अधिकारियों ने समझे सायबर-सुरक्षा के खतरे, चुनौतियां और समाधान

सायबर अटेक के सिम्युलेशन से किया सतर्कता और सुरक्षा का सबक
भोपाल, 19 सितंबर। भारत सेतु अभ्यास के दूसरे दिन शुक्रवार को सरकारी विभागों के सीआईएसओ अधिकारियों और वरिष्ठ शासकीय अधिकारियों को व्यावहारिक सायबर सुरक्षा ज्ञान और कौशल प्रदान करने के लिए अभ्यास किये गये। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने सरकारी संगठनों को प्रभावित करने वाली सायबर सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की और प्रतिभागियों को विभागीय एवं संगठनात्मक सुरक्षा मजबूत करने की प्रभावी रणनीतियां बतायी।
सीईआरटी-इन के वैज्ञानिक ‘श्री शशांक गुप्ता ने ‘नीति से व्यवहार में प्रभावी सायबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम तैयार करना’ विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने इनसाइडर थ्रेट्स, उच्च मूल्य वाले डेटा, मानव त्रुटियां, सोशल इंजीनियरिंग के खतरे और सीमित सायबर कौशल जैसे मुद्दों को रेखांकित किया। श्री गुप्ता ने बताया कि वैश्विक स्तर पर 75 प्रतिशत प्रशिक्षण सायबर सुरक्षा पर केंद्रित है, जो इसकी अंतर्राष्ट्रीय महत्ता को दर्शाता है। उन्होंने कमजोरियों की पहचान, सुरक्षा में सुधार और खतरे की त्वरित प्रतिक्रिया पर जोर देते हुए सभी सीआईएसओ को विभाग व जिला स्तर पर नियमित जागरूकता प्रशिक्षण आयोजित करने की सलाह दी।
वैज्ञानिक श्री मोहित कटारिया ने शासकीय विभागों के लिए नियमित सायबर सुरक्षा ऑडिट्स के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीईआरटी-इन के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष में कम से कम एक बार बाहरी ऑडिट अनिवार्य है। इससे एसेट इन्वेंट्री, संस्करण नियंत्रण और परिवर्तन प्रबंधन सुनिश्चित होता है, जिससे सायबर खतरों की संभावना कम होती है। श्री कटारिया ने सॉफ्टवेयर बिल ऑफ मटेरियल्स (एसबीओएम) के लिए वैश्विक साझा दृष्टि में सीईआरटी-इन की भागीदारी का भी उल्लेख किया, जो सायबर सुरक्षा प्रयासों को मजबूत करेगा।
संयुक्त सत्र में श्री शशांक गुप्ता और श्री मोहित कटारिया ने सायबर थ्रेट सिम्युलेशन व इन्शिडेंट रिस्पांस पर व्यावहारिक कार्यशाला का संचालन किया। इसमें प्रतिभागियों को काल्पनिक राज्य ‘अवंती’ पर सायबर हमलों की स्थिति सुलझाने का अभ्यास भी कराया गया। इस अभ्यास ने जोखिम सिम्युलेशन की सर्वोत्तम विधियों और चुस्त रिस्पांस व्यवस्था के महत्व को उजागर किया।
सीआईएसओ अधिकारियों और अन्य प्रतिभागियों ने एमपी-सीईआरटी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि कार्यशाला के बाद तकनीकी ज्ञान समझना और लागू करना आसान हो गया है। कार्यशाला तकनीकी अंतराल को पाटने और जागरूकता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण रही।
एमपी-सीईआरटी के संयुक्त निदेशक श्री वैभव श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और सायबर सुरक्षा को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सायबर सुरक्षा कॉमन-सेंस और डेटा एन्क्रिप्शन पर आधारित है, इसलिए मुफ्त सॉफ्टवेयर के प्रयोग से बचना चाहिए।
श्रीमती रश्मि गुप्ता एवं टीसीयू टीम की सराहनीय योगदान रहा। ‘भारत-सेतु’ अभ्यास अनुकूल सहयोगी ज्ञान, क्षमता निर्माण एवं सायबर सुरक्षा में सर्वोत्तम अभ्यासों को प्रोत्साहित करने का सतत प्रयास करता है।