देश की चेतना के पुनर्जागरण का आंदोलन, राम मंदिर को लेकर अमित शाह का कांग्रेस पर हमला
 
                
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि राम मंदिर का निर्माण कानून संगत है। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई यह एक लंबी लड़ाई थी। शाह ने कहा कि राम राजनीति नहीं राष्ट्रनीति हैं। शाह जिस वक्त सदन में बोल रहे थे उस वक्त सदन में जय श्री राम के नारे लग रहे थे।
लोकसभा में अमित शाह ने कहा, “1990 में जब ये आंदोलन ने गति पकड़ी उससे पहले से ही ये भाजपा का देश के लोगों से वादा था। हमने पालमपुर कार्यकारिणी में प्रस्ताव पारित करके कहा था कि राम मंदिर निर्माण को धर्म के साथ नहीं जोड़ना चाहिए, ये देश की चेतना के पुनर्जागरण का आंदोलन है। इसलिए हम राम जन्मभूमि को कानूनी रूप से मुक्त कराकर वहां पर राम मंदिर की स्थापना करेंगे।”
गृहमंत्री ने कहा, “अनेक राजाओं, संतों, निहंगों, अलग-अलग संगठनों और कानून विशेषज्ञों ने इस लड़ाई में योगदान दिया है। मैं आज 1528 से 22 जनवरी, 2024 तक इस लड़ाई में भाग लेने वाले सभी योद्धाओं को विनम्रता के साथ स्मरण करता हूं।”
बता दें संसद के मौजूदा बजट सत्र के आखिरी दिन संसद के दोनों सदनों में अयोध्या स्थित राम मंदिर के निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चर्चा की जा रही है।
अमित शाह के पहले लोकसभा में राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मोदी सरकार किसी विशेष समुदाय, धर्म की सरकार है या पूरे देश की सरकार है? भारत सरकार मेरा एक धर्म है? मेरा मानना है कि इस देश का कोई धर्म नहीं है। मैं भगवान राम का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं नाथूराम गोडसे से नफरत करता हूं क्योंकि उसने उस व्यक्ति की हत्या की थी जिसके अंतिम शब्द हे राम थे।”

 
                       
                       
                       
                       
                       
                       
                      