‘श्री राम को तो घर मिल गया, लेकिन देश में करोड़ों लोग बेघर हैं…’,उद्धव गुट के संजय राउत का PM मोदी पर हमला
मुंबई । अयोध्या सहित पूरे देश के लिए 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक रहा, 5 शताब्दियों के पश्चात् प्रभु श्री राम अपने भव्य और दिव्य राम मंदिर में विराजमान हुए। वही भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात् मंदिर में भक्तों के लिए खोल दिया है।
राम मंदिर के लिए दी योगदान को याद किया
22 जनवरी के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब उद्धव गुट ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर उनके राम मंदिर के लिए दी योगदान को याद किया है। इसके साथ ही उद्धव गुट ने सामना में छपे संपादकीय लेख के माध्यम से पीएम मोदी पर हमला बोला है। UBT गुट का कहना है कि आज देश का राममय हो जाना भी एक राजनीतिक रचना का हिस्सा है, किन्तु क्या देश में रामराज्य आ गया है?
राम मंदिर के लिए बाला साहेब ठाकरे का नाम पहले
सामना ने अपने संपादकीय में लिखा, जहां पूरा देश में खुशी का माहौल है। वहीं, शिवसेना बाला साहेब ठाकरे की जयंती मना रही है। ये मंगल योग है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। राम मंदिर के लिए कई गए संघर्ष में बाला साहेब का नाम सबसे ऊपर आता है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी का वर्तमान नेतृत्व इसके लिए आभारी नहीं है, किन्तु प्रभु श्री राम ने 22 जनवरी यानी शिवसेना प्रमुख के जन्मदिन की पूर्व शाम को मंदिर में विराजने का फैसला किया था। ये भी एक अद्भुत योग है।
राम को तो घर मिला गया, लेकिन देश में करोड़ो लोग भूखे और बेघर
देश आज राममय हो गया, किन्तु क्या देश में राम राज्य आ गया है? श्री राम को तो घर मिल गया, किन्तु देश में करोड़ों लोग बेघर और भूखे हैं। पीएम मोदी ने अयोध्या जाकर श्री राम के लिए उपवास किया। क्या वह देश के करोड़ों लोगों की भूख मिटाने के लिए उपवास करने जा रहे हैं? बीजेपी का अयोध्या उत्सव का मकसद देश को राम के नाम पर केवल ‘मोदी-मोदी’ कराना होगा तथा इस पाखंड को बेनकाब करने के लिए आज शिवसेनाप्रमुख की ही आवश्यकता थी। आगे उन्होंने लिखा कि अगर शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे न होते तो मराठी मानुष हमेशा के लिए गुलाम हो गया होता। मुंबई महाराष्ट्र से अलग हो गई होती। महाराष्ट्र का स्वाभिमान मिट्टी में मिल गया होता। महाराष्ट्र आज भी दिल्ली की नई मुगलशाही के खिलाफ लड़ रहा है तो केवल ये बालासाहेब ठाकरे की प्रेरणा के ही कारण है! आज सभी राष्ट्रीय संस्थाएं, न्यायालय, संविधान के चौकीदार, चुनाव आयोग, राजभवन सरकार के हाथों की कठपुतली बनकर कठपुतलियों की भांति नाच रहे हैं। आज देश में राष्ट्रवाद की परिभाषाएं बदल गई।
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