म.प्र.:पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यावरण और संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सटीक और सूचित रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने मीडिया कार्यशाला

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डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया द्वारा मीडिया कार्यशाला आयोजित

सिवनी, 25 जुलाई। स्थानीय संरक्षण की चुनौतियों, वन्यजीव संरक्षण और तथ्यों पर आधारित पर्यावरणीय पत्रकारिता की आवश्यकता को बेहतर तरीके से समझाना के उद्देश्य तथा पारिस्थितिकीय मुद्दों को कवर करने वाले मीडिया कर्मियों में जागरूकता, संवेदनशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की ओर से विश्वविख्यात मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के पेंच (इंदिरा प्रियदर्शिनी) राष्ट्रीय उद्यान में पर्यावरण और संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सटीक और सूचित रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एमपीटी किपलिंग कोर्ट (पेंच राष्ट्रीय उद्यान)में सिवनी और छिंदवाडा जिले के पत्रकारों की एक पेंच मीडिया वर्कशॉप गुरूवार को आयोजित की गई। जिसमें पेंच से सटे जिलों से राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया संस्थानों के 23 पत्रकारों के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारियो ने इस कार्यशाला में भाग लिया।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के निदेशक – संरक्षण साझेदारी सुश्री नेहा सिन्हा ने कहा कि हम जिस तरह से बोलते हैं, वही हमारी सोच का तरीका बन जाता है। हम अक्सर बाघों को नरभक्षी, दरिंदा, आतंक कह देते हैं, जबकि संघर्ष के कारणों और परिस्थितियों को नजरअंदाज कर देते हैं। संघर्ष की रिपोर्टिंग नफरत फैला सकती है या समझदारी भी पैदा कर सकती है। इस कार्यशाला का उद्देश्य यही है कि हम यह समझें कि संघर्ष की रिपोर्टिंग निष्पक्ष तरीके से कैसे की जा सकती है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की टीम ने भारतभर में अपनाई जा रही संरक्षण संचार की नैतिक मानकों और सर्वाेत्तम प्रथाओं को भी उजागर किया।
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह (भा.व.से.) ने कहा कि वन्य प्राणी विषयों में लिखने वाले पत्रकारों , डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधियों और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसरो को वन्य प्राणी संरक्षण विषयों में जागरूक करने हेतु ॅॅडब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला अत्यंत ही महत्वपूर्ण आयोजन था जिस तरह से वन्य प्राणियों विशेष कर बाघ और तेंदुए की उपस्थिति सुरक्षित क्षेत्र के बाहर अन्य वन क्षेत्र और विशेष कर ग्रामों से लगे वनों में बढ़ रही है मानव वन्य प्राणी द्वंद की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं और इस द्वंद को कम करने में जन सामान्य को जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस कार्य में पत्रकार सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर आदि अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पत्रकार हरिकृष्ण दुबोलिया ने कहा कि बाघ और शाकाहारी वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए पेड़ों और पौधों की तरह ही आवश्यक हैं। मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की रिपोर्टिंग करते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी कवरेज से जनता के बीच वन्यजीवों के प्रति कोई गलतफहमी या नकारात्मक धारणा न बने। इसलिए जब तक सही तथ्य सामने न आएं, तब तक केवल संदेह या अनुमान के आधार पर कोई खबर नहीं लिखी जानी चाहिए।
कार्यशाला ने शामिल हुये सिवनी एवं छिंदवाडा जिले के पत्रकारों ने अपनी बात रखी और मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की रिपोर्टिंग एवं पारिस्थितिकीय मुद्दों को कवर करने करते समय आने वाली परेशानियों को साझा किया। कार्यशाला का समापन वन्यजीवों के प्रति संकल्प के साथ हुआ।

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