कलकत्ता HC के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का इस्तीफा, BJP में शामिल होंगे शामिल
नई दिल्ली । कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं 7 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहा हूं’. पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में किस सीट से बीजेपी के उम्मीदवार होंगे, जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, ‘मैं जिस सीट से भी लड़ूंगा, इसकी जानकारी आप सभी को जरूर दूंगा।
उन्होंने कहा, ‘सत्ताधारी पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) के प्रवक्ताओं ने बार-बार मेरी आलोचना की है. उन्हें नहीं पता कि किसी जज के बारे में वे ऐसी बातें नहीं कह सकते. उनके घोटाले सामने आ रहे हैं. मैंने अब राजनीति में उतरने का फैसला किया है, क्योंकि उन्होंने (टीएमसी) मुझे मैदान में आकर लड़ने के लिए चुनौती दी है. मैंने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपना इस्तीफा सौंप दिया है’. न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने आलोचकों को अपने खिलाफ केस दर्ज कराने की चुनौती दी, जो उनके राजनीति में शामिल होने और उनके पूर्व फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं।
बता दें कि टीएमसी और कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि अगर जस्टिस गंगोपाध्याय राजनीति में आते हैं तो उनके पिछले फैसले सवालों के घेरे में आ जाएंगे. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘अभिजीत गंगोपाध्याय ने एक बात साफ तौर पर कही है कि मैंने बीजेपी से संपर्क किया और बीजेपी ने उनसे संपर्क किया. तो अब आप जज रहते उनके द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को समझ गए होंगे. लोग काफी समझदार हैं, उन्हें सब पता है।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने इस पर बोलते हुए कहा, ‘उन्हें (टीएमसी और कांग्रेस) कानून की कोई जानकारी नहीं है और उन्हें कुछ गलत लगता है तो वे मेरे खिलाफ मामला दायर कर सकते हैं’. जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति से खुश नहीं हैं और राज्य के लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं. उनका मानना है कि एक न्यायमूर्ति के रूप में वह लोगों की भलाई के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते।
इसलिए उन्होंने न्यायपालिका छोड़ने और एक ऐसे क्षेत्र (राजनीति) में उतरने का फैसला किया, जो व्यापक तरीके से उनके उद्देश्यों को पूरा करेगा. कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और उन्हें ‘बहुत मेहनती आदमी’ बताया. उन्होंने कहा, ‘तृणमूल के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर है. पीएम मोदी बहुत मेहनती व्यक्ति हैं और वह इस देश के लिए कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं।
जस्टिस गंगोपाध्याय के तामलुक सीट चुनाव लड़ने की है चर्चा
जस्टिस अभिजीत इसी साल अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले थे. जज बनने से पहले उन्होंने 24 वर्षों तक वकालत की. वह 2 मई 2018 को कलकत्ता हाई कोर्ट के एडिशनल जज बने, फिर 2020 में उन्हें प्रमोट होकर स्थायी जज बन गए. पश्चिम बंगाल के सियासी हलके में इस बात की काफी चर्चा है कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय तामलुक संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि अतीत में तामलुक सीट का प्रतिनिधित्व मौजूदा बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी करते रहे हैं. फिलहाल उनके भाई दिब्येंदु अधिकारी यहां से सांसद हैं।
न्यूज चैनल को इंटरव्यू देकर विवादों में आए जस्टिस अभिजीत
जस्टिस गंगोपाध्याय ने ही पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी से कराने का आदेश पारित किया था. जज रहते एक प्राइवेट न्यूज चैनल को इंटरव्यू देने और अपने द्वारा दिए गए फैसलों पर बातचीत करने कारण जस्टिस गंगोपाध्याय आलोचनाओं के घेरे में रहे. सत्तारूढ़ टीएमसी ने उनपर खुलकर व्यक्तिगत हमले किए. तत्कालीन टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने जस्टिस गंगोपाध्याय को जज पद से इस्तीफा देकर राजनीति में शामिल होने और चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के इंटरव्यू देने पर बिना उनका नाम लिए कहा, था, ‘न्यायाधीशों का काम लंबित मामलों पर साक्षात्कार देना नहीं होना चाहिए।
अपने साथी जज न्यायमूर्ति सेन पर आरोपों को लेकर चर्चा में रहे
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट रजिस्ट्री से जवाब तलब किया था और बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला केस दूसरे जज को सुनने का आदेश दिया. इस साल जनवरी में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के अपने सहयोगी जज न्यायमूर्ति सौमेन सेन पर ‘राज्य की सत्ताधारी दल के लिए काम करने’ का आरोप लगाया. जस्टिस गंगोपाध्याय ने यह आरोप तब लगाया था जब एक डिवीजन बेंच का हिस्सा रहे जस्टिस सौमेन सेन ने पुलिस को एक केस से जुड़े दस्तावेज सीबीआई को सौंपने के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी।
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