आत्म-निर्भर म.प्र. में कृषि क्षेत्र की होगी महत्वपूर्ण भागीदारी

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इंदौर, 13 फरवरी। प्रदेश के किसानों के हित में खेती को लाभप्रद बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनेक नवाचार किये हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। कृषि उत्पादन को बढ़ाना, उत्पादन की लागत को कम करना, कृषि उपज के उचित दाम दिलाना और प्राकृतिक आपदा या अन्य स्थिति में उपज को हुए नुकसान में किसान को पर्याप्त क्षतिपूर्ति देना, सरकार के प्रयासों में शामिल हैं।

प्रदेश के किसानों को सरकार से मिल रहे संबल से किसानों ने प्रमुख रूप से गेहूँ उत्पादन में रिकार्ड कायम किया। मध्यप्रदेश गेहूँ उपार्जन में पूरे देश में अव्वल रहा। किसानों के हित में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करते हुए ई-ट्रेडिंग का प्रावधान किया गया और किसानों को उपार्जन केन्द्र के साथ ही मंडी के अधिकृत निजी खरीदी केन्द्र और सौदा-पत्रक व्यवस्था के माध्यम से भी फसल बेचने की सुविधा प्रदान की गई। गेहूँ, धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन की 33 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।
    प्रधानमंत्री किसान सम्माननिधि का लाभ मध्यप्रदेश के किसानों को मिल रहा है, जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष किसानों को 6-6 हजार रूपये दिए जाते हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री किसान कल्याण सम्मान निधि योजना की शुरूआत कर किसानों को मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रतिवर्ष 4 हजार रूपये दो बराबर किश्तों में दिये जाना शुरू किया गया। इस प्रकार किसानों को अब कुल 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष किसान सम्माननिधि मिल रही है।
    प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य परिस्थिति में किसान की उपज को हुए नुकसान में राहत पहुँचाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लंबित प्रीमियम जमा कर प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत पहुँचाई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में आते ही बीमा योजना का लंबित प्रीमियम भरा और प्रभावित किसानों को फसल बीमा राशि दिलवाई गई। लॉकडाउन की विकट स्थिति में एक करोड़ 29 लाख टन गेहूँ 16 लाख किसानों से खरीद कर उनके खातों में 27 हजार करोड़ से अधिक की राशि अंतरित की गई।
    किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण योजना को पुन: चालू करते हुए किसानों को राहत पहुँचाई गई। इसके लिये सहकारी बैंकों को 800 करोड़ रूपये की राशि भी उपलब्ध करवाई गई, जिससे सहकारी बैंक किसानों को आसानी से कृषि ऋण उपलब्ध करवा सकें।
    किसानों की आय को बढ़ाने के लिये बेहतर प्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं पर कार्य किया गया। प्रदेश में अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। वर्ष 2020 तक लगभग 40 लाख 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएँ विकसित की गईं। प्रदेश में 19 वृहद, 97 मध्यम और 5344 लघु सिंचाई योजनाओं का कार्य पूर्ण किया गया। इसके साथ ही 27 वृहद, 47 मध्यम और 287 लघु सिंचाई योजनाएँ प्रगति पर हैं। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत मंडला, डिंडौरी, शहडोल, उमरिया एवं सिंगरौली जिलों में 1707 करोड़ की लागत से 24 हजार 364 भू-जल संरचनाओं का निर्माण कर सीमांत एवं लघु किसानों की 62 हजार 133 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित की गई।
    कोरोना काल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं में 57 हजार 653 जल- संरचनाओं का निर्माण किया गया। इन जल संरचनाओं में रोजगार गारंटी योजनान्तर्गत 1835 करोड़ से अधिक लागत के 1007 स्टॉपडेम, 4467 चेक डेम, 19 हजार कपिल धारा कूप, 2588 सार्वजनिक कूप, 1667 पर्कोलेशन टैंक, 14 हजार 907 हितग्राही मूलक खेत, 2365 सामुदयिक खेत तालाब तथा 4393 नवीन ताबाब बनवाए गए। साथ ही 3115 बावड़ी, तालाब और सामुदायिक जल-संरचनाओं का जीर्णोद्धार तथा सामुदायिक टांका निर्माण सहित 53 हजार 517 जल-संरचनाओं के कार्य किये गये। इसी प्रकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में 237 करोड़ की लागत से 2697 खेत तालाब, 726 तालाब, 305 परकोलेशन तालाब, 299 चेकडेम, स्टॉप डेम और 109 नाला बंधान के कार्य किये गये। इन सभी जल संरचनाओं से जहाँ एक ओर स्थानीय लोगों को कोरोना काल में रोजगार मिला, वहीं भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ किसानों को खेती में सिंचाई के लिये पानी भी मिल रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा विगत कई वर्षों से सिंचाई बजट में निरंतर वृद्धि भी की जा रही है।
    हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रि-परिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजस्व पुस्तक परिपत्र में नये प्रावधान जोड़े हैं। इन प्रावधानो में प्राकृतिक प्रकोप, आग लगने तथा वन्य प्राणियों द्वारा मकान नष्ट किये जाने पर आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है। इन नये प्रावधानों से प्रदेश के किसानों को भी लाभ मिलेगा। किसानों को कृषि कार्य के लिये फ्लैट दरों पर बिजली दी जा रही है, जिसमें 22 लाख कृषि उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं। किसानों को खेती के लिये बिजली कनेक्शनों पर 14 हजार 244 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया।
    कृषि अधोसंरचना विकास फंड में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। अधोसंरचना विकास के लिये आत्म-निर्भर कृषि मिशन का गठन किया गया है। पिछले 10 माह में कृषि विकास एवं किसान-कल्याण के लिये विभिन्न योजनाओं पर 83 हजार करोड़ रूपये से अधिक के हितलाभ दिये गये हैं। किसानों के हित में मंड़ी नियमों में ऐतिहासिक सुधार भी किया गया हैं। मंडी टेक्स 1.50 प्रतिशत से घटाकर 0.50 प्रतिशत किया गया। कृषि की लागत कम करने, उपादन बढ़ाने तथा उपज का सही दाम किसानों के दिलाने के लिए कृषि उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) को मजबूत किया जा रहा है। आगामी वर्षों मे एक हजार नये कृषि उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा।
    सरकार द्वारा किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए फसल नुकसानी पर न्यूनतम मुआवजा राशि 5 हजार रूपये की गई है। इस संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन भी किया गया है।
    प्रदेश के किसानों को उत्तम गुणवत्ता के खाद-बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस वर्ष किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध कराए जाने के बाद यूरिया का सरप्लस भण्डारण रहा। नकली खाद-बीज बेचने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निलंबित और निरस्त भी किए।

हिन्दुस्थान संवाद

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