आत्म-निर्भर म.प्र. के निर्माण में मछली पालन क्षेत्र का अहम योगदान : मंत्री श्री सिलावट
मत्स्य पालन के क्षेत्र में मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में हुई राज्य स्तरीय कार्यशाला
5 देशों तथा 8 राज्यों के प्रतिनिधियों सहित मत्स्य उत्पादकों एवं विक्रेता हुए शामिल
मत्स्य विकास के लिए 5 देशों के साथ साइन हुए एमओआई
भोपाल, 24 सितम्बर।मछुआ कल्याण तथा मत्स्य पालन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में मछली पालन क्षेत्र का अहम योगदान है। प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के मत्स्य पालकों के सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के लिये भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिये अनेक लाभकारी योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू कर उनका लाभ मत्स्य पालकों तक पहुँचाया जा रहा है।
मंत्री श्री सिलावट मत्स्य पालन के क्षेत्र में मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में संपन्न हुई राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में 5 देशों तथा 8 राज्यों के प्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में मत्स्य उत्पादक, मत्स्य पालक एवं मत्स्य विक्रेताओं ने हिस्सा लिया। सांसद श्री शंकर लालवानी, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जयपाल सिंह चावड़ा, विधायक श्री रमेश मेंदोला, केन्द्र सरकार के मछली पालन विभाग के संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा, राज्य सरकार के मछली पालन विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की सुश्री आर. वनिता तथा राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड हैदराबाद के संचालक श्री विजय कुमार भी उपस्थित थे।
कार्यशाला में प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और मीठे पानी की उत्पादित मछली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के लिए विचार-विमर्श हुआ। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के साथ चर्चा भी की गई। प्रदेश में मीठे पानी में उत्पादित होने वाली मछली की मार्केटिंग, ब्रांडिंग, और निर्यात के लिए नई संभावना पर भी विचार किया गया। कार्यशाला में जापान, वियतनाम, थाईलैंड, मॉरीशस तथा नेपाल के प्रतिनिधि भी विशेष रूप से सम्मिलित हुए। इन देशों के प्रतिनिधियों ने म.प्र. सरकार के साथ एमओआई (मेमोरेंडम ऑफ इंटरेस्ट) साइन किया। इन देशों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने और उसके उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर करने के लिए उत्साह दिखाया है। साथ ही तकनीकी सहयोग और मार्केटिंग के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने की बात कही।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश में मछली पालन विभाग द्वारा अनेक नवाचार शुरू किये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे इन नवाचारों से मछुआ समाज के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। प्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के क्षेत्र में लगातार नए प्रयास हो रहे हैं। मछुआ कल्याण विभाग भी इसमें पीछे नहीं है। इस कार्यशाला से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुभव से हम परिचित होंगे। प्रदेश में मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेंगे। देश में अब नीली क्रांति की शुरूआत प्रदेश से होगी। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि मछुआ समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो और प्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने में मत्स्य विकास विभाग महती भूमिका निभाए।
सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने तथा मछुआरों के समग्र कल्याण के लिये विभिन्न योजनाएँ शुरू की गई है। इन योजनाओं से मत्स्य उत्पादन में तेजी से वृद्धि हो रही है। मछुआरों को सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा भी मिली है।
केन्द्रीय संयुक्त सचिव मत्स्य पालन श्री सागर मेहरा ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है। इसका बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस योजना का बेहतर लाभ मछुआरों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये विशेष प्रयास हो रहे हैं। वर्ष 2014 के बाद मत्स्य पालन की ग्रोथ में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष 2021-22 तक ग्रोथ दर 7 प्रतिशत तथा वर्ष 2022 में 10 प्रतिशत दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में रोजगार एवं आर्थिक उन्नति की अपार संभावनाएँ हैं।
प्रमुख सचिव मत्स्य पालन श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला में 5 देश जापान, वियतनाम, थाईलैंड, मॉरीशस तथा नेपाल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। उन्होंने प्रदेश के साथ एमओआई भी साइन किये हैं। इससे प्रदेश में मछली उत्पादन के साथ मार्केटिंग और निर्यात की नई संभावना पैदा होंगी। भारत के 8 से अधिक राज्यों के मछली विभाग के संचालक भी कार्यशाला में शामिल हुए। उन्होंने अपने प्रदेश में मछली उत्पादन और ब्रांडिंग के लिये किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
मात्स्यिकी कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश में मीठे पानी में उत्पादित मछली को नया बाजार उपलब्ध कराने 7 देशों से आए प्रतिनिधियों के साथ चर्चा और एमओआई हस्ताक्षर हुए। इससे प्रदेश में मछली उत्पादन को दोगुना किया जाने में मदद मिलेंगी। झींगा पालन को भी बढ़ावा मिलेगा और दो साल में झींगा उत्पादन दोगुना बढ़ाया जाएगा।
कार्यशाला में बताया गया कि प्रदेश में वर्ष 2022 में मत्स्य बीज का उत्पादन 171 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राइ है, जिसे वर्ष 2023 तक 200 करोड़ किया जायेगा। इससे मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्म-निर्भर बनेगा। अच्छी गुणवत्ता के बीज उत्पादित होने से मत्स्य कृषकों को उन्नत बीज उपलब्ध होंगे और मछली उत्पादन में गुणात्मक सुधार होगा। बताया गया कि प्रदेश में अभी तक मत्स्य पालकों के लिये 43 हजार 500 क्रेडिट कार्ड बनाए जा चुके है।
इस कार्यशाला में मत्स्य महासंघ द्वारा मछुआ प्रोत्साहन राशि और आजीविका सहयोग योजना में 11 करोड़ की राशि का वितरण भी किया गया। साथ ही मछली उत्पादन और विक्रय के लिए मदद करने हेतु 50 मोटरसाइकिल, 100 किसान क्रेडिट कार्ड सहित अन्य योजना का लाभ भी मछुआ युवाओं को वितरित किये गये। प्रदेश में नवाचार के रूप में मार्केटिंग के लिए स्मार्ट फिश पार्लर भी खोले जाएंगे। साथ ही युवाओं को रोजगार के लिए फिश कॉर्नर खोलने पर भी विचार किया जा रहा है।
हिन्दुस्थान संवाद
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