कोई भी ग्रह अपनी दशा या अंतर्दशा में ही सामान्य रूप से अपना फल प्रदान करता है ।

👉इस मे कुछ आचार्यों ने अप्वादरूप नियम भी दिए हैं जैसे कि शनि की दशा में शुक्र और शुक्र की दशा में शनि का फल । किंतु हम बजाय गहन विचार किये ,सामान्य और सर्व सम्मत नियमों का ही विचार करेंगे । 👉मुख्य रूपसे दशा फल कथन का आधार होती हैं | प्रत्येक ग्रह अपने स्वभाव और स्थिति के अनुसार दशा आने पर किस प्रकार से फल प्रदान करता हैं ,उस के बारेमें कुछ नियम |🍀 1 परम ऊंच-इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे श्रेष्ठ फल देता हैं |☘️ 2 ऊंच –ऊंच राशि का ग्रह अपनी दशा मे प्रत्येक प्रकार का सुख प्रदान करता हैं |☘️ 3 आरोही-अपनी ऊंच राशि से एक राशि पहले का ग्रह अपनी दशा आने पर धन्य धान्य की वृद्दि एवं आर्थिक दृस्ती से संपन्नता देता हैं |

☘️ 4 अवरोही-अपनी ऊंच राशि से अगली राशि पर स्थित ग्रह अपनी दशा मे रोग,परेशानी,मानसिक व्यथा व धन हानी प्रदान करता हैं |☘️ 5 नीच- नीच राशि का ग्रह अपनी दशा मे मान व धन हानी करवाता हैं |☘️ 6 परम नीच –इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे ग्रह क्लेश,परिवार से अलगाव,दिवालियापन,चोरी व अग्नि का भय प्रदान करता हैं |☘️ 7 मूल त्रिकोण –इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर भाग्यवर्धक एवं धन लाभ कराने वाला होता हैं |☘️ 8 स्वग्रही-इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर विद्या प्राप्ति,यश बढ़ोतरी व पदोन्नति करवाता हैं |☘️ 9 अति मित्र-अति मित्र ग्रह स्थित ग्रह अपनी दशा मे वाहन व स्त्री सुख देने वाला तथा विभिन्न मनोरथ पूर्ण करवाने वाला होता हैं |☘️ 10 मित्र ग्रह-इसका ग्रह अपनी दशा मे सुख,आरोग्य व सम्मान प्रदान करने वाला होता हैं |☘️ 11 सम ग्रह- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे सामान्य फल प्रदान करने वाला व विशेष भ्रमण करवाने वाला होता हैं |☘️ 12 शत्रु ग्रह-इसमे बैठे ग्रह की दशा मे स्त्री से झगडे के कारण मानसिक अशांति प्रदान करता हैं |☘️ 13 अति शत्रु- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे मुकद्दमेबाजी,व्यापार मे हानी,व बंटवारा करवाने वाला होता हैं |☘️ 14 ऊंच ग्रह संग ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा मे तीर्थ यात्रा वा भूमि लाभ करवाने वाला होता हैं |☘️15 पाप ग्रह संग ग्रह- यह ग्रह अपनी दशा मे घर मे मरण,धन हानी प्रदान करता हैं |☘️16 शुभ ग्रह के साथ ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा आने पर धन धन्य की वृद्धि,धनोपार्जन व स्वजन प्रेम आदि का लाभ देता हैं |☘️ 17 शुभ द्रस्ट ग्रह-यह ग्रह अपनी दशा मे विधा लाभ,परीक्षा मे सफलता,तथा ख्याति प्राप्त करवाता हैं |☘️ 18 अशुभ द्रस्ट-इस ग्रह की दशा मे संतान बाधा,अग्निभय,तबादला तथा माता पिता मे से एक की मृत्यु होती हैं |इनके अलावा कुंडली मे दशाओ का फलादेश करते समय कई अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जिनमे कुछ बाते इस प्रकार हैं |(1) 👉 लग्न से 3,6,10,व 11वे भाव मे स्थित ग्रह की दशा उन्नतिकारक व सुखवर्धक होती हैं |(2) 👉 दशानाथ यदि लग्नेश,नवांशेश,होरेश,द्वादशेश व द्रेष्कानेश हो तो उसकी दशा जीवन मे मोड या बदलाव लाने मे सक्षम होती हैं |(3) 👉 मांदी जिस स्थान मे हो उस राशि के स्वामी की दशा रोग प्रदान करने वाली होती हैं |(4) 👉 अस्त/वक्री/युद्ध मे सम्मिलित ग्रह की दशा अशुभ फल प्रदान करती हैं(5) 👉 संधिगत ग्रह,6,8,12 वे भाव के स्वामी की दशा अनिश्चय प्रधान होने से पतन की ओर ले जाती हैं |(6) 👉 नीच और शत्रु ग्रह की दशा मे परदेश मे निवास,शत्रुओ व व्यापार से हानी तथा मुकदमे मे हार होती हैं परंतु नीच कार्यो से लाभ मिलता हैं |(7) 👉 राहू व केतू यदि कुंडली मे 2,3,6 या 11 वे भावो मे हो ना तो इनकी दशा मे अशुभता ही मिलती हैं |

श्री अवनीश सोनी
ज्योतिष एवम वास्तु शास्त्री
जिला-सिवनी(म.प्र.)
मो.7869955008

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