भोपाल: वन विहार में अब सुनाई नहीं देगी बाघिन मचमची की दहाड़
भोपाल, 11 मई (हि.स.)। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में अपने व्यवहार से सभी का मन मोह लेने वाली बाघिन मचमची की दहाड़ अब सुनाई नहीं देगी। बुधवार सुबह बाघिन मचमची अपनी हाउसिंग में रहस्यमय तरीके से मृत पाई गई। पोस्टमार्टम के उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में बाघिन मचमची का अंतिम संस्कार किया गया।
बाघिन मचमची को अक्टूबर, 2018 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उमरिया से रेस्क्यू करके वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया था। मचमची जल्द ही यहां के वातावरण के अनुरूप ढल गई थी और पूरी तरह स्वस्थ थी। वन विहार प्रबंधन के अनुसार उसने बीते दो दिनों से सामान्य भोजन नहीं किया था, लेकिन वह पहले भी ऐसा करती रही है। मंगलवार देर रात तक भी वह लायन हाउसिंग क्रमांक-1 में पूरी तरह स्वस्थ देखी गई। लेकिन बुधवार अलसुबह 4.45 बजे जब गश्ती दल उसकी हाउसिंग में पहुंचा, तो वह बेहोश पड़ी दिखाई दी।
बुधवार सुबह वन विहार के डॉ. अतुल गुप्ता ने उसकी जांच की, तो वह मृत पाई गई। मचमची का पोस्टमार्टम राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला की डॉ आरती सक्सेना, राज्य पशु चिकित्सालय के डॉ. प्रवेश भारद्वाज, वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट के डॉ. प्रशांत देशमुख, वाइल्ड लाइफ एसओएस के डॉ. रजत कुलकर्णी समेत अन्य डॉक्टर्स एवं अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया। बाघिन मचमची के आंतरिक अंग परीक्षण के लिए स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर तथा पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल भेजे जा रहे हैं। पोस्टमार्टम के उपरांत अधिकारियों एवं वनविहार स्टाफ की उपस्थिति में बाघिन मचमची का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 11 वर्षीय बाघिन मचमची के निधन के बाद अब वन विहार में 13 बाघ शेष रह गए हैं।
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार/ केशव दुबे
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