रेप और फरारी की जानकारी छुपाई, इंदौर से बंगाल तक गर्माई सियासत – aajkhabar.in


भोपाल
। पश्चिम बंगाल में दर्ज सामूहिक बलात्कार केस और छत्तीसगढ़ के केस में फरार होने की जानकारी छिपाने की बात उजागर होने के बाद भी कैलाश विजयवर्गीय का नामांकन खारिज नहीं किए जाने से नई बहस खड़ी हो गई। कैलाश इंदौर-1 विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी हैं। हलफनामे में अहम आपराधिक मामलों का जिक्र नहीं किया गया। प्रावधान के बाद भी रिटर्निंग अधिकारी ने आपत्ति खारिज कर दी।

कानूनविद् कहते हैं, आमतौर पर हलफनामे में गलत सूचनाओं से संबंधित शिकायतें अदालतों में दायर की जाती हैं। मगर इस मामले में चुनाव आयोग भी गंभीर है। आयोग के नियमों के तहत नामांकन के दौरान उम्मीदवारों के झूठे हलफनामों की शिकायतों पर आयोग जांच अधिकारियों को केस-टू-केस आधार पर रेफर कर सकता है। जांच में लगता है कि उम्मीदवार ने गलत जानकारी दी है या जानकारी छिपाई है तो नामांकन निरस्त हो सकता है।

उधर, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि कैलाश विजयवर्गीय ने शपथ पत्र में जानकर आपराधिक जानकारी छिपाई। मतदाताओं को उम्मीदवार के बारे में जानने का अधिकार है। कांग्रेस की आपत्ति को प्रभाव के चलते जिला निर्वाचन अधिकारी ने नियम के विपरीत खारिज कर दिया। शपथ पत्र में गलत और अपूर्ण जानकारी के सबूत के बावजूद विजयवर्गीय को संरक्षण दिया। कांग्रेस कानूनी राय के बाद कोर्ट भी जाएंगे।

छह माह की स का प्रावधानजा

जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 125—ए के तहत जरूरी कार्रवाई के लिए अदालत में ऐसी शिकायत दर्ज करानी होती है। नियम यह भी है कि शपथ पत्र में गलत जानकारी देना, झूठ बोलने पर छह माह की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है। इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय का ताजा मामला है। उन्होंने शपथ पत्र में जानकारी छिपाई इसके बावजूद क्लीनचिट दे दी।

यह जानकारी देना होती है शपथ पत्र में

नियमों के तहत उम्मीदवार को फॉर्म 26 नाम का हलफनामा दायर करना होता है। जिसमें उसे संपत्ति, देनदारियों, शैक्षिक योग्यता और आपराधिक रिकॉर्ड (यदि कोई हो) की जानकारी देना होती है। शपथ पत्र निर्धारित प्रारूप में हो, कोई भी कॉलम रिक्त नहीं होना चाहिए, यानी सभी कॉलम में जानकारी देना अनिवार्य है। चुनाव आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में झूठ बोलने की मौजूदा सजा छह महीने तक की कैद, या जुर्माना या दोनों है।

प्रारूप से अलग है शपथ-पत्र

कांग्रेस लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ मिश्रा ने बताया कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप से हटकर कैलाश ने शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। ऐसा किसी अन्य प्रत्याशी द्वारा किया गया होता तो उसका नामांकन-पत्र ही निरस्त कर दिया जाता।

 

तृणमूल कांग्रेस ने भी की आयोग से मांग

तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय की ओर से चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में बेहला रेप मामले की जानकारी छिपाने की निंदा की और आयोग से नामांकन रद्द करने की मांग की। कैलाश ने मामले की जानकारी छिपाकर ठीक नहीं किया है। चुनाव आयोग को जांच करके नामांकन रद्द करना चाहिए।
-तापस राय, उप सचेतक विधानसभा

जल्दबाजी की

रिटर्निंग ऑफिसर ने कैलाश के मामले में जल्दबाजी की है। चुनाव आयोग को प्रस्तुत शपथ पत्र में कई बिन्दु छिपाए हैं। शपथ पत्र में गलत जानकारी देना, जानकारी छिपाना गलत है। नामांकन निरस्त होना चाहिए।
-जेपी धनोपिया, एडवोकेट

याचिका में चुनौती दें

यह सही है कि उम्मीदवार को नामांकन के दौरान शपथ पत्र देना अनिवार्य है। शपथ पत्र का प्रोफार्मा तय है, इसी फार्मेट में जानकारी दी जाना चाहिए। गलत जानकारी दी जाती है तो इसे चुनावी याचिका के तहत कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
-देवेंद्र वर्मा, संविधान विशेषज्ञ

रसूख कराता है फैसले

शपथपत्र में गलत जानकारी का अगर स्क्रूटनी के पहले पता लगता है तो उसे निरस्त करना ही चाहिए। ये सिस्टम की कमी है कि क्योंकि चुनाव आयोग के पास इसकी पावर तो है। आरओ को प्रत्याशी के गलत जानकारी या जानकारी छुपाने के बारे में पता चलते ही प्रत्याशियों से पूछना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर चुनाव याचिका लगा सकते हैं। रसूख की वजह से भी प्रभावित होते हैं।
-संजय अग्रवाल, एडवोकेट

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