झारखंडः मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने वाले ED के 4 अफसर कौन?

Former Jharkhand CM Hemant Soren sent to 5-day ED custody | Mint

नई दिल्‍ली । हेमंत सोरेन (Hemant Soren)की गिरफ्तारी मामले में जो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो ईडी और उसके 4 अधिकारी हैं. ये अधिकारी (Officer)पिछले 8 महीने से जमीन घोटाले (land scam)में हेमंत सोरेन की भूमिका की जांच कर रहे हैं। जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी इतिहास में दर्ज हो चुका है. सोरेन देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें पद पर रहते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी की वजह से हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।

हेमंत की गिरफ्तारी मामले में जो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो ईडी और उसके 4 अधिकारी हैं. ये अधिकारी पिछले 8 महीने से जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन की भूमिका की जांच कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा है कि मई 2023 में बड़िगांव अंचल के उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद ही ईडी को पहली बार हेमंत के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले थे. तभी से जांच एजेंसी एक्टिव हो गई थी।

पहले कानूनी कार्रवाई की धमकी, फिर एट्रोसिटी एक्ट में केस

अगस्त 2023 में हेमंत सोरेन ने केस के जांच अधिकारी देवव्रत झा को एक पत्र लिखकर समन वापस लेने के लिए कहा था. सोरेन ने कहा था कि अगर वे समन वापस नहीं लेते हैं, तो उन पर कानूनन एक्शन लिया जाएगा. हालांकि, इसके बावजूद ईडी ने हेमंत को 8 समन भेजे।

अपनी गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने रांची के एससी-एसटी थाने में इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करायी।

इस एफआईआर के मुताबिक ईडी के कपिल राज, देवव्रत झा, अनुपम कुमार और अमन पटेल समेत अज्ञात अधिकारियों ने बिना बताए, उनके दिल्ली निवास पर पहले रेड की और फिर बाद में उन्हें बदनाम करने की नीयत से गलत खबरें फैलाई।

एट्रोसिटी एक्ट और इसमें होने वाली कार्रवाई

एस्ट्रोसिटी एक्ट का पूरा नाम अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 है. इसे एससी-एसटी एक्ट भी कहा जाता है. समान्य तौर पर एट्रोसिटी का मतलब होता है- क्रूरता, जघन्य अथवा दुष्ट पूर्ण व्यवहार। 2018 में इस एक्ट में संशोधन हुआ था. उस वक्त जांच अधिकारी को कई तरह की शक्ति दी गई थी।

एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच अधिकारी को गिरफ्तारी की भी शक्ति दी गई है. जांच अधिकारी चाहे, तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें किसी भी प्राधिकरण से मंजूरी लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी।

एट्रोसिटी एक्ट में अलग-अलग तरह के अपराध के लिए अलग-अलग सजा की व्याख्या की गई है. आरोपी के गिरफ्तार होने के 60 दिन के भीतर जांच अधिकारी को चार्जशीट दाखिल करना होता है।

अब जानिए कौन हैं, वो 4 नामित अधिकारी?

1. कपिल राज- हेमंत सोरेन ने जो एफआईआर के लिए आवेदन दिया, उसमें सबसे पहला नाम ईडी के अधिकारी कपिल राज का ही है. राज वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय के रांची जोन के प्रमुख हैं।

राज की निगरानी में ही झारखंड में अवैध खनन घोटाला, जमीन घोटाला और विधायक नकद घोटाला सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच चल रही है. राज को हाल ही में वित्त मंत्रालय से एक साल डेप्युटेशन भी मिला है।

2009 बैच के आईआरएस (सी एंड सीई) अधिकारी राज सितंबर 2023 में ईडी के अतिरिक्त निदेशक बने थे. झारखंड में उनका कार्यकाल दिसंबर 2024 तक है. कपिल राज बंगाल में भी पदस्थापित रहे हैं।

2. देवव्रत झा- देवव्रत झा वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक हैं. ईडी जिस जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच कर रही है, देवव्रत झा उस केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) भी हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में झा पर हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने भी मुकदमा कराया था. झा पर बंगाल में भी एक मुकदमा हो चुका है।

नवंबर 2023 में झा को एक्स श्रेणी की सुरक्षा मिली थी. झारखंड से पहले देवव्रत झा बंगाल में पदस्थापित थे. वहां भी उन्होंने कई बड़े मामलों की जांच की थी।

3. अनुपम कुमार- हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने वाली ईडी की टीम में अनुपम कुमार भी हैं. कुमार वर्तमान में प्रवर्तक अधिकारी हैं और झारखंड में पदस्थापित हैं. अनुपम के खिलाफ भी हेमंत ने एससी-एसटी थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

अनुपम 2023 में तब चर्चा में आए थे, जब उनका फोन कोर्ट परिसर में छीन लिया गया था. उस वक्त सांसद विजय हंसदा और हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा कोर्ट परिसर में ही उपस्थित थे

अनुपम 2022 में ईडी के रांची जोन में आए थे, तब से वे झारखंड के कई मामलों की जांच में शामिल हैं. कुमार झारखंड से पहले बिहार और ओडिशा में पदस्थापित रह चुके हैं।

4. अमन पटेल- पटेल वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय के रांची टीम में कार्यरत हैं और उनका पद सहायक अधिकारी का है. ईडी में पटेल की गिनती तेजतर्रार और युवा अफसर के रूप में होती है।

जमीन घोटाले मामले की जांच में पटेल भी एक्टिव हैं और हेमंत सोरेन ने जो एफआईआर दर्ज कराई है, उनमें भी इनका नाम है. पटेल ने हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को भी गिरफ्तार करने में अहम भूमिका निभाई थी।

अब समझिए ED की रडार पर कैसे आए हेमंत?

2023 में ईडी रांची के आर्मी लैंड घोटाले की जांच कर रही थी. इसी दौरान जांच एजेंसी से बरियातू इलाके के कुछ ग्रामीणों ने 8.42 एकड़ जमीन कब्जाने का आरोप लगाया. ग्रामीणों का कहना था कि हेमंत सोरेन के कहने पर यह जमीन कब्जा किया गया है।

जांच एजेंसी ने इसके बाद बड़िगांव अंचल के उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद को गिरफ्तार किया. भानु से पूछताछ में जांच एजेंसी को सीधे तौर पर हेमंत सोरेन और मुख्यमंत्री आवास की संलिप्तता सामने आई।

ईडी ने इसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस से अनुशंसा की. एफआईआर दर्ज होने के बाद इस केस को ईडी ने प्रिवेंशन एक्ट के तहत टेकल किया. अगस्त 2023 में ईडी ने मामले में हेमंत सोरेन को पहला समन भेजा. सोरेन इसके बाद कोर्ट गए, लेकिन कोर्ट से भी राहत नहीं मिली।

ईडी सूत्रों के मुताबिक लोकेशन ट्रेस में हेमंत सोरेन के विवादित जमीन पर जाने का सबूत मिला था. वहीं पूरे मामले में हेमंत सोरेन ने कहा कि यह जानबूझकर साजिश के तहत किया गया है।

हेमंत का आरोप है कि ईडी ने फर्जी कागज और सबूत तैयार कर उन्हें गिरफ्तार करने का काम किया है. हेमंत ने ईडी के एक्शन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

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