श्रावणमास प्राणरक्षक एवं मुक्ति प्राप्ति प्रयोग
सामग्री मोक्षदा माला
यह प्रयोग कोई भी साधक कर सकता है, साधक को चाहिए कि श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से यह प्रयोग प्रारंभ करें और श्रावण की पूर्णिमा को इसका समापन करें। साधक स्नान कर साफ धुले वस्त्र पहनकर पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठ जाएं और सामने शिव प्रतिमा या चित्र रखें चांदी या तांबे की तश्तरी में मोक्षदा माला स्थापित कर उसकी पूजा करें।तत्पश्चात नीचे दिए गए निम्न प्राणरक्षक कवच का साधक नित्य 5 पाठ करें। मोक्षदा माला पहन लें इस प्रकार नित्य प्रयोग करते हुए पूरे 30 दिन यह प्रयोग करें तो निश्चय ही साधक मरणोंपरांत शिव धाम जाता है और उसे अपने जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।इस प्राणरक्षक कवच मुक्ति प्रप्ति कवच, शिव सायुज्य कवच भी कहा जाता है। यह कवच गोपनीय होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी है। अतः इसका प्रयोग प्रत्येक साधक को अवश्य ही करना चाहिए।
विनियोग
भैरव उवाच-वक्ष्यामिदेव कवचं मंगलं प्राणरक्षकम आहेरात्रं महादेवक्षार्थ देवमण्डितम अस्य श्री महादेवकवचस्य वामदेव ऋषिः पंक्ति छन्द सौः बीजं रूद्रो देवता सर्वार्थसाधने विनियोगः।यह विनियोग है अतः इसे एक बार ही पढ़ना है। अब नीचे कवच दिया जा रहा है जिसके पांच पाठ नित्य होने चाहिए।
प्राण रक्षक कवच
रुद्रो मामग्रतः पातु पृष्ठतः पातु शंकरःकपर्दी दक्षिणे पातु वामपार्श्वे तथा हरः ||1||
शिवः शिरसि मां पातु ललाटे नीलोलहितःनेत्रं मे त्र्यम्बकः पातु बाहुयुग्मं महेश्वरः||2||
हृदये च महादेव ईश्वरश्च तथेदरेनाभौ कुक्षौ कटिस्थानने पदौ पातु महेश्वर||3||
सर्व रक्षतु भूतेशः सर्वगात्राणि मे हरः||पाशं शूलञ्च दिव्यास्त्रं खड्गंवज्र तथैव च ||4||
नमस्कारोमि भूतेश रक्ष मां जगदीश्वर||पापेभ्यो नरकेभ्यश्च त्राहि मां भक्तवात्सल||5||
जन्म मृत्युंजरा व्याधिकामक्रोधादपि प्रभो||लाभमहान्महादेव रक्ष मां त्रिदेश्वर||6||
त्वं गतिस्त्वं मतिश्चैव त्वं भूमिस्त्वं परायणः||कायेन मनसा वाचा त्वयि भक्तिर्दृढास्तु मे ||7||
क्रियोडडीश तंत्र में इस पाठ के बारे में बताया गया है| कि यह पाठ अत्यंत गोपनीय होने के साथ-साथ तत्काल पूर्ण सफलता देने वाला है|
इत्येतद्रुद्रकवचं पाठनात्पाप नाशनम|महादेवप्रसादेन भैरवेन च कीर्तितम||
न तस्य पापं देहेषु न भयं तस्य विद्यते|प्राप्नोति सुखरारोग्यं पुत्रमायुः-वर्द्धनम||
पुत्रार्थी लाभते पुत्रान्धानार्थी धनमाप्नुयात|विद्यार्थी लभते विद्यां मोक्षार्थी मोक्षदेव च||
व्याधितो मुच्यते रोगाद बंधौ मुच्येत बंधनात||ब्रह्महत्यादि पापं च पठनादेव नश्यति||
श्री अवनीश सोनी
ज्योतिष एवम वास्तु शास्त्री
जिला सिवनी (म.प्र.) मो. 7869955008