उच्च शिक्षा: कोरोना काल में ऑनलाइन परीक्षा कराने वाला पहला राज्य रहा मध्यप्रदेश

डॉ. मोहन यादव

भोपाल, 26 मार्च। राज्य सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये गये हैं। कोरोना के संकट के बावजूद भी ऑनलाइन माध्यमों से विद्यार्थियों को पठन-पाठन से जोड़े रखा गया। ओपन बुक प्रणाली से स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं की परीक्षाएँ आयोजित कराने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना। बाद में इसका अनुसरण पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य राज्यों ने भी किया।

मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिये साहित्य, विज्ञान, उद्योग, वाणिज्य, कृषि आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों से सुझाव लिये गये हैं। यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की इच्छानुसार जुलाई-2021 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत 20 घटकों के माध्यम से विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में अकादमिक गुणात्मक एवं उन्नयन संबंधी कार्यवाही की गई है। इसमें भवन निर्माण, स्मार्ट क्लॉस-रूम एवं वर्चुअल लर्निंग सुविधा, एकीकृत पोर्टल का निर्माण, सूचना तकनीक को सुदृढ़ बनाना, महाविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा केन्द्रों की स्थापना, उद्यमिता प्रकोष्ठों का गठन आदि को शामिल किया गया है।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिये सतत रूप से समीक्षा की जा रही है। रणनीति बनाकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार किये जा रहे हैं। महाविद्यालयों के विकास के लिये जन-भागीदारी मद से 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये की राशि खर्च करने की सीमा तय की जा रही है। इस मद में दान करने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यदि कोई दानदाता पाँच लाख रुपये या इससे अधिक राशि दान करता है, तो उसे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सम्मानित करेंगे।

पिछले एक साल में 44 नवीन अशासकीय महाविद्यालय एवं 4 नवीन निजी विश्वविद्यालय प्रारंभ करने की अनुमति दी गई है। आदर्श प्रयोगशाला उन्नयन के लिये 263 लाख की राशि से 18 महाविद्यालय तथा पुस्तकालय विकास के अंतर्गत 192 लाख की राशि से 25 महाविद्यालयों को उन्नत किया गया है। महाविद्यालय विकास योजनाओं के अधीन 96 करोड़ रुपये की राशि से चल रहे 117 कार्यों में से 14 भवनों का कार्य पूर्ण किया गया है।

विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाओं की संचालन व्यवस्था के अंतर्गत यू-ट्यूब के माध्यम से 1200 से अधिक पाठ्यक्रम आधारित ऑडियो/वीडियो व्याख्यान उपलब्ध कराये गये। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के माध्यम से स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर करीब 14 लाख 58 हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए। ओपन-बुक परीक्षा प्रणाली के माध्यम से 18 लाख परीक्षार्थी सम्मिलित हुए।

स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना में अल्पावधि रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण का लाभ शासकीय महाविद्यालयों के करीब 19 हजार विद्यार्थियों ने लिया। नियोजन तथा उद्यमिता प्रकोष्ठों के गठन के लिये 200 महाविद्यालयों का चयन एवं ट्रेनिंग प्लेसमेंट सेल की स्थापना की गई। गाँव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना, एकीकृत/संस्कृत छात्रवृत्ति, अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तक एवं स्टेशनरी वितरण योजना से 97 हजार विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया।

विश्व बैंक परियोजना से 260 करोड़ रूपये की राशि से 20 भवनों का निर्माण पूरा किया गया। रूसा, विश्व बैंक परियोजना एवं राज्य मद से निर्मित 29 महाविद्यालयों के भवनों का लोकार्पण हुआ। इन महाविद्यालय भवनों में आवश्यक सुविधाओं के लिये 767 करोड़ रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई। राज्य शासन की मद से 9 महाविद्यालयों के भवन निर्माण, 73 महाविद्यालयों में 600 अध्ययन कक्ष और 45 नवीन भवनों के निर्माण के लिये 206 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया।

विद्यार्थियों को रोजगारोन्मुखी प्रोत्साहन देने के लिये 136 महाविद्यालयों में गुणवत्ता अध्ययन केन्द्र की स्थापना के लिये उच्च शिक्षा विभाग और मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के मध्य एमओयू किया गया। मध्यप्रदेश नॉलेज कॉर्पोरेशन तथा विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केन्द्र एवं इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की गई। शासकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कृषि, उद्यानिकी, पशु चिकित्सा एवं पर्यटन के पाठ्यक्रम तथा माँग अनुसार उपयोगी सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की कार्यवाही जारी है। पोर्टल, डिजिटल रिपोजिटिरी, डिजिटल लॉकर, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम आदि की व्यवस्था की गई है।

प्रदेश के 200 शासकीय महाविद्यालयों में वर्चुअल लर्निंग एवं स्मार्ट क्लॉस-रूम की सुविधा और 100 उच्च शिक्षण संस्थाओं में सूचना तकनीक अधोसंरचना को सुदृढ़ बनाया जा रहा है। महाविद्यालय, संकाय तथा पदों का युक्ति-युक्तकरण और विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के लिये ऑनलाइन अजाँच प्रमाण-पत्र की व्यवस्था के अलावा ऑनलाइन लर्निंग मैनेजमेंट एवं ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम का विकास किया गया। पेंशन प्रकरणों को स्वीकृत करने के अधिकार महाविद्यालयों के प्राचार्यों को दिये गये। उच्च शिक्षा संचालनालय एवं महाविद्यालयों के लिये एकीकृत पोर्टल, शिक्षण, प्रशिक्षण नीति का निर्माण, 52 महाविद्यालयों के लिये ए-ग्रेड एवं 20 महाविद्यालयों के लिये ए-प्लस ग्रेड तथा उच्च शिक्षा संस्थानों को एनआईआरएफ की प्रथम 100 संस्थाओं में सम्मिलित करने के प्रयास जारी हैं।

( लेखक प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री हैं।)
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