बीटिंग रिट्रीट के दौरान भारतीय धुनों से गूंजेगा राजसी रायसीना हिल्स

नई दिल्ली । देश के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के प्रतीक ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह के दौरान 29 जनवरी को राजसी रायसीना हिल्स सूरज डूबने के साथ सभी भारतीय धुनों का गवाह बनेगा। समारोह में तीनों सेनाओं और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड दर्शकों के सामने 31 मनमोहक और थिरकने वाली भारतीय धुनें बजाएंगे। सशस्त्र बलों की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस समारोह में शामिल होंगी।

भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना के संगीत बैंडों की भारतीय धुनों को सुनने के लिए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अन्य केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की ‘शंखनाद’ धुन के साथ होगी, जिसके बाद पाइप्स बैंड ‘वीर भारत’, ‘संगम दूर’, ‘देशों का सरताज भारत’, ‘भागीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसी मनमोहक धुनें बजाएंगे। सीएपीएफ बैंड ‘भारत के जवान’ और ‘विजय भारत’ धुन बजाएंगे।

भारतीय वायुसेना बैंड की ‘टाइगर हिल’, ‘रेजॉइस इन रायसीना’ और ‘स्वदेशी’ बजाई जाने वाली धुनों में से होगी, जबकि दर्शक भारतीय नौसेना बैंड को ‘आईएनएस विक्रांत’, ‘मिशन चंद्रयान’, ‘जय भारती’ और ‘हम तैयार हैं’ सहित कई धुनें बजाते हुए देखेंगे। इसके बाद भारतीय सेना का बैंड ‘फौलाद का जिगर’, ‘अग्निवीर’, ‘कारगिल 1999’, ‘ताकत वतन’ समेत अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा। इसके बाद सामूहिक बैंड ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘ड्रमर्स कॉल’ की धुनें बजाएंगे। कार्यक्रम का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की लोकप्रिय धुन के साथ होगा।

इस समारोह के मुख्य संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी होंगे। आर्मी बैंड के कंडक्टर सूबेदार मेजर मोती लाल होंगे। इसके अलावा एमसीपीओ एमयूएस 2 एम एंटनी भारतीय नौसेना के और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार भारतीय वायुसेना के कंडक्टर होंगे। सीएपीएफ बैंड की संचालिका कांस्टेबल जीडी रानी देवी होंगी। बुग्लर्स नायब सूबेदार उमेश कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन करेंगे और सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह के निर्देश पर पाइप्स और ड्रम बैंड बजाए जाएंगे।

‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से विकसित किया। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक सूर्यास्त होने पर उस दिन के युद्ध के समापन की घोषणा करने के लिए रिट्रीट की ध्वनि के साथ हथियार बंद करके अपने-अपने शिविरों में लौट आते थे। युद्ध के मैदान से हटते ही सैन्य झंडे उतार दिए जाते हैं। यह समारोह बीते समय की पुरानी यादों और युद्ध के मैदान में सैन्य परंपरा को ताजा करता है।

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