सिवनीः कानूनों की वापसी को ऐतिहासिक बताना गलत है-राजकुमार खुराना

सिवनी, 19 नवंबर। काले कृषि कानूनों के वापसी को लेकर यह बात तो सिद्ध हो चुकी है कि मोदी जी के हटधर्मिता तथा बडे़ उद्योगपतियों एव व्यवसाइयो के हितो को साधने के लिए यह कानून लागू किया जा रहे थे। ये तीनो काले कृषि कानून मोदी द्वारा वापस अवश्य लिये गय,े तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि इन काले कानूनों के वापसी के लिये आंदोलन कर रहें 700 सौ से अधिक किसानों को शहीद होेना पड़ा। इन कानूनों को वापस लिये जाने के बाद कई मीडिया चैनल और भक्त अपनी खाल बचाने के लिये इन कानूनों की वापसी को ऐतिहासिक बता रहें है जोकि एकदम गलत है।यह बातें शुक्रवार की शाम को जारी बयान में जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने कही है।

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राजकुमार खुराना ने कहा कि यह फैसला कैसे ऐतिहासिक हो सकता है जो कि अपने राजनैतिक फायदे के लिये लिया गया हो। अपनी ही गलती को सुधार करना कहा तक ऐतिहासिक हो सकता है ? हाल ही के चुनावों के नतीजो को देखते हुये, आगामी चुनावों में दिख रही हाल के चलते यह फैसला वापिस लिया गया है।
खुराना ने आरोप लगाया कि क्या कानूनांे की वापसी भर से शहीद हुये किसानों की जिंदगीयॉ वापस आ सकती है उन्होंने सरकार से मांग की है कि शहीद हुुये किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाये, और उनके मौत के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये। साथ ही आंदोलनरत किसानों एवं उनके सहयोगियों के खिलाफ लगाये गये सभी प्रकार के मुकदमें वापस लिये जाये। तीनांे काले कानूनों की वापसी किसानों के शांत एवं अहिंसक आंदोलन की जीत है, कांग्रेस पार्टी आरंभ से ही इन तीनों कानूनों के खिलाफ में थी। राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा पूरे मध्यप्रदेश में इन काले कानूनों का विरोध किया गया।
कंग्रेस जिलाध्यक्ष ने आगे कहा कि भाजपा का चाल-चरित्र और चेहरा मोदी के इस फैसले से स्पष्ट झलकता है कि कल तक जो किसान इनके नजरों में आतंकवादी, खालीस्तानी समर्थक, अढतिये थे, आंदोलन जीवी, और पिज्जा हलवा खाने वाले रईस थे उनके सम्मान में सड़को पर बडी बडी कीले ढोंकी गई थी, इसके बावजूद अपनी जायज मांगो के लिये बहादुर किसान निरंतर डटे रहे, दूसरी तरफ सरकार इनकी मांगो को अनसुना करती रही। आगामी चुनावों में दिख रही स्पष्ट हार को देखते हुये कानूनों की वापसी जैसा मुंह की खाने जैसे कदम उठाना पडा। कानूनों को वापस लिये जाने से यह स्पष्ट सिद्ध होता है कि इन कानूनों के जो भी फायदे बताये जा रहें थे वे सभी झूठे थे। मोदी द्वारा लिये गये निर्णयं जनहित में न होकर उनके राजनैतिक हित के लिये होते है। इसके विपरीत यूपीए के शासन काल में श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में जो भी निर्णय लिये जाते थे वे जनहित में होते थे। एक तरफ जहॉ श्रीमती सोनिया गांधी ,मनमोहन सिंह की सरकार ने 2008 में पूरे देश के किसानों का 72000 करोड़ रू. का कर्ज माफ किया था, वही दूसरी ओर 2014 में यूपीए की सरकार ने राहुल गांधी द्वारा लाये गये भूमि अधिग्रहण बिल से देश के किसानों को फायदा हो रहा था, किन्तु उद्योगपतियों को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा था, राहुल गांधी जी ने उद्योगपतियों की नाराजगी के सामने न झुकते हुये, किसान हितों को अपनी प्राथमिकता में रखा। जिसके कारण 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का पूंजीपतियों द्वारा भारी विरोध किया गया और मोदी को जीताने के लिये बडी संख्या में आर्थिक मदद की गई और चुनाव जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका गई। प्रधानमंत्री द्वारा लिये गये तीनों काले कृषि कानून की चाल को देश की जनता और किसान अच्छी तरह से समझ चुके है। जिस पर जिला कांग्रेस देश के किसानों की इस जीत के परिपेक्ष्य में शुक्रवार की शाम 7 बजे जिला कांग्रेस कार्यालय सिवनी में दीप प्रज्जवलित किया जाकर खुशियॉ मनायेगी।
हिन्दुस्थान संवाद

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