कोरोना काल में प्रकृति ने ली खुल कर सांस, भारत के इस राज्य में हुआ वनों का अपार विस्तार

दिल्ली/भोपाल, 05 जून। पांच जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। लेकिन फिर भी हर साल वनों की कटाई से पर्यावरण पर तो भयानक दुष्प्रभाव पड़ता ही है, वन्यजीवों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों द्वारा कहा जा रहा है कि अगर वनों की कटाई इसी प्रकार जारी रही, तो अगले सौ वर्षों बाद दुनियाभर में रेन फॉरेस्ट पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। वैज्ञानिकों की इसी बात को ध्यान में रखते हुए, कोरोना काल में देश के मध्य प्रदेश राज्य ने वन क्षेत्र में अपार विस्तार किया है। 

लॉकडाउन में प्रकृति ने ली खुलकर सांस 

देश में पिछले डेढ़ साल से कोरोना संकट चल रहा है, इस कोरोना ने जहां एक ओर मनुष्य जीवन को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया, वहीं प्राकृतिक स्तर पर मानव संसाधनों की आवाजाही रुकने एवं सरकार के लगातार किए गए प्रबंधों से जल, जंगल और जमीन में शुद्धता आई है। इस बीच मध्य प्रदेश भी अपने सघन वनों के लिए भी खास उपलब्धि हासिल करने वाला प्रदेश बन गया है।  प्रदेश में वन्य जीवों की बढ़ती संख्या के साथ ही अति सघन वन क्षेत्र में भी बढ़ोतरी हो गई है। जिसका ताजा प्रभाव यह है कि बढ़ते वन क्षेत्र जीव-जंतुओं के लिये अनुकूल परिस्थिति निर्मित कर रहा हैं।  

विंध्य क्षेत्र में तेजी के साथ बढ़ा हरियाली का दायरा

दरअसल मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में हरियाली का दायरा तेजी के साथ बढ़ा है। इस पूरे क्षेत्र में वन भूमि के साथ ही राजस्व भूमि में भी बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए। लॉकडाउन समय में भी यह कार्य लगातार किया जाता रहा है, जिसका सुखद वर्तमान आज सभी के सामने है। यहां पहले की तुलना में कई गुना अधिक हरियाली हो गई है। वन विभाग के आंकड़े कहते हैं कि अकेले पन्ना जिले में करीब  75 प्रतिशत से अधिक फॉरेस्ट कवर बढ़ा है। इसके अलावा राज्‍य में रीवा, सतना, सीधी, शहडोल और अनूपपुर में सघन वन क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। कुल आंकड़े यही बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र में  दो लाख 43 हजार 700 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

 15 हजार 604 वन समितियां की मेहनत का फल 

इस संबंध में बताया जा रहा है कि यह वृद्धि यहां ऐसे ही संभव नहीं हो गई है, इसके लिए राज्‍य में संयुक्त वन प्रबंधन की विचारधारा को अपनाया गया। संयुक्त वन प्रबंधन में 10 हजार 141 ग्राम वन समिति, 4419 वन सुरक्षा समिति और 1044 ईको विकास समिति गठित की गई हैं। वन समितियों की कुल संख्या 15 हजार 604 हैं। इनके माध्यम से 79 हजार 705 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्रों का प्रबंधन किया जा रहा है। वन समितियों में 33 प्रतिशत महिलाओं की सदस्यता आरक्षण के साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद में से एक महिला की नियुक्ति अनिवार्य की गई, इससे महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाया गया है।  

उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं को किया जाता है पुरस्कृत 

वन संरक्षण तथा वन संवर्धन के प्रयासों में जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बसामन मामा स्मृति वन एवं वन्य-प्राणी संरक्षण योजना की शुरुआत हुई। इसके अलावा वन रक्षा एवं संवर्धन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को ‘शहीद अमृता देवी विश्नोई’ पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। मंत्री वन कुंवर विजय शाह ने कहा कि विभाग वनों की सुरक्षा और अवैध कटाई को सख्ती से रोकने में जुटा हुआ है। वन अपराधों की गोपनीय सूचनाओं के लिए मुखबिर तंत्र को प्रभावी बनाया गया है। वन्य-प्राणी संरक्षित क्षेत्रों में 1490 वायरलेस-सेट की लाइसेंस को मंजूरी दी गई है। वन सुरक्षा में संयुक्त वन प्रबंधन समितियों का उपयोग भी किया जा रहा है।  

वनों में हुई सशस्त्र बल की तीन कंपनियां तैनात  

इसके साथ ही सरकार ने यहां पर संवेदनशील क्षेत्रों में 329 वन चौकी, 4 जल चौकी, 387 बैरियर और 53 अंतरराष्ट्रीय बैरियर के माध्यम से सुरक्षा और निगरानी की जा रही है। इसके अलावा मैदानी अमले को 12 बोर की 2600 नई पंप एक्शन बंदूक, 900 वायना कुलर, साढ़े पांच हजार मोबाइल सिम और वन क्षेत्र वालों को 286 रिवाल्वर उपलब्ध कराए गए हैं, साथ ही विशेष सशस्त्र बल की तीन कंपनी भी तैनात रहती है।   

 वन क्षेत्र में, देश में प्रथम स्थान आने की ओर अग्रसर


मंत्री विजय शाह कहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में वन विभाग, वन और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा वनों के विस्तार में हम सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश को वन आधारित गतिविधियों में देश में प्रथम स्थान पर लाने की ओर अग्रसर हैं। साथ ही वे कहते हैं कि वानिकी विकास की दिशा में अनेकानेक नीतिगत निर्णय लगातार लिए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप वन और वन्य-प्राणियों के बेहतर प्रबंधन के साथ ही वनों पर आश्रित वनवासियों के जीवन-स्तर में सुधार हो रहा है।   

बढ़ रही है बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्य जीवों की संख्‍या 

Photo: Getty Images

उन्‍होंने कहा कि यही कारण है कि देश में सबसे अधिक बाघ इसी प्रदेश में बढ़े हैं। तेंदुओं की संख्या के मामले में भी प्रदेश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य को पीछे छोड़ दिया है। प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रदेश का वन क्षेत्र लगातार बढ़ता रहे। यही कारण है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर मध्यप्रदेश में 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर (64,68,900 हेक्टेयर) कुल वन क्षेत्र हो गया है, जो राज्य के भू-भाग का 30.72 फीसदी और देश के कुल वन क्षेत्र का तकरीबन 12.38 फीसदी हो गया है।   कोरोना काल में 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर बढ़ा वन क्षेत्र  यहां बता दें कि इससे पहले भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि साल 2005 में प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र 4,239 वर्ग किलोमीटर था, जो 2019 में बढ़ कर 6,676 वर्ग किलोमीटर अर्थात 6 लाख 67 हजार 600 हेक्टेयर हो गया था। इसके बाद आज के समय में यह वर्ष 2021 की स्थ‍िति में  94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर यानी कि 64,68,900 हेक्टेयर से भी अधिक हो गया है।  

 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यों की होती है निगरानी  

प्रदेश में वन विभाग की 171 नर्सरियों में छह करोड़ पौधे हैं। इनका रख-रखाव नियमित रूप से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया जा रहा है। इन नर्सरियों में काम करने वाले श्रमिकों और वन कर्मियों को नि:शुल्क मास्क, सेनिटाइजर, राशन आदि का वितरण भी किया जा रहा है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के मैदानी क्षेत्र के कार्यों की निगरानी की जा रही है। सभी राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व में भी वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य और गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।   

वन विभाग कोरोना से बचाने में लोगों की कर रहा मदद 

इसके अलावा मध्य प्रदेश का वन विभाग राज्य के नागरिकों को कोरोना से बचाने में अहम योगदान दे रहा है। विभाग ने प्रवासी मजदूरों की सहायता, फूड, राशन, बिस्किट, पीपीई किट, मास्क, दस्ताने, काढ़ा पैकेट, सेनिटरी पैकेट, ईधन की लकड़ी, आदि बांटने के साथ लोगों को निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है। वन कर्मी लगभग पांच हजार जागरूकता शिविरों में लोगों को कोरोना से बचाव के प्रति सतर्क कर चुके हैं। प्रशासन के साथ दो लाख 287 वन कर्मी कंट्रोल रूम और विभिन्न चेकपोस्ट पर ड्यूटी कर रहे हैं।  अगर कोई पूछता है कि किसके बिना आप अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं? इसका उत्तर सभी ओर से लगभग एक ही आएगा वो है हवा, इसके बिना आप एक पल भी जीवित नहीं रह सकते। भोजन नहीं करने पर कुछ दिन सिर्फ जल पीकर भी जीवित रहा जा सकता है, जल भी ना मिले तब भी आप अपने जीवन को कुछ समय सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन शुद्ध हवा नहीं, तो जीवन भी सुरक्षित नहीं। इसलिए हवा के लिए वनों का होना जरूरी है, ये जितने सघन होंगे, वायु उतनी ही शुद्ध होगी और उससे हमारा संपूर्ण पर्यावरण स्वस्थ होगा। 

इनपुट-हिन्‍दुस्‍थान समाचार

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