नई विधानसभा का गठन में इस बार ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक आए, देखें रिपोर्ट में

लोकतंत्र के लिए यह अच्छा संकेत है कि मतदाता विधानसभा तक शिक्षित एवं प्रोफेशनल्स को अधिक चुनकर भेज रहे हैं विधानसभा चुनाव पूरे हो गए, नई विधानसभा का गठन भी हो गया। विधानसभा के गठन के साथ ही सरकार के गठन की भी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पर आपके यह जानना भी जरूरी है कि इस बार हमारी विधानसभा कैसी होगी, यानी मतदाताओं ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा तक भेजा है, वे कैसे हैं। मध्यप्रदेश के मतदाताओं का निर्णय बेहतर रहा, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश की विधानसभा में पिछली बार की तुलना में मतदाताओं ने अधिक शिक्षित उम्मीदवार चुनकर भेजे हैं।

लोकतंत्र के लिए यह अच्छा संकेत है कि मतदाता विधानसभा तक शिक्षित एवं प्रोफेशनल्स को अधिक चुनकर भेज रहे हैं। पर यह चिंतनीय है कि नए लोगों को कम मौका मिल रहा है। राजनीतिक दल नए लोगों को कम मौका दे रहे हैं। इस बार कुल 69 नए चेहरे चुनाव जीते हैं। जबकि पिछली बार इनकी संख्या 90 थी। नए जानकार कहते हैं कि राजनीति में नई पौध का तैयार होना भी जरूरी है।

नौकरशाहों ने भी राजनीति में समय-समय पर किस्मत आजमाई है। मध्यप्रदेश की बात करें तो पूर्व में आइएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद लोकसभा चुनाव जीते, रुस्तम सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ा और वे राज्य सरकार में मंत्री बने। कई अधिकारियों के लिए राजनीति एक नया अनुभव है। वेद प्रकाश शर्मा, जीएस डामोर, निशा बांगरे, वरद मूर्ति मिश्रा सहित ऐसे कई अफसर हैं जिन्होंने अफसरी के बाद राजनीति में नई पारी शुरू की है। आइएएस अधिकारी वेद प्रकाश शर्मा ने तो वास्तविक भारत पार्टी का गठन किया, जबकि हीरा लाल त्रिवेदी सपाक्स के अध्यक्ष हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रहीं निशा बांगरे ने नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा। निशा बैतूल जिले की आमला विधानसभा से टिकट की दावेदार थीं पर उन्हें टिकट नहीं मिला।

मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों पर कुल 2533 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 1233 ने 5वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की, जबकि 1105 उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक की शिक्षा वाले रहे। इन उम्मीदवारों में 28 डिप्लोमा धारक हैं, तो 134 ऐसे हैं जो सिर्फ साक्षर हैं। चुनाव जीतने वालों में कोई डॉक्टर है, कोई स्कूल शिक्षक या फिर कॉलेज, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर। अब इन्होंने राजनीति की पिच पर कदम रखा है। इन्हें भरोसा है कि ये यहां भी सफल होंगे। जाहिर है कि राजनीति में अच्छे लोगों का आना लोकतंत्र के लिए बेहतर है। 28 निरक्षर उम्मीदवारों में से एक भी नहीं जीता।

पेशे से डॉक्टर हूं, राजनीति में भी सक्रिय हूं। क्षेत्रीय जनता का हमेशा ही मुझे स्नेह मिलता रहा है। पहले पार्टी ने और फिर मतदाताओं ने मुझे मौका दिया। विधानसभा में अपने क्षेत्र की आवाज बनूंगा, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। यह भी प्रयास होगा कि क्षेत्र में अधिक से अधिक विकास कार्य हों।

राजनीति में अच्छे लोगों का आना जरूरी है। डॉक्टरी पेशे में लोगों की सेवा करता हूं, मेरे क्षेत्र के लोगों ने मुझे विधानसभा तक भेजा, यह मेरे लिए नया अनुभव रहा। अब मुझे महसूस हो रहा है कि विधानसभा पहुंचकर मैं अपने क्षेत्र के और अधिक लोगों की मदद, सेवा कर सकता हूं।

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