आबंटित राजसात वाहन को दो वर्षो से बिना शासकीय पंजीयन के चला रहा वन विभाग
सिवनी, 21 फरवरी। सिवनी जिले के दक्षिण सामान्य वनमंडल में एक ओर लापरवाही उजागर हुई है जहां आबंटित राजसात वाहन को बिना शासकीय पंजीयन के लगभग दो वर्षो चलाया जा रहा है। ज्ञात हो कि इसी वनमंडल में बीते जनवरी माह में कलेक्टर उज्जैन के पदनाम से आबंटित बोलेरो वाहन के नंबर का दुरूपयोग करने संबंधी मामला उजागर हुआ था वहीं अब एक आबंटित राजसात लग्जरी वाहन को बिना शासकीय पंजीयन के चलाने का मामला प्रकाश में आया है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक(संरक्षण) मध्यप्रदेश भोपाल आलोक कुमार द्वारा माह अक्टूबर 19 में जारी आदेश में राजसात लग्जरी वाहन मारूति सुजुकी इरेटिका एम.पी. 12 सीए 2631 को उपवनमंडल केवलारी (सामान्य)वनमंडल दक्षिण सिवनी सामान्य को आबंटित किया था।
जारी आदेश में उपवनमंडल अधिकारी केवलारी को यह भी निर्देश दिये गये थे कि राजसात वाहन और वाहन से संबंधित अभिलेख प्राचार्य , रेंजर कालेज , बालाघाट से प्राप्त कर पालन प्रतिवेदन इस कार्यालय को भेजे। साथ ही वाहन का शासकीय पंजीयन आरटीओ भोपाल से प्राप्त कर वाहन पर अंकित करावें।
जिस पर तात्कालीन उपवनमंडल अधिकारी ने बालाघाट से राजसात वाहन तो प्राप्त कर लिया लेकिन शासकीय पंजीयन संबंधी कार्यवाही करने के पहले से ही वाहन का संचालन करना प्रांरभ कर दिया। शासकीय पंजीयन की कार्यवाही पर ध्यान न देते हुए राजसात वाहन के नंबर का उपयोग करते हुए उस वाहन में होने वाले समस्त खर्चो का आहरण भी राजसात वाहन के नंबर से किया गया है। विभागीय सूत्रों की मानें तो शासकीय पंजीयन की कार्यवाही उपवनमंडल ने किया लेकिन उस पर ध्यान न देते हुए कार्यवाही दो वर्षो तक ठंडे बस्ते में पडी रही।
ज्ञात हो कि कलेक्टर उज्जैन के पदनाम से आबंटित बोलेरो वाहन क्रमांक एम.पी.02 एवी 4841 वाहन के नंबर का उपयोग कर वाहन संचालन किया जा रहा था जिसे भोपाल स्तरीय अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद डीएफओ दक्षिण सामान्य वनमंडल के निर्देशों के आधार पर कान्हीवाडा रेंजर द्वारा बदलकर एम.पी.02 एवी 4845 कर दिया गया था जिसकी जांच के लिए वनमंडल अधिकारी ने 10 जनवरी 22 को केवलारी उपवनमंडल अधिकारी को तीन दिवस के भीतर बिना स्मरण पत्र के जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा था जिस पर आज दिनांक कोई जांच प्रतिवेदन वनमंडल को प्रस्तुत नही किया गया है।
वन विभाग के विधि विद्धानों के अनुसार भोपाल स्तर से प्राप्त राजसात आबंटित वाहन को शासकीय पंजीयन कराने के उपरांत ही संचालन किया जाना चाहिए। वाहन राजसात होने पर शासन का हो जाता है लेकिन जब तक शासकीय प्रक्रिया पूरी नही होती तब तक वाहनों का संचालन नही करना चाहिए।
विभागीय सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में मामला आने के बाद राजसात लग्जरी वाहन को वनमंडल कार्यालय में खडा कर दिया है। वहीं विभागीय लोगों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि अगर बालाघाट से प्राप्त लग्जरी राजसात वाहन वैध था तो उसें वनमंडल में क्यों खडा कर दिया गया है। वहीं बिना शासकीय पंजीयन कराये बीते दो वर्षो से वाहन संचालन किया जा रहा था तो क्या संबंधित तात्कालीन उपवनमंडल अधिकारी के विरूद्ध वनमंडलाधिकारी उचित कार्यवाही करेगें। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
इस सबंध में मुख्य वनसंरक्षक वन वृत शिव सिंह उद्दे का कहना है कि शासकीय पंजीयन में समय लगता है। उपवनमंडल अधिकारी ने किस आधार पर वाहन का संचालन किया है जानकारी दिखवाते है।
उपवनमंडल अधिकारी केवलारी के.के.निमामा ने इस संबंध में जानकारी देने से अपना पल्ला झाडते हुए व्यस्थता बताई।
हिन्दुस्थान संवाद