सिवनीः हिंदुत्व पूजा पद्धति नहीं जीवन पद्धति है -विनोद दिनेश्वर

सिवनी, 08 अक्टूबर(हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के पावन अवसर पर आयोजित मंगलवार को गंगेरुआ मण्डल के श्री विजयादशमी उत्सव में संबोधित करते हुए संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख विनोद दिनेश्वर ने कहा कि हिंदुत्व पूजा पद्धति नहीं अपितु जीवन शैली है जीवन पद्धति है। हिन्दू जीवन मूल्यों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति कितनी श्रेष्ठ है जिसमें अपनी पत्नि को छोड़कर सभी महिलाओं को माँ के स्थान पर विराजित किया है। लोकतंत्र में पहले ही दिन से वोट देने का अधिकार भारत में है जबकि दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश अमेरिका में 1920 में वोट देने का अधिकार महिलाओं को लड़ाई लड़ने के बाद मिला ।

1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने जिस बीज को बोया था आज वटवृक्ष बन गया है। लेकिन संघ को और बड़ा करना ध्येय नहीं है, समाज का मस्तक ऊंचा करना ध्येय है। आज हम अनेक क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं। आंतरिक और बाह्य सुरक्षा, आर्थिक आदि मामलों में हम तेजी से प्रगति कर रहे हैं।
मुख्य वक्ता ने कहा कि आज भी कुछ मूलभूत समस्याएं समाज में विद्यमान हैं जिसे समाज को ही हल करना होगा। कोई भी नेता, नारा, पार्टी, विचार, सरकार, अवतार इसको हल नहीं कर सकता है। इसलिए समाज से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हम सबको पांच मूलभूत विषयों पर ध्यान देगा होगा। परिवार व्यवस्था ये भारत की आत्मा है अतः परिवार में संस्कारक्षम वातावरण ये होना ही चाहिए। सामाजिक समरसता का आज भी अभाव दिखाई पड़ता है। यदि हम भारत माता की जय बोलते हैं तो हम सब भारत माँ की संतान है, फिर अश्पृश्यता किस बात की। छुआछूत मुक्त समाज खड़ा करना ही होगा। स्व का बोध प्रत्येक नागरिक के जीवन मे हो। भाषा, भूषा, भोजन, भेषज, भजन और भ्रमण ये स्वदेशी हो। पर्यावरण युक्त जीवन शैली आज की आवश्यकता है। अधिकतम पेड़ लगाना, पानी बचाना और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त अपना घर हो। और हम अधिकार की तो बात करते हैं परंतु कर्तव्य भूल जाते हैं। इसलिए नागरिक कर्तव्य का पालन करना हम सबका दायित्व हो। भ्रष्टाचार मुक्त समाज आज की आवश्यकता है।
आगे उन्होंने कहा कि उक्त बातें जिस दिन समाज अंगीकृत कर लेगा भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। आज भारत सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार जी ने कहा था याचि देहि याचि डोळा, इसी शरीर से इन्ही आंखों से हम भारत को सर्वाेच्च स्थान पर स्थापित होते देखेंगे। वो तो नहीं देख पाए किंतु हम अवश्य देख पाएंगे वो दृश्य दिखाई पड़ रहा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री प्रदोष कटरे प्राचार्य शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय गंगेरुआ तथा खण्ड संघचालक कृपाल सिंह बघेल मंच पर उपस्थित रहे। साथ ही बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और मातृशक्ति की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही।