विधानसभा चुनाव के हार का ठीकरा दूसरे लोगों पर फोड़ने की बजाय जनता जर्नादन के फैसले को शिरोधार्य करना चाहिए- मोहन चंदेल

विधानसभा चुनाव के हार का ठीकरा दूसरे लोगों पर फोड़ने की बजाय जनता जर्नादन के फैसले को शिरोधार्य करना चाहिए- मोहन चंदेल
सिवनी, 18 दिसंबर। हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधि का झूठा आरोप लगाते हुए गुझे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। मेरे निष्कासन की कार्यवाही दुर्भावनावश की गई है। मुझे ऐसा लगता है कि बरघाट के पूर्व विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया मुझसे दुर्भावना रखते है। इसका परिचय वे विगत पंचायत चुनाव के दौरान भी दे चुके है। जबकि पंचायतों के चुनाव गैर दलीय होते है और उसमें आज तक कांग्रेस या भाजपा किसी भी पार्टी ने कोई कार्यवाही नही की है। जबकि एक ही दल से अनेक लोग पंचायत के चुनाव लडते रहे है। यह बात सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित आर्शीवाद लॉन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सिवनी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी , पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस नेता मोहन चंदेल ने कही है।

अर्जुन सिंह काकोडिया ने विगत नगर परिषद के चुनाव में कांग्रेसी पार्षदों को भाजपा की परिषद बनाने में सहयोग हेतु प्रोत्साहित किया

मोहन चंदेल ने कहा कि पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप झूठा एवं निराधार है। बरघाट क्षेत्र के अनेक कार्यकर्ताओं ने स्वयं बयान जारी करके कहा है कि अर्जुन काकोडिया अपने कर्मों से ही हारे है। उस पर किसी अन्य पर दोषारोपण करना ठीक नहीं है।
चंदेल ने कहा कि मेरे निष्कासन की प्रक्रिया गलत है। बिना मेरा पक्ष सुने , एक पक्षीय कार्यवाही की गई है। यह प्राकृतिक न्याय के सिंद्धात के विपरीत है। निष्कासन तो अर्जुन सिंह काकोडिया का होना चाहिए क्योंकि उन्होनें विगत नगर परिषद के चुनाव में कांग्रेसी पार्षदों को भाजपा की परिषद बनाने में सहयोग हेतु प्रोत्साहित किया। यह घोर पार्टी विरोधी कृत्य है।

सिवनी और बरघाट विधानसभा के प्रत्याशी दुर्भावना से ग्रस्त है

मोहन चंदेल ने कहा कि मुझे पक्की जानकारी है कि विधान सभा सिवनी के प्रत्याशी ने भी शिकायत की है। दोनो ही दुर्भावना से ग्रस्त लगते है। आम जनता एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच मेरी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से कार्यवाही कराई गई है। इनकी नीयत में ही खोट था। अगर ऐसी कोई बात थी तो चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही कार्यवाही करवाना था। पहले इन्होंने मतदान तक चुनाव प्रचार करवा लिया 17 नवम्बर को मतदान सम्पन्न होने के उपरांत 26 नबम्बर को शिकायत की गई तथा 29 नबम्बर को निष्कासन का आदेश निकला। जो कि 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के दो दिन बाद सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुआ। अर्थात ये चुनाव जीत भी जाते तो भी निष्कासन हो ही गया था। परन्तु लोग भूल जाते हैं कि ईश्वर सब कुछ देख रहा है, वो बक्श दिये जाते हैं
जिनकी किस्मत खराब होती है, वो हरगिज नहीं बक्शे जाते जिनकी नीयत खराब होती है।

सिवनी शहर की जिम्मेदारी संभालने की जगह आनंद पंजवानी ग्रामीण क्षेत्र की ओर गये जहां पर कांग्रेस के कार्यकर्ता पहले से ही मजबूती से जुटे हुए थे

मोहन चंदेल ने कहा कि हार का ठीकरा दूसरे लोगों पर फोड़ने की बजाय जनता जर्नादन के फैसले को शिरोधार्य करना चाहिए। मैंने भी 2018 में विधान सभा चुनाव लड़ा था परन्तु मैने किसी को दोष नहीं दिया जबकि कांग्रेस के कई नेता जिन्होने खुलकर भीतरघात किया था। जिला कांग्रेस कार्यालय में बैठकर जिम्मेदार लोग मेरे चुनाव में खिलाफत कर रहे थे। आनंद पंजवानी जो कि जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष थे, लगातार कई दिनों के प्रयास के बाद उनसे भेंट हो पाई थी और मैने उनके सिवनी नगर पालिका चुनाव के अनुभव को देखते हुए सिवनी शहर की जिम्मेदारी संभालने को कहा था परन्तु उन्होंने इस जिम्मेदारी को नहीं संभाला बल्कि वे ग्रामीण क्षेत्र की ओर चले गये जहां पर कांग्रेस के कार्यकर्ता पहले से ही मजबूती से जुटे हुए थे।

जिलाध्यक्ष ने कार्यालय से ही संचालन कर मैदान में जाने की जहमत नही उठाई
चंदेल ने कहा कि वैसे तो श्री खुराना जी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष है। उन्हें चारों विधान सभा में जाना चाहिए था परन्तु उन्होने इस तरह से कार्य किया जैसे कि वो विधान सभा सिवनी के ही अध्यक्ष हो। सिवनी का पूरा चुनाव श्री खुराना जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में लड़ा गया परन्तु वे पूरे समय कार्यालय से ही संचालन करते रहे। मैदान में जाने की जहमत उन्होने नहीं उठाई। अगर उन्हें चुनाव के दौरान भीतरघात की शिकायत प्राप्त हुई थी तो चेतावनी भी देना चाहिए था।

जिन्हे सिर्फ चुनाव हारने का अनुभव है, उनसे ही परामर्श लिया गया

मोहन चंदेल ने कहा कि विधान सभा का पूर्व प्रत्याशी होने एवं जिला पंचायत के कई चुनाव जीतने के अनुभव होने के बावजूद मुझसे किसी प्रकार की कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया। बल्कि जिन्हे सिर्फ चुनाव हारने का अनुभव है, उनसे ही परामर्श लिया जाता रहा गया। मुझे केबल दो मंडलम याने 20 बूथ की जिम्मेदारी दी गई। मैं सौंपे गये क्षेत्र में ही प्रचार करता रहा। जिसकी पुष्टि कोई भी व्यक्ति संबंधित क्षेत्र के बूथ, सेक्टर, मंडलम, ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष से कर सकते हैं। जब पूरा चुनाव ही संगठन ने मिलकर लड़ा है तो जिम्मेदारी भी सभी को सामूहिक रूप से लेना चाहिए। केवल दो लोगों पर हार का ठीकरा फोडकर आप मुक्त नहीं हो सकते। बल्कि आपको नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्याग पत्र की पेशकश करना चाहिए थी।

चंदेल ने कहा कि मैं अपनी बात पार्टी के प्रदेश एवं राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष रखूंगा में आसानी से हार मानने वाले लोगों में से नहीं हूँ। है नहीं मंजूर मुझको, मोर्चे का फैसला । जंग को लड़ने से पहले, हार कैसे मान लूं।
चंदेल ने कहा कि मेरे पास सभी विकल्प खुले हैं। मैं अपने साथियों एवं सर्मथकों के साथ विचार विमर्श करके आगे की कार्यवाही का खुलासा करूंगा। अभी जो समय बचा है उसे प्रभु श्री राम की सेवा में एवं अपने समाज व ओ.बी.सी. संगठन को मजबूत बनाने हेतु लगाऊंगा। समाज की सेवा करने के लिए किसी राजनैतिक दल का सदस्य होना आवश्यक नहीं है।

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