सिवनीः उज्जवल भविष्य के लिए मूल्यनिष्ठ संस्कारों का ग्राफ ऊचा उठाना होगा- शिवानी दीदी

(रवि सनोडिया)
सिवनी 06 फरवरी । आज हम सभी क्षेत्रों में देखें तो पाते है कि पिछले पच्चीस तीस वर्षो में आधुनिक संसाधनों के इस्तेमाल से वाह्य जगत में बहुत प्रगति हुई है, मानो यह सब हमें उपहार में मिला है । इसके विपरीत यदि हम आंतरिक जगत को देखें तो वाह्य जगत की तुलना में मनुष्य के अंदर की खुशी, प्रेम, आनंद का ग्राफ दिनो दिन गिरता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि आज हमने अपने मन की स्थिति को परिस्थिति पर निर्भर कर दिया है। कुछ गलतियों के कारण खुशियों का ग्राफ गिरता जा रहा है। आज कौन नही चाहता कि हर कोई खुश रहे यह जिम्मेदारी हमारी स्वयं पर है। हमारे अंदर यह विशेषता होनी चाहिये कि हम हर परिस्थिति में खुश कैसे रहे। अगर हम खुश, स्वस्थ संपन्न रहना चाहते है तो अपने मन को कंट्रोल में रखने की कला को सीखकर मूल्यनिष्ठ संस्कारों का ग्राफ ऊचा उठाना होगा।
उक्ताशय का उद्गार ब्रह्माकुमारी संस्थान की अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता शिवानी दीदी जी ने पॉलीटेक्निक कालेज ग्राउण्ड में आयोजित ‘‘ उज्जवल भविष्य के लिए एक नई शुरुवात’’ विषय पर विशाल जनसमूह के समक्ष रखी। आपने आगे कहा कि अगर किसी ने मुझे अपमानित किया, मेरे साथ गलत व्यवहार किया तो उन्हें क्षमा करना सीखे। क्योंकि आपका सद्व्यवहार ही आपका कर्म है और कर्म ही आपके उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। संस्थान द्वारा सिखलाये जा रहे राजयोग के अभ्यास से हम आत्मा में छिपे देवीय गुणों को वाहर निकाल सकते है एवं निराकार परमात्मा से शक्ति भरकर आत्मा की बैटरी को चार्ज कर सकते है यही राजयोग है।
कार्यक्रम का शुभारंभ शिवानी दीदी एवं इंदौर जोन की क्षेत्रीय निर्देशिका आदरणीय ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी जी के गरिमामय उपस्थिति में प्रशासनिक, राजनीतिक एवं धार्मिक क्षेत्रों से आमंत्रित अतिथिगणों के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में पधारी डॉ0 दामिनी दीदी जी ने सुन्दर गीतों की प्रस्तुति दी। क्षेत्रीय निर्देशिका हेमलता दीदी जी एवं माइंड मेमोरी गुरु ब्रह्माकुमार शक्ति राज जी ने भी अपने उद् बोधन रखे।
दिनांक 5 फरवरी को स्मृति लॉन में आयोजित मैजिक ऑफ मेडीटेशन शिविर के प्रथम सत्र में गुजराज से पधारी ब्रह्माकुमारी डॉ दामिनी दीदी जी ने स्वयं की पहचान आत्मा के रुप में करायी। आपने कहा कि मेरा-मेरा कहने वाली आत्मा और शरीर दोनों अलग अलग है। आत्मा अजर, अमर एवं अविनाशी है जबकि शरीर नश्वर है। आत्मा का स्वधर्म पवित्रता, शांति एवं खुशी है। निरंतर सकारात्मक विचारों से हम स्वयं एवं अन्य को खुशहाल रख सकते है। राजयोग मनुष्य के अंदर छिपी गुण एवं शक्तियों को निकालने एवं उनके जीवन को परिवर्तन करने में जादुई का कार्य करता है। यह शिविर दिनांक 6, 7 एवं 8 फरवरी तक प्रातः 7 से 8ः30 एवं सायं 6 से 7ः30 बजे चलेगा। ज्योति दीदी जी ने अधिक से अधिक संख्या में इस शिविर में शामिल होकर अपने जीवन को खुशहाल बनाने हेतु विनम्र अपील की है।