‘पीलीभीत से रिश्ता नहीं टूटेगा..’, चुनाव नहीं लड़ रहे वरुण गांधी का खुला संदेश

Will he or won't he? Speculation mounts over Varun Gandhi's BJP ticket from  Pilibhit Lok Sabha seat | Mint

नई दिल्‍ली । 35 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट से ना तो मेनका गांधी और ना ही वरुण गांधी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने इस बार अपने मौजूदा सांसद का टिकट काट कर पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है। वहीं वरुण गांधी की मां मेनका सुल्तानपुर से चुनाव लड़ने जा रही है।

इस बीच एक दिन पहले जहां लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए वरुण गांधी ने साफ किया कि वो अपनी मां मेनका गांधी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। वहीं अब उन्होंने पीलीभीत की जनता को एक खुला पत्र लिखा है।

 

भाजपा नेता वरुण गांधी ने एक्स पर एक चिट्ठी पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने अपने संसंदीय क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए लिखा कि, “एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता।

पीलीभीत की जनता को लेकर भावुक वरुण

वरुण गांधी ने अपने पत्र की में बेहद भावुक तरीके लिखा, “आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है, जो अपनी मां की उंगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।”

भाजपा नेता वरुण गांधी ने आगे लिखा कि, “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे सालों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है।”

‘मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर…’

उन्होंने पीलीभीत के साथ अपने रिश्ते को जाहिर करते हुए लिखा कि, “आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है। एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता।”

आपको बता दें कि वरुण गांधी के पीलीभीत से ही चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर थीं, खबर तो यहां तक सामने आई कि वो निर्दलीय तक चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने एक दिन पहले ही साफ कर दिया कि चुनाव नहीं लड़ेंगे और मां मेनका के लिए प्रचार करेंगे।

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