Seoni: जिले में चल रहा अवैध ईंट-भट्टों का कारोबार

आज तक सामने नहीं आई प्रशासनिक कार्यवाहियां
सिवनी, 11 फरवरी। जिले में काफी लंबे समय से प्रशासनिक अनुमति बिना अवैध ईंट भट्टों का कारोबार फल फूल रहा है, जहां आये दिन वन विभाग, खनिज विभाग व राजस्व अमले पर अवैध कार्य को संरक्षण देने के आरोप लगते रहते हैं।

फोटो फाइल

ज्ञात हो कि अवैध ईंट भट्टे के कारोबार को लेकर प्रशासनिक कार्यवाहियां सार्वजनिक ना होने से अनेक सवाल खड़े हैं। नगरीय क्षेत्र स्थित 24 वार्डो के हर गली कूचें में भवन निर्माण आसानी से देखे जा सकते है जिनमें इन्ही ईंट भट्टों के द्वारा दी गई ईट आसानी से मिल जायेगी, वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो 2.5 लाख से अधिक ईंटों का निर्माण करने वाले जिले में एक भी व्यक्ति नही है यह सोचनीय विषय है । जिले के आयकर, वाणिज्यकर तथा खनिज , राजस्व विभाग इस संबंध में आज तक जानकारी नही जुटा पाये है कि जिले में कितने ईंट भट्टो का संचालन किया जा रहा है तथा कितनों ने शासन को राजस्व दिया है। कितने 2.5 लाख से अधिक ईट भट्टों के दायरे में है और कितने उससे नीचे के दायरे में है।


देखा जाए तो अवैध ईंट भट्टों के कारोबार को रोकने के लिए खनिज विभाग के अमले को समय-समय पर कार्यवाहियां करनी चाहिए लेकिन सिवनी का खनिज विभाग हाथ पर हाथ धरे हुए कार्यवाहियां करने की बजाए उक्त अवैध कारोबार को संरक्षण दिए हुए है।
सूत्रों की मानें तो जिले में चारों तरफ संचालित ईंट भट्टों को न ही खनिज विभाग से लीज मिली है और ना ही वन विभाग से अनापत्ति। ईंट भट्टों के संचालक वनों से लकडिय़ों की अवैध कटाई कर उसे जलाकर भट्टे पकाते हैं। यह बात भी सामने आई है कि इस अवैध कारोबार के लिए पंचायतों से भी अनुमति नहीं ली जाती।
क्षेत्र में चल रहे इन ईंट भट्टों से अब पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। रहवासी क्षेत्र के पास लगे होने से दिन भर धुंआ फैलता रहता है। कोयला का उपयोग न कर लकड़ी, भूसा, प्लास्टिक सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
मूलतः इस ईंट को पकाने के लिए उच्च स्तरीय कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन राशि बचाने के चक्कर में यह अवैध निर्माता ईट को लकड़ी से पकाते हैं। इस वजह से इससे उठने वाला धुआं पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रावधान अनुसार ढाई लाख से अधिक ईंटों के निर्माण के लिए भट्टा संचालक को प्रशासनिक अनुमति लेना चाहिए लेकिन इस नियम को ताक पर रख कोई भी ईंट भट्टा संचालक यह नहीं दर्शाता कि वह ढाई लाख से अधिक ईंटों का निर्माण करता है। चतुराई पूर्वक ईंट भट्टा संचालक कम मात्रा में छोटे-छोटे भट्टे बनाकर कम मात्रा में ईंट निर्माण दर्शाता है और प्रशासनिक अनुमति से बचता चला आ रहा है। ज्ञात हो कि जिले में हजारों की संख्या में ईंट भट्टों का कारोबार चल रहा है।
क्या है प्रावधान
अगर किसी व्यक्ति को ईंट भट्टे का व्यापार करना है तो उसे मिट्टी उत्खनन के लिए लीज की स्वीकृति लेने के लिए पर्यावरण विभाग की एनओसी, वन विभाग की एनओसी, ग्राम पंचायत की मंजूरी, तहसील की एनओसी, निर्माण करने वाले लोगों का लायसेंस आदि तैयार कराना होगा। तब ही आप कही ईंट भट्टों का व्यापार कर सकते हैं।
नहीं दी जानकारी
सिवनी जिले में संचालित ईंट भट्टो ंके कारोबार भारी संख्या में होने की जानकारी मिलने पर वाणिज्य कर विभाग ने खनिज विभाग सिवनी को पत्र लिखा था लेकिन जानकारियों के अभाव में खनिज विभाग ने वाणिज्य कर विभाग को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है वहीं यह बात भी सामने आई है कि राजस्व विभाग के पास भी यह जानकारी नहीं है कि जिले में कितने ईंट भट्टे संचालित हैं तथा कितनी मात्रा में ईंटों का निर्माण हो रहा है।

इस संबंध में खनिज अधिकारी आर.के.खातरकर से जानकारी चाही गई तो उन्होनें जानकारियों के बारे में आफिस समय का हवाला देते हुए जानकारियों देने मे ंचुप्पी साध ली।
इस संबंध में नायब तहसील निधि शर्मा ने बताया कि उनके पास जानकारी नही है वह एकत्रित करके बता पायेगी।
हिन्दुस्थान संवाद

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