आवश्यक कार्य करने के लिए शुभाशुभ योग विचार (भाग१)
अक्सर देखने में आया है कि इंसान कार्य करता है परंतु उसे आशा के अनुसार सफलता नहीं मिलपाती अथवा कई बार असफलता भी देखनी पड़ती है। ज्योतिष अनुसार अगर किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले नीचे दिए गए योगो में कार्य आरंभ किया जाए तो सफलता की सम्भावना अधिक रहती है। १-अमृत सिद्धि योग रविवार को हस्त,सोमवार को मृगशिरा, मंगल को अश्विनी,बुध को अनुराधा, गुरूवार को पुष्य,शुक्रवार को रेवती, और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृत सिद्धि योग होता है जो कि उत्तम फलदायक है। इसमें कोई भी शुभ कार्य आरम्भ किया जा सकता है। इसमें कुछ अपवाद भी है यथा गुरू+पुष्य में विवाह कार्य, शनि+रोहिणी में यात्रा, और मंगल+अश्विनी के योग में ग्रह प्रवेशादि वर्जित हैं।इसी प्रकार तिथि के योग होने अर्थात उक्त अमृत सिद्धि योग में रविवार को ५, सोम को६, मंगल को ७, बुध को ८, गुरू को ९ शुक्र को १० व। शनि को ११ तिथि आ जावे तो विष योग बन जाता है
अतः इन तिथियों में अमृतसिद्धियोग को वर्जित मानना चाहिये ।अन्य तिथियों में शुभ कार्य करना लाभप्रद रहता है ।राजयोग (वार+तिथि+नक्षत्र) मंगल,बुध,शुक्र,रवि में से कोई वार हो २, ३ ,७, १२, १५ इनमें से कोई तिथि हो, तथा भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा,उत्तराभाद्रपद , इनमें से कोई नक्षत्र हो तो राज योग बनता है। यह योग मित्रता, विद्याध्ययन, दीक्षाग्रहण, गृह प्रवेश, एवं अन्य वृतादि कार्यों में शुभफल दायक होता है।कुमार योग सोमवार,मंगल,बुध,या शुक्रवार में से कोई वार हो , १, ५, ६, १०, ११ इनमें से कोई तिथि हो तथा अश्विनी,रोहिणी, पुनर्वसु, मघा, हस्त, विशाखा, मूल, श्रवण और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों में से कोई एक हो तो इनके सहयोग से कुमार योग बनाता है। इस योग में मांगलिक कार्य, व्यापार, औषधि ग्रहण, प्रवास, दीक्षा, दावा(मुकदमा), विवाह, पुष्टिकर्म आदि में सफलता मिलती है।स्थिर योग गुरूवार या शनिवार को ४, ८, ९, १३, १४ तिथि हो तथा कृतिका,आर्द्रा, अष्लेषा, उत्तराफाल्गुनी,स्वाति, ज्येष्ठा, उत्तराषाढा, शतभिषा, रेवती में से कोई नक्षत्र हो तो यह स्थिर योग होता है। इस योग से रोग , शत्रु,कर्ज से मुक्ति मिलती है।सिद्ध तिथि रवि व सोमवार को अमावस्या, मंगल को ३, ८, १३ बुधवार को २, ७, १२, गुरूवार को ५, १०, १५, शुक्रवार को १, ६, ११ शनिवार को ४, ९, १४ तिथियां हो तो ये सिद्धि दायक होती हैं।वर्ष के चार शुभ मुहूर्त १ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,२ अक्षय तृतीया,३ विजय दशमी, ४ धनतेरस।इन चार दिनों में कोई शुभ कार्य करने पर पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती ।इस प्रकार इन सुयोगों (शुभयोग) का लाभ उठाकर जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
श्री अवनीश सोनी
ज्योतिष एवम वास्तु शास्त्री
जिला-सिवनी(म.प्र.)
मो.7869955008