अनुकरणीय पहल: वनफल व लुप्त होते अनाज का उत्पादन कर वनधन केन्द्रों में स्वरोजगार से जुडी वनांचल की आदिवासी महिलाएं
कोदो कुटकी के मिल रहे स्वादिष्ट व्यंजन, धूमा बंजारी में वनधन विकास योजना से होगा काम
06 वनधन केन्द्रो में वनांचल के कुल 1800 उद्यमी कार्य कर रहे है जिससे वनधन केन्द्र सशक्त होते जा रहे है
सिवनी, 02 सितम्बर। जिले के उत्तर सामान्य वनमंडल अंतर्गत आने वाले परिक्षेत्र धूमा स्थित बंजारी गार्डन जो कि हर्बल चाय के लिए प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर में प्रसिद्ध है। जिसमें अब वनांचल की आदिवासी महिलाएं वन फल के अलावा लुप्त होते अनाज का उत्पादन कर उनके उत्पाद और व्यंजन तैयार कर बेचा जाएगा। वनांचल की आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए यह अनुकरणीय पहल वन विभाग ने की है।
उत्तर सामान्य वनमंडल के उपवनमंडलाधिकारी गोपाल सिंह ने शुक्रवार को बताया कि उत्तर सामान्य वन मंडल के धूमा स्थित बंजारी गार्डन में महिलाएं ढाबा संचालित करेंगी। दरअसल, प्रधानमंत्री वनधन विकास योजना के अंतर्गत टेस्ट ऑफ वनधन केंद्र संचालित किया जा रहा है। ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ लघुवनोपज उत्पादों की खरीद और मूल्य अवसर व प्रशिक्षण कराया जा रहा है। विभाग का कहना है कि स्थानीय बाजारों में लघुवनोपजों का व्यापार जनजातीय समुदाय के लिए आसान है।
बताया गया कि इन केन्द्रो को वनधन केन्द्रों के समूह व वनांचल की आदिवासी महिलाएं संचालित करेगी जिसका मुख्य उद्देश्य है कि आदिवासियों का आर्थिक उत्थान और उनमें एन्टरप्रेन्योरशिप( उद्यमिता) को डेव्हलप करना है। आजीविका मिशन का भी इसमें सहयोग लेते हुये कार्य कर रहे है। गुरूवार को वनमंडलाधिकारी वासु कनौजिया द्वारा वनधन केन्द्र बंजारी एवं पायली में नाईट कैफे का शुभांरभ किया गया है। इस दौरान उत्तर सामान्य वनमंडल के वनमंडलाधिकारी वासु कनौजिया, सुश्री गीताजंली जै (प्रशिक्षु आईएफएस) उत्तर सामान्य के उपवनमंडलाधिकारी गोपाल सिंह, उत्पादन के एसडीओ प्रियंका बामनिया, वन परिक्षेत्र अधिकारी सिद्धार्थ दीपांकर, सिद्धार्थ तिवारी, रूचि पटेल सहित अन्य वन अधिकारी व वनांचल की आदिवासी महिलाएं,समूह के सदस्य उपस्थित रहे।
बताया गया कि एक वनधन केन्द्रो में 15 समूहों का कलस्टर बनता है जिसमें कुल 300 और वनमंडल के अंतर्गत आने वाले 06 वनधन केन्द्रो में वनांचल के कुल 1800 उद्यमी कार्य कर रहे है। जिससे वनधन केन्द्र सशक्त होते जा रहे है। समूह आम, आंवला, सतावर का अचार, चंदन की लकडी के छिलके से हवन साम्रगी, अर्जुन चाय, हर्बल चाय, चिरौजी के लड्डू, महुआ के लड्डू आदि विभिन्न कार्य कर रहे है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2001 से धूमा स्थित बंजारी गार्डन संचालित किया जा रहा है जिसमें अब महिलाएं आग्रेनिक खेती के माध्यम से लुप्त होते अनाज का उत्पादन कर उनके उत्पाद और उत्पादों को व्यंजनों के रूप में बनाकर विक्रय करेगी।
ये मिलेगा वनधन केंद्र में
स्वरोजगार से जुडकर महिलाए वनधन केन्द्रो में गक्कड़ भरता, सवा चावल की खीर, मक्के की रोटी, कुटकी खीर, मठापना, बाजरा की रोटी, हर्बल चाय आदि आदिवासीय क्षेत्रों के उत्पाद ग्राहकों को देगी। इसके अलावा इन केन्द्रो में आंवला, अचार आंवला मुरब्बा, कुटकी चावल सवा चावल, चिरौंजी लड्डू, महुआ वर्धन के लिए लड्डू भी मिलेंगे। इससे ग्रामीणों की आय बढ़ेगी और लोग भी इससे अधिक जुड़ेंगे। ज्ञात हो कि पिछले साल बंजारी केंद्र में उत्पाद भी बेचे गए थे जिससे महिलाओं को फायदा हुआ था। छपारा के समूह ने 50 किलो आंवले से अचार तैयार कर बेचा था। हर्बल चाय एक इम्यूनिटी बूस्टर है जो कफ, सर्दी, खासी और रक्तचाप नियंत्रण में मददगार है। आंवला अचार एवं मुरब्बा को भाप द्वारा विटामिन सी को संरक्षित करते हुए पकाया जाता है।
हिन्दुस्थान संवाद
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