महाराष्ट्र एमलएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर नाना पटोले ने कहा- गद्दारों की पहचान हो चुकी है
मुंबई। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने महाराष्ट्र में हाल ही में विधानपरिषद की 11 सीटों पर वोटिंग लेकर कहा है कि चुनाव में क्रॉस-वोटिंग करने वाले पार्टी के गद्दारों की पहचान कर ली गई है और उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। पटोले ने शनिवार को दावा किया कि इन्हीं गद्दारों ने दो साल पहले विधानपरिषद चुनावों में कांग्रेस नेता चंद्रकांत हंडोरे की हार सुनिश्चित की थी। पटोले ने किसी का नाम लिए बिना यहां पत्रकारों से कहा कि इस बार एक जाल बिछाया गया और उनकी पहचान कर ली गयी है। उन्हें सजा दी जाएगी ताकि कोई भी फिर से पार्टी के साथ विश्वासघात करने की हिमाकत न करे।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया है कि ‘क्रॉस-वोटिंग’ हुई है और वे अब कार्रवाई करेंगे। राउत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आपातकाल लगाने को संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने जा रही है। क्या अयोग्य घोषित किये जाने का सामना कर रहे विधायकों द्वारा विधानपरिषद सदस्य चुना जाना असंवैधानिक नहीं है? विधायकों को घूस देकर उन्हें खरीदना असंवैधानिक नहीं है? वास्तव में भाजपा ने संविधान की हत्या की है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सत्ताधारी महायुति गठबंधन ने शुक्रवार को राज्य विधानपरिषद की 11 में से उन सभी नौ सीट पर जीत दर्ज की, जिस पर चुनाव लड़ा था। शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) द्वारा समर्थित एक उम्मीदवार की हार के कारण विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) को इस द्विवार्षिक चुनाव में झटका लगा। परिणामों से पता चलता है कि कांग्रेस के कम से कम सात विधायकों ने मतदान करते समय पार्टी के निर्देशों की अवहेलना की। कांग्रेस के विधानसभा में कुल 37 विधायक हैं।
कांग्रेस ने पहले बताया था कि पार्टी ने अपनी उम्मीदवार प्रज्ञा सातव के लिए 30 प्रथम वरीयता मतों का कोटा तय किया था और शेष सात वोट सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर को मिलने थे। सातव को 25 और नार्वेकर को 22 प्रथम वरीयता के वोट मिले, जिसका मतलब है कि कम से कम सात कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। राकांपा (एसपी) द्वारा समर्थित पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के जयंत पाटिल चुनाव हार गए।
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