पूर्णिमा पर ही क्यों होती सत्यनारायण कथा, जानें इसका महत्व और लाभ

 

नई दिल्ली। 26 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की विशेष पूजा और कथा करने का विधान है, प्राचीन काल से ही पूर्णिमा पर सत्यव्रत और कथा का श्रवण किया जा रहा है। स्कन्द पुराण के अनुसार सत्यनारायण व्रत की कथा सुनने मात्र से श्रीहरि साधक के सारे दुख हर लेते हैं। कलुयग में सत्यव्रत करना बहुत प्रभावशाली माना गया है लेकिन क्या आप जानते हैं पूर्णिमा पर ही सत्यनारायण व्रत कथा क्यों की जाती है। आइए जानें।

पूर्णिमा पर ही क्यों होती सत्यनारायण कथा ?

स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं। पूर्णिमा तिथि पर विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा करने की परंपरा सालों से प्रचलित है।

इस कथा की महिमा को भगवान सत्यनारायण ने अपने मुख से देवर्षि नारद को बताया है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत की कथा को सुनने का फल हजारों सालों तक किए गए यज्ञ के बराबर मिलता है।

सत्यनारायण व्रत कथा के लाभ

भगवान सत्यनारायण की कथा व्यक्ति को धर्म और सच के मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करती है ताकि वह सुख और संपन्न रहे। मान्यता है कि जहां श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा होती है वहां गौरी-गणेश, नवग्रह और समस्त दिक्पाल मौजूद रहते हैं साधक को आशीर्वाद देते हैं
सत्यनारायण व्रत कथा के प्रताप से सुखी वैवाहिक जीवन, मनचाहे वर-वधु, संतान, अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ आदि मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
हर पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा करने से परिवार के लोग सुख समृद्धि, ऐश्वर्यों को प्राप्त करते हैं। उनका जीवन धर्म-अर्थ काम-मोक्ष को सिद्ध कर लेता है। क्लेश मिटते हैं।
आजीविका संबंधी समस्या, कन्या के विवाह में बाधा, पति के अच्छे स्वास्थ आदि कामनाओं के लिए सत्यनारायण का व्रत बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।  किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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