षेत्र में जमा पैसों के सुरक्षित रहने का भरोसा, सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक ग्रामीण विकास के लिये ज्यादा शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र में खोलती है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा राशि को आम जनता के हित में सरकारी नीतियों के अनुसार निवेश किया जाता है, देश के सर्वांगीण विकास में सरकारी बैंकों क अभूतपूर्व योगदान है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लाभ का बड़ा हिस्सा सरकार के पास जाता है जो आम जनता के हित में खर्च होता है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक युवाओं को रोजगार देता है, सरकारी क्षेत्र के बैंक कभी डूबे नहीं उनको किसी न किसी बैंक में विलय किया गया जिससे पब्लिक का पैसा सुरक्षित है, शिक्षा ऋण 90 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने दिया है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार
कुल 43 करोड़ जनधन खातों में से 40 करोड़ सरकारी खाते सरकारी क्षेत्र के बैंकों के द्वारा खोले गये, देश के छोटे किसानों को कम ब्याज दर पर केसीसी सुविधा, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, विद्यार्थी स्कालरशिप जैसी अन्य जन सेवाएं सरकारी बैंक निःशुल्क सेवा भाव से उपलब्ध कराते है।
निजीकरण से जनता को ये होंगे नुकसान
निजी क्षेत्र का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है, सेवा शुल्क के नाम पर असीमित छिपे हुये खर्च, निजी स्कूल व अस्पताल महंगा होने के कारण आमजनों की पहुंच से बाहर हो जायेगा, निजी क्षेत्र के बैंकों में जमा पैसा के डूब जाने का डर रहेगा, निजी क्षेत्र के बैंक औद्योगिक घरानों, बड़े व्यापारियों के हित में केवल शहरी क्षेत्र में शाखाएं खोलती है, निजी क्षेत्र के बैंक जमा नकदी का जोखिम भरा निवेश लाभ कमाने के उद्देश्य से करते है, निजी क्षेत्र के बैंक सरकारी योजनाओं के प्रति उदासीन रहते है, निजी क्षेत्र के बैंकों का बड़ा हिस्सा सेठों के पास जाता है, निजी क्षेत्रों ने ठेकेदारी प्रथा शुरू की है, अभी तक 736 निजी बैंक भारत में डूब चुके है और उनके ग्राहकों का पैसा भी, निजी क्षेत्र का जनधन खातों में नाममात्र का योगदान है, निजी क्षेत्र के आंकड़े आप केसीसी का क्षेत्र हो, छात्रवृत्ति हो, पेंशन आदि में नगण्य की स्थिति में है वहीं निजी क्षेत्र की बैंक हर प्रकार की सेवा का शुल्क वसूल करते है।
हिन्दुस्थान संवाद