गठित करना होगी आंतरिक परिवाद समिति अन्यथा लगेगा 50 हजार रूपये का जुर्माना
बड़वानी/ भोपाल, 31 मार्च।कामकाजी महिलाओं के सम्मान व गरिमा को बनाये रखने, कार्य स्थल पर उन्हें सुरक्षित और युक्तियुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के लिये जिले के सभी शासकीय व अशासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर संबंधित संस्था के विरूद्ध लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के तहत कार्यवाही की जायेगी। जिसके तहत उन पर 50 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री सुनिल सोलंकी ने सभी विभागों को परिपत्र भेजकर लैंगिक उत्पीडन अधिनियम 2013 के तहत आंतरिक परिवाद समिति गठित कर उसकी जानकारी जिला स्तरीय परिवाद समिति को देने के निर्देश दिये है। जिससे कार्यालयीन महिलाऐं अपनी शिकायत इस समिति के समक्ष प्रस्तुत कर सके।
समिति किस प्रकार करेगी कार्यकार्यालयो में गठित आंतरिक परिवाद समिति के समक्ष कार्यालयीन महिलाऐं अपनी शिकायत उनके समक्ष दर्ज करवा सकती है। यदि कोई उनके साथ निम्नानुसार अनुचित व्यवहार या चेष्टा करता है:-
- शारीरिक सम्पर्क और अग्रक्रियाए करना।
- लैंगिक स्वीकृति के लिये कोई मांग या अनुरोध करना।
- लैंगिक आभास वाली टिप्पणियॉ करना।
- अश्लील साहित्य दिखाना।
- लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य निंदनीय शारीरिक, शाब्दिक या गैर – शाब्दिक आचरण करना।
- हिन्दुस्थान संवाद