महाराष्ट्र में रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर गए, सरकारी अस्पतालों में मरीज हो रहे परेशान

मुंबई। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की राज्यव्यापी हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं बाधित हो गई हैं। ज्यादा असर गरीब मरीजों पर पड़ रहा है। मेडिकल शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने डॉक्टरों से हड़ताल से काम पर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार मांगों पर आज शनिवार शाम तक निर्णय लेंगे।

मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेल्गे ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में बढ़ते नामांकन को समायोजित करने के लिए राज्य में छात्रावास सुविधाओं में वृद्धि और सुधार की हमारी प्राथमिक मांग है। डॉक्टर लंबी शिफ्ट में काम करने के बाद अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं। छोटे से कमरे में पांच से अधिक लोग होते हैं और मानसून में अक्सर रिसाव होता है। अधिकारियों और राज्य सरकार को कुल 28 पत्र भेजे गए। इन पर गौर न किए जाने पर हड़ताल का फैसला करना पड़ा। इस महीने की शुरुआत में अजीत पवार के दो दिनों के भीतर समाधान का आश्वासन दिए जाने पर हड़ताल वापस ले ली गई थी। उन्होंने कहा, हमारी दूसरी मांग मानधन में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी करने की है।

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने मीडिया को बताया कि डॉक्टरों के लिए हॉस्टल्स की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। मंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया है कि उनके मुद्दों को अगली कैबिनेट बैठक में उठाया जाएगा, लेकिन वे (रेजिडेंस डॉक्टर्स) सुनने को तैयार नहीं हैं।

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