M.P.: पेंच नेशनल पार्क ने बारह वर्षाे में किया बाघों की संख्या में तीन गुना इजाफा
देश में 3682 बाघों की संख्या ,मध्यप्रदेश में 785 बाघ
मध्यप्रदेश में बाघों की गणना अनुसार पेंच पार्क तीसरे स्थान पर, प्रदेश को मिला टाइगर स्टेट का दर्जा
सिवनी, 29 जुलाई। अंर्तराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय बाध गणना 2022 की जारी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 785 बाघों की संख्या के आंकडे सामने आये है। मध्यप्रदेश पुनः टाइगर स्टेट बनने की घोषणा के बाद जो 785 बाघों के आंकडे सामने आये है जिसके अनुसार मध्यप्रदेश में पेंच टाईगर रिजर्व तीसरे स्थान पर है।
जारी रिपोर्ट में बताया कि देश में 3682 बाघों की संख्या है। वहीं सेंटल इंडियन लेंडस्केप एंड ईस्टन घाट जिसमें आंधप्रदेश, तेलंगाना,छत्तीसगढ , झारखंड, मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, ओडिसा, राजस्थान और सेंटल इंडियन लेंडस्केप एंड ईस्टन घाट में कुल बाघों की संख्या 1439 बताई गई है। वहीं मध्यप्रदेश में बीते वर्षाे के आंकडांे में गौर करे तो वर्ष 2006 में 300, वर्ष 2010 में 257, 2014 में 308, 2018 में 526 तथा वर्ष 2022 में 785 बाघों की संख्या के आंकडे सामने आये है।
इसी प्रकार जारी रिपोर्ट में बताया गया कि मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्वों का उपयोग करने वालों बाघों की संख्या जिनमें बाधवगढ में 165 , कान्हा में 129 पन्ना में 64 , पेंच नेशनल पार्क में 123 संतपुडा में 62 और संजय डुबरी में 20 बाघ होना बताये जा रहे है।
मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पेंच पार्क की अहम भूमिका
प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पहले दो बार सिवनी जिले में स्थित विश्व विख्यात पेंच नेशनल पार्क की अहम भूमिका रही है। सार्वजनिक हुए आंकडे में गौर करें तो मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्वाे में क्रमशः बाघवगढ में 135, कान्हा में 105 पन्ना में 55, पेंच नेशनल पार्क में 77, सतपुडा में 50 और संजय डूबरी में 16 बाघों के आकंडे सामने आये है।
इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के सिवनी और छिंदवाडा जिले में स्थित है जिसका नामकरण पेंच नदी से हुआ है जो सिवनी एवं छिंदवाडा जिले की सीमा बनानी है तथा पुनः दक्षिण की ओर बहती हुई बाद में महाराष्ट्र तथा म.प्र. की सीमा बनाती है तथा बाद में यह कन्हान नदी में मिलती है जो गोदावरी नदी से मिलकर दक्षिण पूर्वी आंध्रप्रदेश से होकर बंगाल की खाडी में मिलती है।
बाघों की संख्या में तीन गुना बढोत्तरी
वर्ष 1992 में पेंच टाईगर रिजर्व को प्रोजेक्ट टाईगर में शामिल किया गया जिसके 31 वर्ष पूर्ण हो गये है जिसमें पेंच टाइगर रिजर्व में बीते बारह वर्षाे में बाघों की संख्या में तीन गुना बढोत्तरी हुई है। पेंच टाईगर में बाघों के आंकडों पर गौर किया जाये तो वर्ष 2011 में 23 बाघ थे जो वर्ष 2014 में 43 हुये वहीं वर्ष 2018 में 61 तथा वर्ष 2022 में 77 बाघ जो पेंच पार्क क्षेत्र में ही रहते है के आंकडे सामने आये है।
सुपरमाम कालर वाली बाघिन ने 29 शावकों को दिया था जन्म
पेंच राष्ट्रीय उद्यान में सितंबर 2005 में 4 शावकों के साथ जन्मी कालर वाली बाघिन ने पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अहम योगदान दिया। मई 2008 से दिसंबर 2018 के बीच 11 साल में बाघिन ने आठ बार में 29 शावकों को जन्म देकर सबसे ज्यादा शावकों को जन्म देने का विश्व कीर्तिमान बनाया। वही कालरवाली बाघिन की बेटी पाटदेव बाघिन टी-4 पेंच में बाघों का कुनवा बढ़ा रही है, जिसका जन्म ‘सुपरमाम कालरवाली बाघिन’ से साल 2010 में जन्मे पांच शावकों के साथ हुआ था। सुपरमाम के नक्से कदम पर चलकर पाटदेव बाघिन ने 2014 से 2023 के बीच पांच बार में 20 शावकों को जन्म दिया है। पेंच में 13 बाघिन की मौजूदगी मानी जाती है, जो जंगल को बाघों से आबाद कर रही हैं।
पार्क का सशक्त प्रबंधन
पेंच टाईगर रिजर्व के तीन कोर व छह बफर क्षेत्र में सुरक्षा एवं प्रबंधन हेतु 109 बीटों में अधिकारी व कर्मचारी मिलाकर लगभग 201 की संख्या में सेवाए दे रहे है जबकि आज की स्थिति में 91 पद रिक्त भी है। वहीं पार्क में 52 स्थायी कर्मी 08 भूतपूर्व सैनिक व 23 टीपीएफ भी सुरक्षा के कार्य मंे लगे हुए है। पार्क में 107 ग्रामों में 10285 परिवार निवास करते है जहां जनसंख्या 50044 है।
बाघों की संख्या को देख मिल चुका प्रतिष्ठित टी-2 अवार्ड
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रही वर्ल्ड वाल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने बाघों की संख्या तेजी से बढ़ाने पर मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र पेंच टाइगर रिजर्व को संयुक्त रूप से प्रतिष्ठित टी-2 अवार्ड मिल चुका है।
पेंच टाईगर रिजर्व सिवनी के उपसंचालक रजनीश सिंह ने हिस को बताया कि पेंच नेशनल पार्क में दूसरे पार्को की अपेक्षा पार्क के बाहर भी बहुत सारे बाघ है। 77 बाघ है जो सिर्फ पार्क के अंदर रहते है वहीं ऐसे 123 बाघ भी है जो पार्क के अंदर भी रहते है और पार्क के बाहर भी जाते है। जिनमें पेंच पार्क के 77 बाघ भी शामिल है। वहीं 46 बाघ ऐसे है जो क्षेत्रीय और कार्पोरेशन के क्षेत्रों में है यह सिवनी जिले के बहुत ही उत्साह जनक व गौरव की बात है। मानव और बाघ के सहअस्तिव जिले में संभव हो पाया है। पेंच प्रबंधन पार्क के अंदर बाघों का संरक्षण कर रहा है वह भी महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क्षेत्र की जनता अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रही है और उनके कारण ही बाघों का संरक्षण हुआ है। जिसका श्रेय जनता को जाता है। क्षेत्र के लोग सतर्कता बरतते हुए जंगल में जाते है वह बहुत समझदार और जबावदार है। उन्हें बाघ के साथ कैसे रहना है यह जानते है।