सिवनीः संजय सरोवर परियोजना से सुविधाजनक सिंचाई की कार्ययोजना

बांध सिंचाई की संपादित क्षमता में विद्युत डीजल मीटर/पंपों आदि से कमांड ऑफ कमांड में सिंचाई करने का प्रावधान नही- कार्यपालन यंत्री
सिवनी, 12 सितम्बर। संजय सरोवर परियोजना तिलवारा बांयी तट नहर संभाग केवलारी अंतर्गत आर.बी.सी. एवं एल.बी.सी. नहरे लगभग 35 से 40 वर्ष पूर्व बनी हुई है। परियोजना का सी.सी.ए. मात्र 32610 हे. (रबी सिंचाई) के लिए था एवं सिंचाई सिर्फ बहाव (कोलावा) से करने का प्रावधान है तथा स्थानीय गेहूं एवं गीदड (चना, तिवड़ा/मसूर/अलसी / सरसों) लगभग 25 से 30 प्रतिशत बोआई प्रावधान है, जिसमें मात्र एक पलेवा दो पानी फसलों के लिए पर्याप्त होता है।
बांध सिंचाई की संपादित क्षमता में विद्युत डीजल मीटर/पंपों आदि से कमांड ऑफ कमांड में सिंचाई करने का प्रावधान नहीं है।
तिलवारा बांयी तट नहर संभाग केवलारी के कार्यपालन यंत्री पी एन नाग ने शुक्रवार को बताया कि वर्तमान में सिंचाई का रकबा 75800 हेक्टेयर हो चुका है, जिसमें लगभग 99 प्रतिशत रकबे में किसानों द्वारा हाईब्रिड गेंहू, मक्का की बुआई की जाती है, एवं अत्यधिक रसायनिक खाद्य का उपयोग किए जाने से फसल पकने के लिए कम से कम 4 से 8 पानी की आवश्यकता होती है।
आगे बताया कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा निर्धारित जलदर अनुसूची में रबी फसल हेतु मक्का फसल की जलदर दर्ज नहीं है मात्र खरीफ फसल हेतु जलदर निर्धारित है। अतः मक्का की बोवाई प्रस्तावित नहीं की जा सकती है हेड क्षेत्र के किसानों द्वारा 12 से 15 दिन में स्वेछाचारिता (संगठित) होकर विभागीय कर्मचारी / अधिकारियों पर दबाब बनाकर नियम विरूद्ध नहर के जल द्वार खोल दिये जाते है अथवा क्षतिग्रस्त किए जाने हैं। बडे-बडे अडावा नहरों में लगाए जाते है जिससे नहर क्षमता से अधिक पानी बहाव के कारण नहर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिस कारण टेल क्षेत्र में किसानों को समय पर पानी नही मिल पाता है। नहरों के अंतिम छोर तक कृषकों को सिंचाई जल पर्याप्त मात्रा में ना मिलने के कुछ तकनीकी बिंदु जैसे सीपेज, सील्टींग, कटाव एवं नहरों के छतिग्रस्त होना आदि कारण भी हैं। जिसके लिए संजय सरोवर परियोजना का ई.आर.एम. का 332.56 करोड़ का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु केन्द्रीय जल आयोग दिल्ली से हो चुका है। टेंडर भी लग चुके है, शीर्घ कार्य प्रारंभ की कार्यवाही की जा रही है।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त तकनीकी तथ्यों / विगत कई वर्षों के किसानों द्वारा किये जा रहे धरना/प्रदर्शन/ज्ञापन को देखते हुए किसानों की समस्या के त्वरित निराकरण हेतु टेल क्षेत्र/मुरम वाली हल्की जमीन के निम्न ग्रामों में पलेवा एक पानी दिया जाकर लोकल गेंहू एवं गीदर जो कम समय एवं कम पानी में पक जाये प्रस्तावित किया जा रहा है। किसानों से अनुरोध हैं कि लाईनिंग होते तक उपरोक्तानुसार फसलों एवं गीदड की बुआई की जावे ताकि समस्या ना होवें।
भीमगढ दांयी तट नहर के अंतर्गत टेल क्षेत्र निम्न ग्रामों में पलेवा एक पानी प्रस्तावित किया जाकर लोकल गेंहूं (कम पानी वाली) एवं गीदड (चना, तेवड़ा, मशहूर, अलसी, मटर, सरसों आदि) की बुआई किया जाना प्रस्तावित हैरू- अलोनीखापा, भादूटोला, पीपरदौन, झोला, कुम्हड़ा, बगलई, डोकररांजी, जामुनपानी, मुनगापार, खैरी, मलारी, बिनेकी, कोहका, कछारी, मैरा मैनापिपरिया उपरोक्त ग्रामों में मात्र पलेवा एक पानी दिया जाना ही संभव है।
इसी तरह तिलवारा बांयी तट नहर के अंतर्गत टेल क्षेत्र निम्न ग्रामों में पलेवा लोकल गेंहू (कम पानी वाली) एवं गीदड़ (चना, तेवड़ा, मशहूर, अलसी, जाना प्रस्तावित है रू-एक पानी प्रस्तावित किया जाकर मटर, सरसों आदि) की बुवाई किया जाना प्रस्तावित है जिसमें खैरी, मलारी, पुर्तरा, किमाची, देहवानी, बुधवारा, डुगंरिया, कोहका, रायखेड़ा, चांदन खेडा, तेंदुआ, सालीवाड़ा, खैररांजी, ग्वारी, केवलारी खेड़ा, बक्शी, बबरिया, छीदा, बिछुआ, खुर्सीपार, माल्हनवाड़ा उपरोक्त ग्रामों में भीमगढ़ नहर अथवा केवलारी खेड़ा जलाशय (छींदा टेल जलाशय) से मात्र पलेवा $ एक पानी दिया जाना ही संभव है।
इसी तरह अंतिम छोर के थांवर नदी से लगे गावं (1) पोंगार, (1) सरई के किसानों जो कि पूर्व वर्षों से ही छींदा टैंक/नहर के पानी पर निर्भर नहीं है। विद्युत मोटर पंपों से थांवर नदी से ही सिंचाई करते है। इन्हें टैंक / नहर से पानी दिया जाना संभव नहीं है। उपरोक्त अस्थायी व्यवस्था स्थानीय जनप्रतिनिधियों /किसानों तथा विभागीय कर्मचारी / अधिकारियों से हुई चर्चानुसार किसानों / शासन हित में अस्थायी रूप से नहरों की लाईनिंग होते तक लागू रहेगी। जिससे जहां एक और किसान अपनी मर्जी से कम पानी वाली फसलें / गीदड़ फसलों की बुआई कर सकेगें एवं विगत कई वर्षों से चले आ रहे धरना/प्रदर्शन / ज्ञापन की समस्या से निजात पा सकेगें।